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World Elephant Day: हर दिन घट रही गजराज की संख्‍या, हैरान हो जाएंगे सर्वे देखकर Agra News

वन और पर्यावरण मंत्रालय का सर्वे देशभर में घट रही हाथियों की संख्या। अपना पेट भरने को गांव-गांव घुमाया तो कभी सर्कस में नचाया।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Mon, 12 Aug 2019 02:19 PM (IST)Updated: Mon, 12 Aug 2019 09:39 PM (IST)
World Elephant Day: हर दिन घट रही गजराज की संख्‍या, हैरान हो जाएंगे सर्वे देखकर Agra News
World Elephant Day: हर दिन घट रही गजराज की संख्‍या, हैरान हो जाएंगे सर्वे देखकर Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। हाथरस में एक साधु भेषधारी ने हथिनी पाली। गांव-गांव घुमाकर वो हथिनी के नाम पर भिक्षा मांगता। पालक बीमार हुआ तो हथिनी की देखभाल करने वाला कोई नहीं रहा। महीनों तक तो हथिनी भूखी ही रही। कुछ दिनों में हथिनी अपने पैर पर खड़ी होने लायक भी नहीं रही। करीब चार महीने पहले इसकी जानकारी होने पर संरक्षण करने वाली संस्था यहां से हथिनी को चुरमुरा स्थित अस्पताल ले आई। अब ये हथिनी अस्पताल के लिए चंचल 'कल्पना' बन चुकी है।

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हाथी का महत्व प्राचीन काल से ही रहा है। कभी राजा-महाराजा की शान की सवारी माने जाने वाले हाथी का वक्त के साथ ही उपयोग भी बदल गया। कहीं भिक्षा मांगने का जरिया बने तो सर्कस में हंटर के इशारे पर मनोरंजन का। हालांकि, पाबंदी से हालात बदले हैं, मगर दांतों के धंधे के लिए इनकी हो रही हत्याओं पर पूरी तरह से अंकुश नहीं लग पा रहा है। सिमटते जंगल और अवैध शिकार से गजराज का राज भी सिमटता जा रहा है। उप्र सहित देश में हाथियों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। वन और पर्यावरण मंत्रालय चिंता में डूबा है कि जंगल के गजराज को बचाया कैसे जाए।

आगरा-मथुरा सीमा पर स्थित चुरमुरा में हाथी संरक्षण केंद्र संचालित है। वाइल्ड लाइफ एसओएस के कंजरवेशन डायरेक्टर बैजू राज बताते हैं कि एसओसएस के इस केंद्र में 22 हाथी हैं। यहां हाथियों को पूरी तरह से प्राकृतिक माहौल उपलब्ध कराया जाता है। हाइड्रोथेरेपी पूल में हाथी मस्ती करते हैं। बीमार होने पर यहां स्थित अस्पताल में त्वरित और पर्याप्त उपचार दिया जाता है।

 

हर महीने काटता था हाथी का दांत

वाइल्ड लाइफ एसओसएस की टीम ने चार वर्ष पूर्व प्रतापगढ़ से एक हाथी मुक्त कराया था। डायरेक्टर बैजू राज के अनुसार, इस हाथी के दांत हर माह काटे जाते थे। बाजार में हाथी के दांत काफी महंगे बिकते हैं। हाथी के इस पालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। फिलहाल वो जेल में है।

वर्ष 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक

-देश में कुल हाथियों की संख्या 27312 है।

-उप्र में हाथियों की संख्या 232 है।

-चिडिय़ाघरों में हाथियों की संख्या 85 है।

-सर्कसों में बंदी हाथियों की संख्या 26 है।

-धार्मिक संस्थानों में हाथियों की संख्या 96 है।

विशेष बातें

- विश्व हाथी दिवस की शुरुआत वर्ष 2011 में हुई थी।

- भारत में 1992 में प्रोजेक्ट एलिफेंट की शुरुआत की गई थी।

- वर्ष 2010 में हाथी को राष्ट्रीय विरासत प्राणी का दर्जा प्रदान किया गया।

- पिछले वर्ष दिल्ली में आयोजित हुआ था गज महोत्सव

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