धवल ताजमहल की सुरक्षा पर छाया है 'काला साया'
तीन महीने से ताज के आसपास नहीं जल रहीं 80 फीसद से ज्यादा लाइटें। पश्चिम और पूर्वी गेट की ओर दूर-दूर तक छाया रहता है अंधेरा।
आगरा(जेएनएन): ताजमहल, जिस पर पूरी दुनिया की निगाह लगी है। जहां आतंकी खतरे की आशंका भी रहती है। यही वजह है कि यहां चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्था के निर्देश हैं। प्रदेश के आला पुलिस अधिकारियों से लेकर केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां भी यहां सक्रिय हैं। लेकिन लापरवाह है तो बस प्रशासन। सारी कवायद यहां काले साये की भेंट चढ़ गई है। रात होते ही ताज के आसपास का क्षेत्र घने अंधेरे के आगोश में चला जाता है। ऐसे में बंदूकें तनी भी रहें, निशाना तो नहीं लगेगा।
ताजमहल के आसपास के पूरे क्षेत्र में लाइटिंग के विशेष इंतजाम किए गये हैं। इसके दो कारण थे। एक तो रात में आस-पास के क्षेत्र की निगरानी की जा सके जिससे कोई अनाधिकृत व्यक्ति क्षेत्र में प्रवेश न कर सके। दूसरा यहां खूबसूरती रहे। पिछले तीन महीने से यहां 80 फीसद से ज्यादा लाइटें नहीं जल रही हैं। पश्चिम गेट और पूर्वी गेट की ओर दूर-दूर तक अंधेरा छाया रहता है। अंधेरे में ताजमहल के गेट से कौन गुजर रहा है, किसी को पता नहीं चलता। अंधेरे में सीसीटीवी कैमरे भी काम नहीं करते। खुफिया तंत्र इस पर चिंता जता चुका है लेकिन हालात नहीं बदले। लाइटों को ठीक करवाने की जिम्मेदारी राजकीय निर्माण निगम और एडीए एक दूसरे पर थोपकर अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं।
नामुमकिन नहीं ताज तक पहुंचना:
अंधेरे में पुलिस वाले लोहे के बेरियर लगाकर चौकी पर बैठ जाते हैं। जिस जगह सुरक्षाकर्मी बैठते हैं वहां से बैरियर की गतिविधियां अंधेरे में बहुत अच्छी तरह नहीं दिखतीं। अमावस की रात और बादलों के कारण तो कई बार कुछ भी नजर नहीं आता। ऐसे में अंधेरे का लाभ उठा ताज के अभेद्य माने जाने वाले सुरक्षा चक्र को कोई भी तोड़ सकता है।
पर्यटकों के लिए भी खतरा:
खुफिया तंत्र की रिपोर्ट कहती है कि शाम सात बजे बाद ताज के पूर्व और पश्चिमी गेट की तरफ पर्यटकों का घूमना, उनकी सुरक्षा के लिहाज से भी ठीक नहीं है। कोई भी अपराधी चैन स्नेचिंग और अन्य गंभीर वारदात को अंधेरे में आसानी से अंजाम दे सकता है। इसके अलावा शाम को कई लड़के ताज के वॉक वे पर तेज गति से साइकिल चलाते हैं। गलती से पर्यटक इनसे टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो सकते हैं। नहीं हुई अभी तक हस्तांतरण:
राजकीय निर्माण निगम ने एडीए को लाइटों के हस्तांतरण के लिए लिखा था। हमने निर्माण निगम को इन्हें नगर निगम को हस्तांतरण करने के लिए पत्र लिखा था। अभी हस्तांतरण नहीं हुआ है।
- बृजेश कुमार, सहायक अभियंता, एडीए विभाग को नहीं है जानकारी:
हैरिटेज लाइटों के रखरखाव की जिम्मेदारी एडीए की है। हमने यह प्रोजेक्ट लगाकर एडीए को हस्तांतरित कर दिया था। हमारे पास लाइटों से संबंधित कोई जानकारी नहीं है।
- जावेद, प्रोजेक्ट मैनेजर, राजकीय निर्माण निगम