आगरा में पुलिस पेंशनर्स से ठगी के मामले में सामने आई चौंकाने वाली बात, नक्सलियों से जुड़ रहे तार
कई खातों में रकम ट्रांसफर कर अंत में झारखंड के एक बैंक खाते से निकाली गई है रकम। ई वालेट से मिल रहे पुलिस को सुराग ठगी के रोज नए मामले आ रहे सामने। साइबर सेल लगी है मामले की तहकीकात में। लाखों रुपये की हो चुकी है ठगी।
आगरा, जागरण संवाददाता। पुलिस पेंशनर्स की जिंदगी भर की कमाई पार करने वाले गैंग के सदस्य बेहद शातिर हैं। रेंज साइबर सेल की अभी तक की जांच में इनका नक्सली कनेक्शन भी निकल रहा है। उन्होंने कई खातों में रकम ट्रांसफर करने के बाद अंत में झारखंड के एक बैंक खाते से रकम निकाली है। अब पुलिस इनके माध्यम से ही शातिरों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है।
साइबर शातिरों ने ठगी का नया तरीका निकाला है। शातिरों के पास पुलिस पेंशनर्स का पूरा डाटा है। वे उन्हें ट्रेजरी अधिकारी बनकर काल करते हैं। इसके बाद उनके खाते में आई रकम की जानकारी देते हैं। इससे लोगों को भरोसा हो जाता है। खाता अपडेट करने के बहाने पूरी डिटेल हासिल करने के बाद वे खाते से रकम पार कर लेते हैं। रेंज साइबर सेल में एक शिकायत आई थी। शाहगंज निवासी एचसीपी नाहर सिंह के खाते से शातिरों ने 96 हजार रुपये निकाल लिए थे। इसकी जांच कर रही साइबर सेल की टीम को एक नया मामला पता चल गया। शातिरों नाहर सिंह के खाते से रकम निकालकर पहले ई वालेट में ट्रांसफर की थी। इसके बाद कई अन्य खातों में ट्रांसफर कर झारखंड के एक खाते से रकम डाली गई। इससे ही शातिरों ने रकम निकाली है। पुलिस को गैंग का नक्सली कनेक्शन होने की आशंका है। ई वालेट का स्टेटमेंट पुलिस ने चेक किया तो कई खाते सामने आए हैं। इसमें कई खातों से लगातार रकम ट्रांसफर हुई है। पुलिस अब उन खाता धारकों के बारे में जानकारी कर रही है, जिनके खातों से इस ई वालेट में रकम ट्रांसफर हुई। इन्हीं में से एक खाता फायर सर्विस से सेवानिवृत्त हुए उप निरीक्षक प्रेमचंद का निकल आया। इनके खाते से शातिरों ने दो दिन में 26 लाख रुपये पार कर लिए। जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, रोज ठगी के नए मामले सामने आ रहे हैं। रेंज साइबर सेल प्रभारी शैलेष कुमार सिंह का कहना है कि बैंक खातों के माध्यम से गैंग को ट्रेस करने का प्रयास किया जा रहा है। ट्रेस होने के बाद दबिश देकर गिरफ्तारी की जाएगी।