'इलाज की झपकी' ले लेगी जान, यह है सरकारी अस्पतालों का हाल Agra News
दोपहर बाद एसएन और जिला अस्पताल में नहीं रहते डॉक्टर। रात भर परेशान रहे आइसीयू में भर्ती बस हादसे के घायल के परिजन।
आगरा, जागरण संवाददाता। सरकारी अस्पताल के सघन चिकित्सा कक्ष (आइसीयू) और वार्ड में 'इलाज की झपकी' घातक हो सकती है। मंगलवार रात को एसएन के आइसीयू में जूनियर डॉक्टर और स्टाफ सो गया। यहां भर्ती बस हादसे में गंभीर घायल विमल अवस्थी के परिजन रात भर परेशान रहे। सुबह उन्होंने अपने मरीज को एम्स रेफर करने की मांग की। एसएन प्रशासन ने डॉक्टरों की टीम से चेकअप कराया, आइसीयू में ही एक्सरे कराया गया।
सोमवार सुबह हुए बस हादसे में गंभीर घायल वाणिज्य कर विभाग के कर्मचारी विमल अवस्थी निवासी लखनऊ का एसएन के आइसीयू में इलाज चल रहा है। उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया है, परिजनों की नजर मॉनीटर पर लगी हुई है। मगर, यहां रात होते ही जूनियर डॉक्टर और स्टाफ सो गया। कई घंटे बाद परिजन आइसीयू में अंदर गए, जूनियर डॉक्टर और स्टाफ को सोता देख घबरा गए। उन्होंने जूनियर डॉक्टर से गुहार लगाई कि आइसीयू में कोई एक जागता रहे, जिससे तबीयत बिगडऩे और कोई परेशानी होने पर पता चल जाए। इससे आइसीयू में भर्ती मरीजों के तीमारदार भी परेशान हो गए। बुधवार को एसएन के प्राचार्य डॉ. जीके अनेजा आइसीयू का राउंड लेने गए, उनसे परिजनों ने मरीज को एम्स रेफर करने की गुहार लगाई। कुछ देर बाद ही डॉक्टरों की टीम ने उनके मरीज का चेकअप किया, आइसीयू के अंदर ही एक्सरे कराया गया। उन्हें भरोसा दिलाया कि इलाज में कोई समस्या नहीं आएगी।
उधर, एसएन और जिला अस्पताल में दोपहर दो बजे के बाद वरिष्ठ चिकित्सक चले जाते हैं। इससे वार्ड में रात होते ही मरीज की तबीयत बिगडऩे पर तीमारदार परेशान हो जाते हैं। वार्ड में नर्सिंग स्टाफ दिखाई नहीं देता है, जूनियर डॉक्टर अपने रूम में रहते हैं। इसे लेकर कई बार विवाद भी हो चुका है।
घायलों को ले जाना चाह रहे परिजन
बस हादसे में घायल अशोक, गौरव और आदिल एसएन इमरजेंसी के प्रथम तल पर बने अस्थायी ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हैं। उनके परिजन मरीजों को ले जाना चाहते हैं। यहां उनके इलाज के लिए एक अलग से जूनियर डॉक्टरों की टीम लगाई गई है।
एसएन के आइसीयू में ही एक्सरे, अल्ट्रासाउंड और ईको की व्यवस्था है, घायलों के इलाज के लिए एक अलग टीम लगाई गई है।
डॉ. जीके अनेजा, प्राचार्य एसएन मेडिकल कॉलेज