ट्रेन हादसे से गमगीन नगरिया सातविसा, दो बेटों की मौत के बाद दो और की जान को खतरा
गांव के दो युवकों की मौत, दो की हालत गंभीर। मातम में बदली सामूहिक भोज की खुशी।
आगरा(जेएनएन): कोसीकलां रेलवे स्टेशन पर हुए ट्रेन हादसे से सबसे ज्यादा जख्मी गांव नगरिया सातविसा हुआ है। दुर्घटना के सात घायलों में चार इसी गांव के हैं। इनमें से दो युवकों की मौत हो गई है और दो जीवन एवं मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। एक सामूहिक आयोजन की खुशी में डूबे गांव में घटना के बाद मातम पसर गया। मृतकों के घरों पर चीख पुकार से पूरा गांव गमगीन हो गया। मंगलवार को रेलवे स्टेशन पर ट्रेन की चपेट में आने वाले युवकों में से चार युवक कोसी-शेरगढ़ रोड स्थित गांव नगरिया सातविसा के थे। सुबह गांव एक सामूहिक भोज के आयोजन के जश्न में डूबा हुआ था। गांव के थान¨सह पुत्र हरद्वारी, मेघ¨सह पुत्र कुमर, राजपाल पुत्र श्याम और कृष्ण पुत्र किशन रोज की तरह फरीदाबाद की कंपनी में ड्यूटी के लिए निकले थे। इसमें मेघ¨सह ही ऐसा था जो रिश्तेदारी में जा रहा था। यह सभी दोपहर तक लौट आने की बात कहकर निकले थे। कुछ देर बाद ही गांव में उनके साथ हुए हादसे की सूचना ने गांव को हिला कर रख दिया। हादसे में थान¨सह एवं मेघ¨सह की मौत एवं दो युवकों के घायल होने की सूचना ने गांव में जश्न का माहौल मातम में बदल दिया। पूरे गांव के ग्रामीण घटनास्थल की ओर दौड़ गए। जबकि मृतक एवं घायलों के घर पर कोहराम मच गया। गलियों में सन्नाटे के बीच लोगों का करुण क्रंदन और उन्हें दिलासा देने के लिए उमड़े लोगों की भी भीड़ थी। सभी इस घटना से अवाक थे और दुखी थी। हो भी क्यों न गांव ने एक साथ दो युवकों को खोया है और दो युवक ¨जदगी और मौत से जूझ रहे हैं। लोग घायलों की सलामती के लिए दुआ कर रहे हैं तो मृतक परिजनों की ढांढस बंधाकर उन्हें हादसे को स्वीकारने के लिए कंधे से कंधा मिलाए हुए हैं। उधर भोज स्थल पर सन्नाटा पसरा रहा और आयोजन का सामान भी यूं ही रखा रहा। दुर्घटना में मेघ¨सह की मां भी गंवा चुकी है अपना पैर: स्टेशन पर ट्रेन की चपेट में आए मेघ¨सह के परिवार को हादसों ने गहरे जख्म दिए हैं। मंगलवार के हादसे ने जहां मेघ¨सह को परिवार से छीन लिया तो वहीं पूर्व में उसकी मां भी रेल हादसे का शिकार होकर अपना पैर गवां चुकी है। हादसों के कहर से परिवार बार बार टूटता रहा था। लेकिन इस हादसे ने परिवार के सबसे छोटे बेटे को ही छीन लिया।
नगरिया सातविसा के कुमर ¨सह का परिवार गांव के प्रवेश द्वार पर ही रहता है। परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं है। इसके पीछे हादसों को भी एक बड़ा कारण ग्रामीणों ने बताया है। तीन भाइयों के बीच सबसे छोटा मेघ¨सह अभी पढ़ाई कर रहा था। वह मंगलवार को हरियाणा के पलवल रिश्तेदारी में जाने के लिए घर से निकला था। मेघ¨सह की मां परिवार पर बार-बार टूटने वाले कहर को ही कोस रही थी। दिव्यांग मां कंचन बिलखते हुए कह रही थी कि पहले हादसे ने उसको लाचार कर दिया अब हादसे ने उसके बुढापे की लाठी को उससे छीन लिया। आर्थिक रूप से तंग परिवार मजदूरी से चलता है। मेघ¨सह के भाई सोहन ¨सह एवं राम¨सह मजदूरी कर परिवार को चलते हैं।
बेटे को याद कर बिलख रही थान सिंह की मां: ¨चता न करो मां.. अब मैं भी तो कमाने लगा हूं। त्यौहार को हम भी अच्छी तरह से मनाएंगे। कुछ ही दिन पहले तो ऐसा कहकर थान¨सह ने अपनी मां एवं परिवार की खुशी को दोगुना कर दिया था। किसे पता था कि त्यौहार से पहले ही थान¨सह सभी को बिलखता छोड़कर चला जाएगा।
इसी को याद कर परिवार के आंसू थम नहीं रह हैं। बेटे को याद कर गमजदां मां बार बार बेहोश हो रही है तो बुजुर्ग पिता की आंखें पथरा गई हैं। सभी को एक ही मलाल कि परिवार का सहारा बने थान¨सह को भी भगवान ने उनसे छीन लिया। थान¨सह कामगारों के गांव कहे जाने वाले कोसी-नंदगांव रोड स्थित गांव नगरिया सात विसा का रहने वाला था। परिवार की माली हालत अच्छी नहीं है। दो बहनों एवं तीन भाइयों के बीच में सबसे बड़े थान¨सह ने दसवीं करते ही करीब तीन माह पूर्व फरीदाबाद में नौकरी तलाश ली थी। मंगलवार की सुबह वह मां से जल्दी आने का वायदा करके गया था। कुछ ही देर बाद उसकी मौत की खबर घर पहुंच गई। रक्षाबंधन के त्यौहार से पहले हुए इस हादसे पर बहन मधु एवं संतोष को यकीन नहीं हो रहा। रट लगाए है कि हमारा भाई हमें छोड़कर नहीं जा सकता। बुजुर्ग मां विद्या देवी भी उसकी बातों को दोहराकर बिलखती रही। परिवार के इस करुण क्रंदन ने हर किसी की आंख को नम कर दिया।