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प्रकृति का श्रृंगार करनेे की ऐसी लगी लगन, 22 बीघा जमीन में बना दी मनमोहक वाटिका

वृक्षों के शौकीन अवधपाल ने 22 बीघा में लगाए पौधे। वाटिका में 700 वृक्ष आंवला के अलावा नींबू आम के है वृक्ष। लगभग चार लाख की होती है वाटिका की सालाना आय। दूसरे किसानों को भी बागवानी के लिए कर रहे हैं प्रेरित।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 11:09 AM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 11:09 AM (IST)
प्रकृति का श्रृंगार करनेे की ऐसी लगी लगन, 22 बीघा जमीन में बना दी मनमोहक वाटिका
अपने बाग में लगे आंवले को दिखाते प्रधान अवध पाल।

आगरा, मुन्ना लाल शर्मा। जज्बे का उम्र से कोई वास्ता नहीं होता। ऐसे तमाम उदाहरण देखने को मिलते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण पेश किया है प्रधान अवध पाल सिंह ने। उन्होंने 60 साल की उम्र में एक ऐसी वाटिका खड़ी की है, जो नजीर बन गई है। दुर्लभ प्रजातियों के पौधों के साथ आंवला, नींबू आदि के वृक्ष इस वाटिका की शोभा बढ़ाते हैं। इस वाटिका में दूर-दूर तक फैली हरियाली के चलते ही यहां पक्षियों ने भी डेरा जमाना शुरू कर दिया है। प्रधान, दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं कि वे भी हरियाली को बढ़ावा देने में सहयोग करें। परंपरागत खेती से हटकर किया गया ये प्रयोग, दूसरे किसानों को भी पसंद आ रहा है।

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फतेहाबाद के गांव गढ़ी उदयराज के रहने वाले ग्राम प्रधान अवधपाल सिंह पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करते हैं। उनका कहना कि पर्यावरण सुरक्षा को वह अपने जीवन का लक्ष्‍य बना चुके हैं। अवध पाल सिंह बताते हैं कि धार्मिक रुचि होने के चलते पौधे लगाने की प्रेरणा मिली। कई धार्मिक अनुष्ठानों में कुछ वृक्ष की पत्तियां, फूल, डालिया व वृक्षों की जड़ों के लिए कई बार क्षेत्र के लोग परेशान हो रहे थे। इसी परेशानी को दूर करने के लिए कई वृक्ष लगाए। आज प्रयास सार्थक परिणाम दे रहा है। अवध पाल सिंह ने 1998 में आंवला के 700 पौधों का रोपण किया था। इसके अलावा वाटिका में नींबू, सागौन, आम, बेलपत्र, एप्पल बेर आदि के पौधे उनके बाग में लगे हुए हैं। यह वाटिका लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत है।

चार लाख से अधिक होती है आय

प्रधान अवधपाल सिह बताते हैं कि प्रतिवर्ष वाटिका से लगभग चार लाख रुपये से अधिक की आय होती है।

22 बीघा जमीन में है वाटिका

अवधपाल सिंह ने बताया कि उन्होंने 22 बीघा जमीन में वाटिका लगाई है, जो आसपास के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।


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