Mustard Oil: भाव खा रही सरसों के सोयाबीन ने किए नखरे कम, तेल के दामों में आई कुछ गिरावट
सोयाबीन की नई फसल आने का असर सरसों के तेल पर भी पडा है। थोक भाव 188 प्रति लीटर से घटकर 182 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं। हालात यही रहे तो सरसों के तेल के दाम में और गिरावट आ सकती है।
आगरा, संजीव जैन। पिछले एक महीने से महंगाई की आग में खौल रही सरसों के नखरे सोयाबीन ने कम कर दिए हैं। सोयाबीन की नई बेहतर फसल आने व वायदा बाजार एनसीडीईएक्स पर अक्टूबर माह का भाव 5880 रुपये प्रति क्विंटल होने से सरसों के दाम शनिवार को 9900 रुपये प्रति क्विंटल से खिसकर 8000 रुपये पर आ गए हैं। सरसों के तेल पर भी इसका असर पडा है। थोक भाव 188 प्रति लीटर से घटकर 182 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं। हालात यही रहे तो सरसों के तेल के दाम में और गिरावट आ सकती है।
आगरा आयल मिल के प्रबंध निदेशक कुमार कष्ण गोपाल, कारोबारी ब्रजमोहन अग्रवाल व दिनेश गोयल के अनुसार सरसों का तेल थोक में 25 सितंबर 2021 यानी शनिवार को 180 से 182 रुपये प्रति लीटर रहा। रिटेल बाजार में यह भाव 190 रुपये प्रति लीटर तक है। 15 जून 2021 को सरसों के तेल के दाम थोक में 145 रुपये प्रति लीटर रहे लेकिन मंडी में मांग के सापेक्ष सरसों की आवक कम होने के कारण तेल के दाम बढने लगे। 13 अगस्त 2021 को सरसों के तेल का दाम थोक में 152 से 155 रूुपये प्रति लीटर था, जो इसके बाद लगातार बढ़ रहा था। उन्होंने बताया कि आगरा में सरसों की दो बडी मंडी खेरागढ़ मेंं कागारौल रोड व किरावली मंडी है। यह दोनों मंडी शनिवार को बंद रही पर शुक्रवार को भाव 8000 रुपये पर बंद हुए। कागारौल मंडी के सचिव वीरेन्द्र सिंंह के अनुसार शनिवार को मंडी बंद रही। शुक्रवार को मात्र 4 टन सरसों की आवक हुई तो अगस्त माह में सामाान्यतया प्रतिदिन 10 से 17 टन रोज आवक रही है। कमोवेश यही हालत किरावली मंडी की है। उन्होेंने बताया कि सरसों की कम आवक के चलते सरसों तेल महंगा होने की बात से इंकार नही किया जा सकता है।
दाम घटने के डर से जमाखोर कर रहे सरसों की निकासी
सरसों के तेल उत्पादन में आगरा देश मे अग्रणी है। आगरा में 66 हजार हेक्टेयर में सरसों का उत्पादन होता है पर मांग अधिक होने के कारण यहां की प्रमुख खेरागढ़ में कागारौल रोड स्थित मंडी व किरावली मंडी में हरियाणा व राजस्थान से बड़ी मात्रा में सरसों की आवक होती है। रोज करीब 500 टन सरसों का तेल उत्पादन करने वाली आगरा आयल मिल, बीपी आयल मिल, शारदा आयल मिल व महेश आयल मिल सीधे हरियाणा व राजस्थान मंडी से सरसों क्रय करते हैं। जनपद में छह आयल मिल के अलावा 200 से अधिक स्प्रेलर हैं, जिनके द्वारा रोज करीब 100 टन तेल का उत्पादन किया जाता है। खेरागढ़ मे कागारौल स्थित मंडी व किरावली मंडी में रोज करीब दो हजार क्विंटल सरसों की आवक होती है। इस कारोबार से जुड़े लोगों की मानें तो खेरागढ़ में कागारौल रोड स्थित मंडी व किरावली मंडी के आसपास ही बडी मात्रा मे सरसों की जमाखोरी की गई है। यह खेल इन दोनों स्थानों के साथ-साथ जिले में एक दर्जन स्थानों पर ओर चल रहा है। ऐसे ही खेल सरसों के तेल में है। सरसों खरीदने का क्रय केंद्र नहीं है। इसलिए इसका समर्थन मूल्य भी नहीं है। जो फसल आती है उसे नीलामी से बेचते हैं। किरावली में सरसों की लैब में जांच होती है। तेल के आधार पर उस सरसों के दाम निर्धारित होते हैं। कुल मिलाकर कुछ व्यापारियों ने फसल की जमाखोरी कर ली तो बाजार में सरसों पहुंच नहीं रही है। कम फसल आवक के चलते सरसों का तेल महंगा बिक रहा है। कारोबारी बताते हैं कि सोयाबीन की अच्छी आवक की खबरों के बीच कई जमाखोर सरसों की निकासी कर उसे मंडी में बेच रहे हैं। यही हाल रहा तोे सरसों जल्दी ही सस्ती होगी।
आगरा में ऐसे हो रहा खेल
व्यापारियों की मानेंं तो मंडियों में 7800 से लेकर 8000 रुपये क्िवंटल के हिसाब से सरसों की फसल बिक रही है। इस पर छह प्रतिशत जीएसटी और एक प्रतिशत मंडी शुल्क अलग से लगता है। अगर एक क्विंंटल सरसों की फसल का तेल निकाला जाए तो 33 किलो तेल निकलता है। दो किलो खल जल जाती है। ऐसे में 65 किलो खल बचती है। थोक के रेट में 182 रुपये किलो तेल बिक रहा है। इस हिसाब से 33 किलो तेल की कीमत 6006 रुपये बनती है। वहीं 65 किलो खल 38 रुपये किलो के हिसाब से 2470 रुपये का बिक रहा है। पेराई 320 रुपये क्विंटल है। जबकि लोडिंंग- अनलोडिंंग में पांच रुपये किलो का चार्ज लग जाता है। ट्रांसपोर्ट का खर्च अलग से है।