नवजात की मां से पुकार, गोद में नहीं बैठाना था तो कोख में क्यों पाला
गुरुवार की सुबह एक छात्र को सड़क किनारे पड़ा मिला था नवजात। सूचना पर पहुंचे यूपी 100 के कांस्टेबलों ने इलाज के लिए कराया इमरजेंसी में भर्ती। पुलिसकर्मी ही कर रहे नवजात की तिमारदारी।
आगरा: मां मेरा क्या दोष था। मैं तो तेरा अपना था। ये जिंदगी भी तेरी ही दी हुई थी। मगर तूने ये क्या किया? दुनिया में आते ही तूने मुझसे सारे रिश्ते तोड़ लिए। मैं तो सोचता था कि तू मेरे रोने पर आंचल में छिपाएगी। मगर, तूने तो दुश्मनों जैसा सलूक किया। मुझे मरने को सड़क पर फेंक दिया। मगर, भला हो पुलिस वाले अंकल का। उन्होंने सड़क से उठाकर अपने गोद में लिया और जिंदगी भी बचा ली।
यह व्यथा है उस नवजात की जिसे उसकी मां ने ही मरने को लोहामंडी क्षेत्र के सिर की मंडी में सड़क किनारे फेंक दिया। गुरुवार को सुबह 5.39 पर ट्यूशन पढऩे जा रहे एक छात्र को पॉलीथिन में बंद पड़ा नवजात दिखा उसके कदम रुक गए। उसके आसपास कई कुत्ते भी घूम रहे थे। उसने पुलिस कंट्रोल रूम में सूचना दी। यूपी 100 की पीआरवी 27 पर तैनात सब इंस्पेक्टर शैलेंद्र सिंह, कांस्टेबल नीलेश और विशेष पहुंचे। तब तक पॉलीथिन से बच्चे के रोने की आवाज आने लगी। कांस्टेबल विशेष ने पॉलीथिन खोली तो इसमें नवजात बच्चा निकला। उसके मुंह में से झाग निकल रहे थे। बच्चे को बाहर निकालकर उन्होंने अपने अंगोछे से उसके चेहरे को पौंछा। इसके बाद अपने अंगोछे की चादर बनाकर उसे गोद में ले लिया। तीनों पुलिसकर्मियों ने अपना फर्ज निभाते हुए उसे अपनी गाड़ी से एसएन इमरजेंसी पहुंचाया। यहां पहुंचते ही डॉक्टरों ने उसे हाथों हाथ लिया। उसका उपचार शुरू कर दिया। नवजात को सांस लेने में परेशानी हो रही थी। मगर, कुछ देर बाद वह सामान्य हालत में आ गया। अभी उसे एसएन इमरजेंसी के बाल रोग विभाग में पीआइसीयू में भर्ती कराया गया है। उसकी देखरेख को शाहगंज थाने के दो कांस्टेबल वहां बैठे हैं।
पुलिसकर्मी ही निभा रहे परिजनों का फर्ज
नवजात की देखरेख में पुलिसकर्मी दिन रात एक कर रहे है। तिमारदारी कर रहे पुलिसकर्मियों के अपत्व को देखकर अन्य मरीजों के परिजनों को भी आश्चर्य हो रहा है। लोगों ने अब तक पुलिस का असंवेदनशील व्यवहार ही देखा था लेकिन मासूम की जान बचाने के लिए किये जा रहे पुलिसकर्मियों का प्रयास इमरजेंसी में चर्चा का विषय बना हुआ है।
गोद लेने के आगे आ रहे लोग
नवजात बालक के बारे में जो कोई सुन रहा है उसे देखने पहुंच रहा है। वहीं नवजात को गोद लेने के लिए कई नि:संतान दंपति भी अब तक इमरजेंसी में संपर्क कर चुके हैं। फिलहाल पुलिस और चिकित्सकों की प्राथमिकता शिशु की जान बचाना है।