काम की है ये खबर, अब NPR का बनेगा रजिस्टर, एप पर होगा सर्वे शुरू Agra News
मथुरा में मई माह में मकानों की बनेगी सूची। जल्द शुरु होगा सर्वे।
आगरा, चन्द्रशेखर दीक्षित। अभी सिटीजन अमेडमेंट एक्ट (सीएए) को लेकर शुरू हुआ शोर थमा भी नहीं है कि जिला प्रशासन ने नेशनल पॉपूलेशन रजिस्टर (एनपीआर) तैयार करने को लेकर कवायद शुरू कर दी है। इतना ही नहीं मई माह में में मकानों की सूची भी तैयार होगी। इन दोनों कार्यों को करने के लिए सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए जिले में पांच मास्टर ट्रेनरों को लखनऊ में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
मंगलवार को अपर संख्याधिकारी संजीव वाष्ण्रेय ने बताया कि मई में मकान सूचीकरण का कार्य शुरू होगा। अभी तक इस कार्य को निजी एजेंसी के माध्यम से कराया जाता था, लेकिन इस बार सरकारी कर्मचारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। साथ ही यह कर्मचारी एनपीआर (नेशनल पॉपूलेशन रजिस्टर) बनाने का भी काम करेंगे। सभी तहसील, ब्लॉक, नगर पालिका, नगर पंचायत के कर्मचारियों को ड्यूटी में लगाया गया है।
2015 में अपडेट हुआ था रजिस्टर
ऐसा नहीं है कि नेशनल पॉपूलेशन रजिस्टर पहली बार बनने जा रहा है। अब से पहले वर्ष 2015 में भी अपडेट हुआ था। वर्ष 2010 में एनपीआर एक निजी संस्था की ओर से तैयार किया गया है। किसी भी स्तर पर कोई गड़बड़ी न रहे। इसके लिए इस वर्ष सरकारी कर्मचारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
सुपरवाइजरों को सौंपी गई है जिम्मेदारी
एनपीआर को लेकर कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए एक एप बनाया गया है, जिस पर सर्वे शुरू होगा। मकानों का सूचीकरण का कार्य भी होना है। इसके लिए पहले कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जाएगी।
ब्रजेश कुमार, एडीएम फाइनेंस
क्या है पूरी प्रक्रिया और किन- किन चरणों में होगी
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर में प्रत्येक नागरिकों को जानकारी रखी जाएगी। ये नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों के तहत स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। आपको बता दें, कोई भी निवासी जो 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में निवास कर रहा है तो उसे एनपीआर में अनिवार्य रूप से पंजीकरण करना होता है।
कैसे शुरू हुई थी जनगणना
भारत सरकार ने अप्रैल 2010 से सितंबर 2010 के दौरान जनगणना 2011 के लिए घर-घर जाकर सूची तैयार करने तथा प्रत्येक घर की जनगणना के चरण में देश के सभी सामान्य निवासियों के संबंध में विशिष्ट सूचना जमा करके इस डेटाबेस को तैयार करने का कार्य शुरू किया था। आजादी के बाद 1951 में पहली जनगणना हुई थी। 10 साल में होने वाली जनगणना अब तक 7 बार हो चुकी है। अभी 2011 में की गई जनगणना के आंकड़े उपलब्ध हैं और 2021 की जनगणना पर काम जारी है। बायोमेट्रिक डाटा में नागरिक का अंगूठे का निशान और अन्य जानकारी शामिल होगी।
क्या है उद्देश्य
- सरकारी योजनाओं के अन्तर्गत दिया जाने वाला लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचे और व्यक्ति की पहचान की जा सके।
- नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के द्वारा देश की सुरक्षा में सुधार किया जा सके और आतंकवादी गतिविधियों को रोकने में सहायता प्राप्त हो सके।
- देश के सभी नागरिकों को एक साथ जोड़ा जा सके।