संगीत की सनसनी का दौर, पर आज भी मन को सुकून दे रहे नीरज के गीत
तीन बार फिल्म फेयर, पद्मश्री, पद्मभूषण, यश भारती जैसे सम्मानों से सम्मानित कवि गोपाल दास नीरज के दशकों पुराने गीत आज भी श्रोताओं को आकर्षित करते हैं।
आगरा(जागरण संवाददाता): मन को सुकून देती संगीत की मिठास से भरे नीरज के गीत आज भी मन के मीत बने हुए हैं। महाकवि गोपाल दास नीरज का नाम आते ही उनकी कलम से निकले जिंदगी का फलसफा लिये गीत और कविताएं जहन में आ जाती हैं। यो- यो जैसे रैप सॉन्ग का दौर भले ही चल रहा हो। संगीत सुकून नहीं बल्कि सनसनी कि तरह लगता हो लेकिन जब नीरज के गीत बजते हैं तो जिंदगी की धूप में घना साया से लगते हैं। मंगलवार को कवि नीरज की सेहत बिगड़ गई तो हर उम्र के संगीत प्रेमी के मन से एक ही दुआ निकली कि शब्दों का ये जादूगर संगीत की दुनिया का वट वृक्ष है। इसे कुछ नहीं होना चाहिए। प्रशंसकों की ये दुआ काम आई और कवि नीरज की सेहत में सुधार आया।
नीरज के गीतों की इंद्रधनुषी दुनिया:
एक टाइप राइटर से राइटर बने गोपालदास नीरज ने जब अलीगढ़ से मुंबई का रुख किया तो किसी ने उस दौर में शायद ही सोचा होगा कि नीरज फिल्मी दुनिया में एक अमिट पहचान बना सकेंगे। उनके तरकश से गीतों के तीर निकलते गए और मायानगरी उन्हीं के रंग में रंग गई। 60 से 70 के दशक के दौर में अधिकांश फिल्मों में नीरज के गीत ही गूंजते थे। फिल्में बॉक्स ऑफिस पर चले न चलें लेकिन नीरज के गीत हर जुबां पर चढ़ जाते थे।
जीवन के हर रंग, हर दौर पर उन्होंने लिखा। फिल्म मेरा नाम जोकर का गीत
कहता है जोकर सारा जमाना, आधी हकीकत आधा फसाना. समाज का आइना जैसा ही तो था। तो जब कभी दिल गमगीन हो जाए तो उनका लिखा गीत दिल आज शायर है, गम आज नगमा है, शब ये गजल है सनम. लबों पर बरबस ही आ जाता है। बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं, आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं.गीत इंसानियत का पाठ पढ़ाता है। तो किसी की याद में डूबा मन आज भी मेरा मन तेरा प्यासा, मेरा मन तेरा, पूरी कब होगी आशा, मेरा मन तेरा..गीत दोहराता जरूर है। याद में मचलते हुए मन को आज मदहोश हुआ जाए रे, मेरा मन, मेरा मन.गीत संगीत से भर देता है। और मोबाइल पर टेक्स्ट मैसेज वाले दौर में भी कवि नीरज का लिखा गीत लिखे जो खत तुझे, वो तेरी याद में
हजारों रंग के नजारे बन गए.मन में तितलियां उड़ाने लग जाता है।
सम्मान के शिखर पर नीरज:
1970- काल का पहिया घूमे रे भइया, फिल्म चंदा और बिजली
1971- बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं, फिल्म पहचान
1972-ए भाई, जरा देख के चलो, फिल्म मेरा नाम जोकर
1991- पद्मश्री सम्मान, भारत सरकार
1994- यश भारती एवं एक लाख रुपये का पुरस्कार, उत्तर प्रदेश सरकार
2007- पद्मभूषण सम्मान, भारत सरकार