ताजगंज प्रोजेक्ट के पर्यावरण पर प्रभाव की परख
ताजगंज प्रोजेक्ट के पर्यावरण पर प्रभाव की परख शुरू हो गई है। क्षेत्र में उपकरण लगाने के बाद नेशनल इनवायरमेंटल इंजीनिय¨रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) द्वारा क्षेत्रीय लोगों के बीच सर्वे कराया जा रहा है। उनसे फार्म भरवाए जा रहे हैं। इनमें सुंदरीकरण, स्वच्छता, ट्रैफिक, पर्यटकों पर प्रभाव आदि सवाल पूछे जा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, आगरा: ताजगंज प्रोजेक्ट के पर्यावरण पर प्रभाव की परख शुरू हो गई है। क्षेत्र में उपकरण लगाने के बाद नेशनल इनवायरमेंटल इंजीनिय¨रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) द्वारा क्षेत्रीय लोगों के बीच सर्वे कराया जा रहा है। उनसे फार्म भरवाए जा रहे हैं। इनमें सुंदरीकरण, स्वच्छता, ट्रैफिक, पर्यटकों पर प्रभाव आदि सवाल पूछे जा रहे हैं।
सपा सरकार ने ताजमहल व उसके पास 197.28 करोड़ रुपये के ताजगंज प्रोजेक्ट में काम कराया था। वर्ष 2014 में शुरू हुआ प्रोजेक्ट अक्टूबर, 2016 में पूरा हुआ था। नवंबर में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लोकार्पण किया था। प्रोजेक्ट के निर्माण से पहले उसके पर्यावरण पर प्रभाव की प्री-स्टडी उप्र पर्यटन ने नीरी से कराई थी। प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद पोस्ट-स्टडी की शुरुआत की गई थी। इसमें कुछ जगहों पर नीरी ने प्रदूषण की माप को उपकरण भी लगाए थे। कुछ दिनों से नीरी की एयर पॉल्यूशन कंट्रोल डिवीजन ताजगंज में घर-घर जाकर सर्वे में जुटी हुई है। इस स्टडी को 'एनवायरमेंटल स्टडीज ऑफ ताजगंज एरिया, नियर ताजमहल' नाम दिया गया है। इसमें प्रोजेक्ट के क्षेत्र के पर्यावरण पर पडे़ प्रभाव की परख की जा रही है। साथ ही लोगों से भी सुझाव मांगे जा रहे हैं।
उपनिदेशक पर्यटन दिनेश कुमार ने बताया कि ताजगंज प्रोजेक्ट की नीरी द्वारा कराई जा रही पोस्ट-स्टडी में प्रोजेक्ट के पर्यावरण पर प्रभाव के साथ वातावरण में हुए सुधार की जांच की जाएगी।
यह पूछे जा रहे हैं सवाल
-ताजमहल के आसपास जो लाइट्स, सड़क, नालियों का सुंदरीकरण हुआ है, उससे पहले की तुलना में सुधार हुआ है।
-ताजमहल के आसपास जो सड़कें बनी हैं, क्या अभी भी वहां ट्रैफिक जाम लगता है।
-ताजमहल के आसपास चौराहे, सड़कों और नालियों की लगातार साफ-सफाई हो रही है।
-ताजमहल के आसपास सुंदरीकरण से पर्यटकों की संख्या बढ़ी है।
-सुंदरीकरण को आने वाले पर्यटक पसंद करते हैं।
-बारिश के समय आज भी नालियों का पानी सड़कों पर बहता है।