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Ground Report: तीन तलाक कानून से इन्कार, सुरक्षा की दरकार

जागरण टीम ने फव्वारा नई बस्ती किनारी बाजार तिलक बाजार और छत्ता बाजार के युवाओं पर परखा चुनावी रंग और तीन तलाक का मुद्दा।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 01 Apr 2019 04:32 PM (IST)Updated: Mon, 01 Apr 2019 10:34 PM (IST)
Ground Report: तीन तलाक कानून से इन्कार, सुरक्षा की दरकार
Ground Report: तीन तलाक कानून से इन्कार, सुरक्षा की दरकार

आगरा, सुबान खान। सुबह आठ बजे का वक्त। रात भर नींद के आगोश में सोईं गलियां सूरज की रोशनी पाकर रोशन हो रही थीं। रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने को निकले लोगों का इस्तकबाल करने को बाजार भी तैयार हो रहे थे। ऐसे में चाय की दुकानों पर जुटे लोग चुस्कियों के साथ चुनावी चर्चा की जगह दिनचर्या का खाकाबुनते नजर आए।

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ऐसे में जागरण की टीम फव्वारा, नई बस्ती, किनारी बाजार, तिलक बार और छत्ता बाजार पहुंची तो कैमरा देख युवा ठहर गए। टीमकुछ पूछती उससे पहले उन्होंने ही सवाल दाग दिए। कहां से आए हैं? किस चीज का सर्वे कर रहे हैं? इससे हमें क्या फायदा होगा? टीम ने जवाब दिया, तीन तलाक का मुद्दा और चुनाव की सरगर्मी भांप रहे हैं। टीम ने सवाल पूछे, तो कहीं लड़के और लड़कियां एकमत नजर आए और कहीं चुनावी बयार पर आपस में बहस करने लगे। खास बात ये कि अधिकांश युवा दोनों मुद्दों से अनभिज्ञ मिले। तीन तलाक का लड़कियों ने विरोध किया। तिलक बाजार में डॉक्टर की दुकान पर कंपाउंडर 22 वर्षीय मोहम्मद समद दोनों मुद्दों से अनजान निकले। उन्हीं के सामने डेरी पर बैठे शाहिद खान को शरीयत की जानकारी तो नहीं थी, लेकिन तीन तलाक पर बनने वाले कानून का पुरजोर विरोध किया। कहा कि शरीयत में दखल बर्दाश्त नहीं होगा। दसवीं पास शाहिद ने कहा कि इस कानून से पुरुषों को ब्लैकमेल किया जाएगा। टीम आगे बढ़ी दुकान पर बैठी रसीद खान एंड कंपनी चाय की चुस्कियां ले रही थी। यहां तीन तलाक पर कानून सही या गलत सवाल पूछते ही चुस्कियों में खलल पड़ा। तलाक के तरीके से महरूम कंपनी ने सरकार के साथ मुसलमानों की कमी को कबूला। नई बस्ती में तीन तलाक पर कानून चुनाव में भूमिका निभाएगा या नहीं? इस सवाल पर अय्यूब खान ने साफ इन्कार कर दिया। उनका कहना था सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को राहत पहुंचाने के लिए नहीं, उनके वोट बटोरने को यह मुद्दा उठाया है। पेशे से अधिवक्ता इस्लाम आगाई ने भी कानून का विरोध किया और तलाक का बखूबी तरीका समझाया। उन्होंने कहा कि दूसरे धर्मों में भी तलाक होता है। उन पर भी कानून बनाया जाए। संविधान में हर धर्म को अपने रीति-रिवाज से जीने की आजादी है।

इन्होंने किया विरोध

भाजपा ने राजनीति के लिए तीन तलाक का मुद्दा उठाया था, लेकिन मुस्लिम महिलाओं के लिए यह राहत का कदम है। वे लोग इसका विरोध कर रहे हैं, जिन्हें शरई की जानकारी नहीं हैं। शरई कानून के अनुसार तलाक तीन महीनों में देना सही माना जाता है।

गुलफ्शा, एमजी रोड।

महिलाओं को सुरक्षा की सबसे सख्त जरूरत है। शासन को तीन तलाक पर कानून बनाने के बजाय सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने चाहिए। जिन तथ्यों पर कानून बना है शरीयत में उनका जिक्र नहीं हैं।

आसमा परवीन, इंदिरा पुरम।

सरकार को राहत ही देनी थी तो मुस्लिम महिला विवाह विच्छेदन अधिनियम में संशोधन कर सकते थे। केंद्र ने तीन तलाक के मुद्दे को वोट की खातिर सदन में पहुंचाया था।

अफसाना, ट्रांस यमुना।

तीन बार में तलाक देना तो शरीयत में ही गलत है। मेरे ख्याल से इस पर कानून की जरूरत नहीं। कानून बनने से किसी को फायदा नहीं होगा। गलत लोग जरूर फायदा उठा लेंगे।

शैनिला, छत्ता बाजार।

केंद्र सरकार ने इससे महिलाओं को राहत दी है। मुस्लिम महिलाओं का बहुत उत्पीडऩ हो रहा था। इससे लगाम लगेगी।

अजरा, तिलक बाजार। 


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