लापरवाही पड़ेगी भारी, टैक्स के नए प्रावधानों से रहें सावधान
टैक्स में लापरवाही पड़ेगी भारी रखें ध्यान
आगरा, जागरण संवाददाता। द इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड एकाउंटेंट आफ इंडिया (आइसीएआइ) की आगरा शाखा ने शनिवार को वर्चुअल बैठक की। इसमें टैक्स आडिट रिपोर्ट में महत्वपूर्ण खंड व परिवर्तन, धारा 206 सी (आइएच) में सामान की बिक्री पर आए नए टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (टीसीएस) प्रावधानों और जीएसटी अपडेट के मुद्दों पर चर्चा की गई। लापरवाही पर पैनल्टी और सजा के प्रावधान भी बताए गए।
वक्ता मनोज खुराना ने कहा कि इस वर्ष कोविड-19 को देखते हुए टैक्स आडिट की अंतिम तिथि सितंबर से एक महीना बढ़ा कर अक्टूबर कर दी गई है। आडिट रिपोर्ट समय से न भरने पर डेढ़ लाख रुपये या .50 फीसद (दोनों में से जो अधिक हो) का आर्थिक दंड आयकर विभाग धारा 271बी में लगा सकता है। आयकर की धारा 44एबी में एक बड़ा बदलाव हुआ है कि आडिट लिमिट रुपये एक करोड़ से बढ़ाकर पांच करोड़ कर दी गई है। इससे उन लोगों को फायदा होगा जो अपना 95 फीसद या इससे अधिक व्यापार बैंक माध्यम से ही करते हैं। इसमें आय-व्यय दोनों शामिल होंगे। सरकार का इरादा स्पष्ट है कि सभी व्यापारी नकद लेन देन की जगह बैंकिग माध्यम से ही आय-भुगतान को प्राथमिकता दें। आडिट रिपोर्ट में एक नया बदलाव एक अक्टूबर से उन सभी कंपनियों पर लागू होगा जो कम दर से टैक्स देना चाहती हैं। यह बदलाव आयकर की धारा 115 बीएए व 115 बीएबी में आया है। हालांकि अब टैक्स आडिट में भी चार्टर्ड अकाउंटेंट को अपनी रिपोर्ट लिखनी होगी। .1 फीसद लगेगा टीसीएस
वक्ता रोहित दुआ ने धारा 206सी (आइएच) में सामान की बिक्री पर आये नये टीसीएस प्रावधानों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एक अक्टूबर 2020 से आयकर कानून के नये प्रावधान लागू हुए हैं। इसमें यदि किसी वित्तीय वर्ष में किसी व्यापारी को बिक्री के जुड़े एक क्रेता से 50 लाख से अधिक रकम प्राप्त होती है तो नये प्रावधान में .1 फीसद टीसीएस जमा कराना होगा। यह प्रावधान उन व्यापारियों पर लागू होगा जिनकी बिक्री पिछले वित्तीय वर्ष में 10 करोड़ रुपये या अधिक थी। इस प्रावधान में 30 सितंबर 2020 तक जो भी भुगतान प्राप्त हुआ होगा उस पर टीसीएस देय नहीं होगा, लेकिन एक अक्टूबर 2020 के बाद कुल भुगतान 50 लाख रुपये या अधिक हो जाता है तब यह प्रावधान लागू हो जाएगा। यह प्रावधान निर्यातकों पर लागू नहीं होगा। इसका पालन न करने पर ब्याज, जुर्माने के साथ सजा का भी प्रावधान है। नकद भुगतान पर लगेगा ब्याज
शोर्या गोयल ने बताया कि कोर्ट द्वारा नया नियम आया है कि आप जीएसटी का रिटर्न देयतिथि के बाद भरते हैं तो आपके नगद भुगतान पर ब्याज लगाया जाएगा। लेकिन, इसमें मतभेद है, रिटर्न देयतिथि पर जमा है और कुछ बिक्री रिटर्न में दिखाने से रह गई है तो उसे बाद में दिखाने पर नगद भुगतान वाला प्रावधान दिखा कर ब्याज से बचा जा सकता है। सरकार का कहना है कि पुरानी रिकवरी नहीं की जाएगी, लेकिन रिफंड का प्रावधान सरकार ने नहीं बताया है। जीएसटी वार्षिक रिटर्न व आडिट रिपोर्ट की देयतिथि 31 अक्टूबर कर दी गई है। अब आयकर व जीएसटी भविष्य में मिलकर कार्य करेंगे तो लोगो को बहुत ध्यान देना होगा, क्योंकि जीएसटी की बिक्री अब आयकर के 26 एएस में भी दिखाई देगी। इसलिए ध्यान रखना होगा कि जो बिक्री जीएसटी रिटर्न में दिखाई गई है, उतनी ही आयकर रिटर्न में आए। अंतर आने पर दिक्कत हो सकती है। संचालन शौर्या गोयल व गौरव बंसल ने किया। इस दौरान उपाध्यक्ष आशीष जैन, सौरभ नारायण सक्सेना, सुदीप जैन, अंकित शर्मा, प्रवीन गर्ग, दीपक खंडेलवाल, प्रियंका अग्रवाल, प्रमोद गुप्ता, सजल गुप्ता, प्रभात गोयल, नेहा गोयल, गिरधारी खंडेलवाल, हिमांशु अग्रवाल आदि शामिल हुए।