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अच्‍छी है ये खबर, अब कैंसर के मरीज के घर भी गूंज सकेगी किलकारी Agra News

ताजनगरी में आयोजित युवा इसार-2019 में देश-विदेश से आए आईवीएफ विशेषज्ञ दे रहे रोचक जानकारियां।एग और स्पर्म की तरह ही ओवरी को भी किया जा सकता है प्रिवर्ज।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 17 Aug 2019 06:44 PM (IST)Updated: Sat, 17 Aug 2019 09:39 PM (IST)
अच्‍छी है ये खबर, अब कैंसर के मरीज के घर भी गूंज सकेगी किलकारी Agra News
अच्‍छी है ये खबर, अब कैंसर के मरीज के घर भी गूंज सकेगी किलकारी Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता।  IVF की दुनिया बड़ी रोचक है। तकनीक बढ़ने के साथ ही यह और भी अजब-गजब होती जा रही है। एग और स्पर्म को फ्रीज करने के बारे में आपने सुना होगा लेकिन अब ऐसी तकनीक उपलब्ध है कि ओवरी को भी फ्रीज कर लिया जाता है। वहीं महिलाओं के लिए ओवरी टिशु और पुरूषों के लिए टेस्टिकुलर टिशु प्रिजर्वेशन किया जाता है, जिससे वे कैंसर जैसी बीमारी से मुकाबला करने के बाद मां-बाप बन सकते हैं।

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फतेहाबाद रोड स्थित होटल ताज कन्वेंशन सेंटर में चल रहे IVF विशेषज्ञों के सम्मेलन युवा इसार-2019 का शनिवार शाम विधिवत उदघाटन हुआ। सांसद प्रो एसपी सिंह बघेल, संरक्षक डॉ नरेंद्र मल्‍होत्रा, अध्‍यक्ष डॉ जयदीप मल्‍होत्रा व अन्‍य ने दीप प्रज्‍जवलन कर उदघाटन किया। सम्मेलन के दूसरे दिन विशेषज्ञों ने कहा कि जब भी किसी महिला को कैंसर ट्रीटमेंट दिया जाता है तो सर्जरी, कीमोथैरेपी और रेडिएशन का असर ओवरी में बनने वाले अंडों पर पड़ता है, जिससे वह बाॅयोलाॅजिकल मां नहीं बन पातीं। इंटरनेशनल फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष और इस पर काम कर रहे इजरायल के डा. ड्राॅर मैरो ने बताया कि अब ऐसी तकनीक उपलब्ध है जिससे कैंसर की बीमारी के बाद भी बायोलाॅजिकल माता-पिता बना जा सकता है। इसके लिए महिलाओं के ओवरी टिशु और पुरूषों के टेस्टिकुलर टिशु प्रिजर्व कर लिए जाते हैं, ताकि बीमारी से छुटकारा पाने के बाद टिशु ट्रांसप्लांट कर बायोलाॅजिकल माता-पिता बन सकते हैं। अब तक ऐसे लोग बीमारी के बाद संतान प्राप्त करने के लिए एग और स्पर्म डोनर की मदद लेते थे। इससे वे बायोलाॅजिकल माता-पिता नहीं बन पाते थे। इलाज के बाद महिला के पूरी तरह ठीक हो जाने पर प्रेग्नेंसी प्लान करने पर फ्रीज से टिशु निकालकर उसमें इंपलांट कर दिया जाता है। युवा इसार के संरक्षक डा. नरेंद्र मल्होत्रा ने बताया कि कई बार छोटी बच्चियों में भी कैंसर का पता चलता है। लेकिन उनमें ओवरी में अंडे नहीं बनते तो अंडे प्रिजर्व करने का कोई विकल्प नहीं होता। जबकि जब वे लड़की से औरत बनती हैं या शादी करती हैं तो ओवरी और अंडों दोनों की ही जरूरत होगी। ऐसे में छोटी बच्चियों में भी कैंसर का पता लगने पर ओवरी को निकालकर प्रिजर्व कर लिया जाता है। इसके बाद कैंसर का उपचार पूरा होने और उनके पूरी तरह ठीक होने के बाद ओवरी को दोबारा उनमें ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है। इससे वे भी बायोलाॅजिल मां बन सकती हैं। इसार की अध्यक्ष डा. जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि यह बात लोगों क पहुंचाना जरूरी है कि कैंसर के इलाज के बाद भी मां-बाप बन सकते हैं। कैंसर के इलाज के दौरान ओवरी डैमेज हो जाती है, जिससे प्रेग्नेंसी नहीं हो पाती। अब इलाज से पहले ओवरी को फ्रीज किया जा सकता है। इसे कैमिकल साॅल्यूशन में डुबाकर प्रिजर्व किया जाता है।

