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Navratra Special: ब्रज के इस पर्वत पर विराजमान हैं श्रीकृष्‍ण की नव शक्तियां Agra News

ब्रह्मांचल पर्वत पर विराजमान हैं श्रीकृष्ण की नव शक्तियां। अष्टदल कमल से हैं ब्रजभूमि के शक्ति स्थल।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 01:50 PM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 01:50 PM (IST)
Navratra Special: ब्रज के इस पर्वत पर विराजमान हैं श्रीकृष्‍ण की नव शक्तियां Agra News
Navratra Special: ब्रज के इस पर्वत पर विराजमान हैं श्रीकृष्‍ण की नव शक्तियां Agra News

आगरा, रसिक शर्मा। नवदुर्गा में शक्ति स्वरूप मातारानी के बारे में सब जानते हैं लेकिन श्रीकृष्ण की नौ देवियों के स्वर्णिम इतिहास के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे, इन्हें कान्हा अपनी शक्ति मानते थे। ब्रह्मांचल पर्वत के किनारे बसे बरसाना की संरचना अष्टदल कमल सी बताई गई है। इसके केंद्र में पर्वत पर बने लाड़िली महल में ब्रज की महारानी राधारानी विराजमान हैं। आठ गांव उनको घेरे हैं, जिनमें उनकी आठ सखियां विराजमान हैं। राधारानी और उनकी आठ सखियां वह शक्तियां हैं, जिनके बिना श्रीकृष्ण के पराक्रम और लीलाओं की कल्पना अधूरी ही रह जाएगी। अष्टसखी ललिता, विशाखा, चित्रा, इंदुलेखा, चपंकलता, रंग देवी, सुदेवी, तुंगविद्या के बिना राधारानी की कल्पना भी कृष्ण सी अधूरी है।

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इन नौ शक्तियों के साथ विराजमान हैं श्रीकृष्ण

राधारानी: आठ शक्तियों के साथ विराजमान हैं ब्रज की अधिष्ठात्री देवी राधारानी। बरसाना में राधारानी का विशाल मंदिर है।

ललिता सखी: ललिता जी ऊंचागांव में विराजमान हैं। मोरपंख की नीली साड़ी पहनती हैं। प्रिया-प्रियतम को पान खिलाती रहती हैं। वन विहार नौका विहार की सेवा भी इनके हिस्से में आती है।

विशाखा सखी: विशाखा सखी कमई गांव में निवास करती हैं। ये भीनी भीनी सुगंधित चीजों से बने चदंन का लेप करती है तथा चदंन लगाती है।

चित्रा सखी: चित्रा सखी चिकसौली गांव में रहती हैं, इन्हें पीली साडी़ पहनना अधिक प्रिय है। राधारानी को फल शर्बत की सेवा चित्रा सखी के हिस्से में हैं।

इंदुलेखा सखी: इदुंलेखा आजनौंख स्थित मंदिर में भक्तों को दर्शन दे रही हैं। राधारानी का गजरा बनाती हैं तथा प्रिया-प्रियतम को प्रेम कहानी सुनाती है।

चंपकलता सखी: चंपकलता करहला गांव में विराजमान हैं। प्रिया-प्रियतम के लिए भोजन की सेवा का सौभाग्य इन्हें प्राप्त हैं।

रंगदेवी सखी: रंगदेवी रांकोली गांव में रहती हैं। राधारानी की वेणी (चोटी) गूंथना और श्रृंगार करना तथा उनके नैनो में काजल लगाना इनकी सेवा में शुमार है।

तुंगविधा सखी: तुंगविधा सखी डभाला गांव में निवास करती हैं। युगल स्वरूप में विराजमान राधा कृष्ण के दरबार में नृत्य के साथ मधुर स्वरों से दोनों को रिझाना इनकी सेवा में शुमार है।

सुदेवी सखी: सुनहरा गांव में निवास करने वाली सुदेवी राधारानी के नैनों मे काजल लगाती हैं । 


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