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अब आगरा के गन्ने की ब्रज लेगा मिठास

चंद किसानों से शुरू हुआ उत्पादन 360 हेक्टेअर तक पहुंचा

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 11:59 PM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 11:59 PM (IST)
अब आगरा के गन्ने की ब्रज लेगा मिठास
अब आगरा के गन्ने की ब्रज लेगा मिठास

आगरा, जागरण संवाददाता। जलसंकट और खारे पानी ने आगरा की कृषि को प्रभावित किया है। पानी के अधिक प्रयोग वाली फसलों से किसानों ने किनारा कर लिया है, जबकि बाजरा, सरसों, आलू, गेहूं की प्रमुख फसल रह गई है। इस बीच दर्जनों किसानों के प्रयास से आगरा में गन्ने की मिठास फैलने लगी है। एक बीघा से शुरू करने वाले किसान पांच से सात बीघा में गन्ने की फसल कर रहे हैं, जबकि आगरा में आंकड़ा 360 हेक्टेअर को पार कर गया है। ऐसे में मेरठ, मुज्जफरनगर, मुरादाबाद से जूस के लिए मंगाए जाने वाले गन्ने की मांग 60 फीसद तक घट गई है, जबकि आगरा से आसपास के क्षेत्र में मांग बढ़ गई है।

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अछनेरा के किसान लोकेश ने बताया कि तीन दशक पहले पांच से सात बीघा में बाबा गन्ने की फसल करते थे। एक दशक पहले बंद कर दिया। छह वर्ष से फिर दो से तीन बीघा में गन्ना कर रहे हैं। गन्ना, जूस की ठेल वालों को बेच दिया जाता है। कई दूसरे लोग इससे प्रेरित हुए, लेकिन कोरोना संक्रमण काल में बाजार नहीं मिलने से कुछ असर हुआ है। पनवारी के किसान शिशुपाल चौधरी ने बताया कि पांच वर्ष से गन्ना उत्पादन कर रहे हैं। लाकडाउन के दौरान बाजार मिलने में मुश्किल आई, लेकिन चीनी मिल को बेचने की व्यवस्था से राहत रही थी। इस बार तीन बीघा में गन्ना पैदा किया जा रहा है। गांव के ही बनवारी सहित दर्जनभर अन्य किसानों को प्रेरित किया और उनको तीन वर्ष पहले बीज भी उपलब्ध कराया। बनवारी पांच बीघा में गन्ने की फसल कर रहे हैं। दर्जनों खेतों में गन्ने का उत्पादन हो रहा है। कटाई के समय जूस वालों से संपर्क कर उनको बेचा जाता है। कई जूस वाले तो गन्ने का सौदा करने सीधे गांव आ जाते हैं। बिचपुरी के किसान आनंद ने बताया कि चार वर्ष से तीन बीघा में गन्ने का उत्पादन कर रहे हैं। दाम भी बेहतर मिल जाता है, तो दूसरे किसानों को बीज भी उपलब्ध करा रहे हैं। आसपास के किसानों को तो निश्शुल्क बीज दिया, लेकिन फतेहपुर सीकरी के किसानों को बीज बेचा है। क्षेत्र और सीकरी के दो दर्जन किसानों ने गत तीन वर्ष से गन्ने का उत्पादन शुरू कर दिया है। पहले साल लगती लागत, फिर मिलता मुनाफा

किसान लोकेश ने बताया कि पहले साल बीज खरीद में लागत जाती है। एक बीघा में छह हजार रुपये का खर्च आता है। किसान बीज अपना ही प्रयोग करते हैं। एक बीघा फसल 30 से 40 हजार रुपये तक दे देती है। लाकडाउन में हुई थी विशेष व्यवस्था

लाकडाउन के कारण गन्ना किसानों की फसल को बाजार नहीं मिला था। ऐसे में विशेष आदेश के तहत बुलंदशहर के साबितगढ़ स्थित चीनी मिल को गन्ना बेचने की व्यवस्था की गई थी। 201 गन्ना किसानों का अनुमोदन भी कृषि विभाग ने किया था, जिसमें से दर्जनों किसानों ने गन्ना बेचा था। आगरा में 200 से अधिक लगते ठेल, दर्जनभर कोल्हू हैं संचालित

आगरा में दर्जनभर कोल्हू हैं, जिन पर गन्ने से गुड़ बनाया जाता है। वहीं 200 से अधिक ठेल वाले अलग-अलग स्थानों पर जूस बेचते हैं। इसके साथ ही आसपास के क्षेत्र के लोग जूस और अन्य उपयोग के लिए गन्ना खरीदते हैं।


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