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Museum in Agra: म्यूजियम का केवल नाम बदला, स्थिति में नहीं हुआ कोई बदलाव

Museum in Agra 14 सितंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाम बदलने के दिए थे निर्देश। बुधवार को नाम बदलने के पूरे हो गए 50 दिन एक कदम आगे नहीं बढ़ सके। म्यूजियम में आगरा के साथ संपूर्ण ब्रज को समाहित किया जाएगा।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 04 Nov 2020 09:28 AM (IST)Updated: Wed, 04 Nov 2020 09:28 AM (IST)
Museum in Agra: म्यूजियम का केवल नाम बदला, स्थिति में नहीं हुआ कोई बदलाव
छत्रपति शिवाजी महाराज से संबंधित गैलरी भी म्यूजियम में बनेगी।

आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा में निर्माणधीन म्यूजियम का नाम बदले बुधवार को 50 दिन पूरे हो गए। म्यूजियम का काम 50 दिन पहले जहां था, आज भी वहीं अटका हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा नाम परिवर्तन के बावजूद अब तक म्यूजियम के लिए बजट जारी नहीं हो सका है। यहां जनवरी से ही काम बंद पड़ा हुआ है।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगरा मंडल की वर्चुअल समीक्षा बैठक में 14 सितंबर को आगरा में निर्माणाधीन मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद उप्र पर्यटन विभाग द्वारा नाम परिवर्तन पर मुहर लगाते हुए 26 सितंबर को आदेश जारी कर दिया गया था। इसके बाद म्यूजियम की स्थिति में परिवर्तन सिर्फ इतना हुआ है कि सरकारी अभिलेखों व पत्र व्यवहार में मुगल म्यूजियम की जगह छत्रपति शिवाजी महाराज म्यूजियम लिखा जाने लगा है। जनवरी से बंद चल रहा म्यूजियम का काम एक कदम आगे नहीं बढ़ सका है, जबकि यह प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद आगरा के पर्यटन में नए चांद लगा सकता है।

ब्रज क्षेत्र होगा समाहित

म्यूजियम में आगरा के साथ संपूर्ण ब्रज को समाहित किया जाएगा। छत्रपति शिवाजी महाराज से संबंधित गैलरी भी म्यूजियम में बनेगी। इसके अलावा यहां आगरा का परंपरागत इनले वर्क, लेदर क्राफ्ट और अन्य शिल्प को जानने का मौका पर्यटकों को मिलेगा।

70 फीसद काम हो चुका है

शिल्पग्राम के नजदीक निर्माणाधीन म्यूजियम का 70 फीसद काम पूरा हो चुका है। भवन का बेसमेंट, ग्राउंड फ्लोर व फर्स्ट फ्लोर बनकर तैयार है। इसमें मार्बल फ्लोरिंग, वाल क्लैडिंग, साइट डवलपमेंट, विद्युतीकरण, फायर फाइटिंग, लिफ्ट आदि के काम किए जाने हैं।

बिजनेस प्लान पर तय है भविष्य

21 सितंबर, 2019 को पर्यटन मंत्री डा. नीलकंठ तवारी ने म्यूजियम का निरीक्षण कर भवन के औचित्य पर सवाल खड़े किए थे। 16 जनवरी, 2020 को लखनऊ में हुई बैठक में उन्होंने आर्किटेक्ट फर्म आरकॉम को बिजनेस प्लान उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे, जिससे कि म्यूजियम का संचालन व देखरेख हो सके।

2015 में बनी थी योजना

म्यूजियम की योजना सपा सरकार के शासनकाल में वर्ष 2015 में बनी थी। पांच जनवरी, 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसका शिलान्यास किया था। 5.9 एकड़ जमीन में म्यूजियम बन रहा है। राजकीय निर्माण निगम ने इसे बनाने का जिम्मा टाटा प्रोजेक्ट्स को दे रखा है। 31 मई, 2017 तक प्रोजेक्ट पूरा किया जाना था।

172 करोड़ रुपये तक पहुंच गई लागत

उप्र का यह पहला सरकारी भवन है, जिसमें प्री-कास्ट टेक्नीक प्रयोग में लाई गई। यह टेक्नीक ही इसके निर्माण में विलंब की वजह बनी। योजना की स्वीकृत लागत 141.89 करोड़ रुपये है, जिसमें से 94 करोड़ रुपये अब तक खर्च हो चुके हैं। जीएसटी लागू होने और निर्माण में विलंब के चलते लागत बढ़ने से इसकी रिवाइज कास्ट 172 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, लेकिन इसे अभी स्वीकृति नहीं मिल सकी है। 


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