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Nominations For Heritage City: आगरा की राह से हर बाधा दूर, जानिए कितना लग सकता है समय

Nominations For Heritage City 9.7 करोड़ से यूनेस्को में होगा नॉमिनेशन। रिवर फ्रंट गार्डन के 12 किमी को किया गया है चिन्हित। पांच से सात साल तक समय लगने के आसार।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 24 Jul 2020 12:11 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jul 2020 12:11 PM (IST)
Nominations For Heritage City: आगरा की राह से हर बाधा दूर, जानिए कितना लग सकता है समय
Nominations For Heritage City: आगरा की राह से हर बाधा दूर, जानिए कितना लग सकता है समय

आगरा, जागरण संवाददाता। शहरवासियों के लिए ये खुश होने का वक्त है।  Heritage City की राह की सभी बाधाएं दूर हो गई हैं। अब वो दिन दूर नहीं जब हमारी ताजनगरी भी  Heritage City कही जाएगी। यूनेस्को में नॉमिनेशन (नामांकन) कराने में 9.7 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसमें पांच से सात साल का समय लगेगा। क्योंकि अहमदाबाद, गुजरात को सात साल लगे थे। तब जाकर वर्ष 2017 में World Heritage City घोषित किया गया था। नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया कि निगम प्रशासन द्वारा राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा जा रहा है। राज्य इसे केंद्र सरकार को भेजेगी। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र को भेजा जाएगा। वहां से इसे यूनेस्को को भेजा जाएगा। नामांकन स्वीकार होने के बाद यूनेस्को की टीम रिवर फ्रंट गार्डन के 12 किमी का सत्यापन करेंगी।

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राज्य सरकार ने दिया हलफनामा

सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने आगरा को हेरिटेज सिटी बनाने का हलफनामा दिया था। राज्य सरकार ने सेंटर फॉर एनवायरामेंटल प्लाङ्क्षनग एंड टेक्नोलॉजी (सेप्ट) अहमदाबाद से संपर्क किया। सेप्ट ने अहमदाबाद को हेरिटेज सिटी बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था। यह देश का पहला हेरिटेज सिटी है।

फायदा 

हेरिटेज सिटी बनने से यूनेस्को को अतिरिक्त फंड मिलेगा। इससे रिवर फ्रंट गार्डन का सही तरीके से विकास हो सकेगा। वहीं इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

हेरिटेज सिटी एक नजर में

- नगर निगम प्रशासन ने दिसंबर, 2018 में शासन से 83 लाख रुपये की मांग की थी।

- शासन ने हेरिटेज सिटी का प्रस्ताव तैयार करने की अनुमति दी।

- 83 लाख रुपये पर्यटन विभाग सेप्ट की टीम को देगा।

एक मानदंड करना होगा पूरा

यूनेस्को के दस मानदंड (छह सांस्कृतिक और चार प्राकृतिक) में से एक मानदंड पूरा करना होगा।

मलिन बस्तियों का होगा कायाकल्प

रिवर फ्रंट के आसपास कई मलिन बस्तियां भी हैं। इनका कायाकल्प किया जाएगा। पक्की रोड से लेकर अन्य सुविधाएं मिलेंगी।

नहीं हटेंगे उद्योग

वर्तमान में जो उद्योग चल रहे हैं। उन्हें शिफ्ट नहीं किया जाएगा लेकिन नए उद्योग नहीं लगेंगे। 


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