प्रो. एरियल विसमैन ने दिया स्वस्थ शिशु तकनीक पर जोर

डा. एरियल विसमैन ने बताया कि लेब्रोरेटरी में तैयार भ्रूण को फाइन प्लास्टिक ट्यूब के जरिए महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। इसमें स्टैंडर  IVF और इक्सी और इस्सी पद्धति की मदद ली जाती है। यह सारी प्रक्रिया कुदरती तरीके से होती है, जिससे एक स्वस्थ शिशु का जन्म कराया जाता है।

डा. केशव ने बताया क्या है आरआई प्रणाली

आरआई तकनीक के जरिए महत्वपूर्ण प्रयोगशाला प्रक्रियाओं की निगरानी की जात है। यह रेडियोफ्रीक्वेंसी पहचान तकनीक (आरएफआईडी) का उपयोग करता है। जिससे मरीज के  IVF चक्र के प्रत्येक चरण का पूरा रिकाॅर्ड बनता है। सिस्टम सभी गतिविधियों को ट्रैक करता है और उपचार के हर चरण में मरीज की पहचान के अनुसार शुक्राणु, अंडे और भ्रूण में बंद कर देता है। यदि किसी मरीज का सैंपल दूसरे मरीजों से लिए गए सैंपल के नजदीक आने की कोशिश करता है तो एंब्रियोलाॅजिस्ट को पता चल जाता है और ओवरसाइट को सही होने तक चार्ट बंद कर दिया जाता है। आरआई विटनेस मरीजों को मन की शांति प्रदान करता है कि किसी भी प्रयोगशाला में गलतियों को रोकने के लिए सबसे सुरक्षित और सर्वोत्तम संभव प्रक्रियाएं नियोजित की जा रही हैं।

कार्यशालाओं-पैनल डिस्कशन में इन्होंने की चर्चा

अंतर्राष्ट्रीय फैकल्टी में इजरायल के प्रो. एरियल विसमैन और प्रो. ड्राॅर मैरो, आॅस्टेलिया कीं प्रो. सुजैन जाॅर्ज, प्रो. अंजू जोहम, प्रो. विजयसारथी रामानाथन और इंडोनेशिया के प्रो. इवान सिनी, इसार कीं अध्यक्ष डा. जयदीप मल्होत्रा, संस्थापक अध्यक्ष डा. महेंद्र एन पारीख, आयोजन अध्यक्ष डा. अनुपम गुप्ता, संरक्षक डा. बरूण सरकार, डा. चंद्रावती, आयोजन सचिव डा. निहारिका मल्होत्रा बोरा, डा. अमित टंडन, डा. शैली गुप्ता, डा. राखी सिंह, डा. केशव मल्होत्रा, वाइस चेयरपर्सन डा. साधना गुप्ता, डा. नीलम ओहरी, डा. बेबू सीमा पांडे, डा. राजुल त्यागी, सचिव डा. एस कृष्णकुमार, कोषाध्यक्ष डा. केदार गनला, अध्यक्ष निर्वाचित डा. प्रकाश त्रिवेदी, पूर्व अध्यक्ष डा. रिश्मा पाई, उपाध्यक्ष डा. नंदिता पल्सेत्कर, उपाध्यक्ष द्वितीय डा. अमीत पटकी, एंब्रियोलाॅजी के चेयरमैन डा. सुदेश कामत, संयुक्त सचिव डा. सुजाता कर, डा. आरबी अग्रवाल, डा. आशा बक्शी, डा. ए सुरेश कुमार, डा. दुरू शाह, डा. ऋषिकेश डी पाई, डा. मनीष बैंकर, डा. धीरज गाड़ा, डा. साधना देसाई, डा. कामिनी राव, डा. फिरोजा पारीख आदि मौजूद थे। 


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