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बिहारी जी को इस संगीत सम्राट का लाड़ खींच लाया था वृंदावन, रागसेवा से शुरू की अनूठी परंपरा

तानसेन और बैज ूबाबर ातक ही सिमट गई संगीत परंपरा, स्वामी हरिदास का पद गायन हो रहा, संगीत साधना नहीं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 02:55 PM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 02:55 PM (IST)
बिहारी जी को इस संगीत सम्राट का लाड़ खींच लाया था वृंदावन, रागसेवा से शुरू की अनूठी परंपरा
बिहारी जी को इस संगीत सम्राट का लाड़ खींच लाया था वृंदावन, रागसेवा से शुरू की अनूठी परंपरा

आगरा(विपिन पाराशर): स्वामी हरिदास एक ऐसा नाम जिसका गान सुनने को बादशाह अकबर भी व्याकुल रहे। मगर उनका बादशाह तो एक ही था, उनका अपना बाके। राधारानी के दुलारे बाकेबिहारी को स्वामीजी ने अपनी रागसेवा से जो लाड़ लड़ाया वह परंपरा के नाम पर ही बची है। उनके बाद कोई भी साधक संगीत और रागसेवा के उन मानको को छू भी नहीं सका। अब तो मंदिरों में यह समाज सेवा के नाम पर ही थोड़ी बहुत चल रही है।

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धु्रपद धमार संगीत के जनक और संगीत साधना से ठा. बाकेबिहारी का प्राकट्य करने वाले स्वामी हरिदास की सेवा परंपरा तो मंदिरों और आश्रमों में फल-फूल रही है पर संगीत साधना का वह जलवा कायम नहीं रहा। संगीतज्ञों के लिए तीर्थ के समान वृंदावन में भी धु्रपद धमार की साधना करने वालों की भारी कमी है। संगीत के पुरोधा तानसेन और बैजू बाबरा के बाद स्वामी हरिदास की संगीत परंपरा के साधक ढूंढे नहीं मिल रहे। हरिदास संगीत परंपरा के प्रख्यात संगीतज्ञ जेआरएस मधुकर कहते हैं कि हरिदास के लिखे संगीत को संतों ने इसलिए उजागर नहीं होने दिया कि इसका कोई अधिकारी आज नहीं है। केलिमाल की शक्तियों में निकुंज रस उपासना के पद हैं। इन पदों में प्रिया-प्रियतम के साक्षात्कार का वर्णन है। तानसेन ने उनकी परंपरा में गाया। आज हम उनके पदों का गायन कर रहे हैं। ब्रज संस्कृति शोध संस्थान के सचिव लक्ष्मी नारायण तिवारी ने कहा कि स्वामी जी के साथ संगीत की वह धारा ही खो गई। स्वामी जी ने जो भी गाया, वह किसी दरबार के लिए नहीं, बल्कि स्वयं भगवान के रास को गाया। उनका संगीत आगे बढ़ाने वाला कोई दिव्य व्यक्तित्व नहीं आ सका। टटिया स्थान के समाज गायन को लोग उनका संगीत समझते हैं, लेकिन ये पद गायन है, संगीत नहीं। वृंदावन शोध संस्थान के डॉ. ब्रजभूषण चतुर्वेदी ने कहा कि स्वामी जी ने ध्रुपद धमार का उद्भव किया। उन्हें ललिता सखी का अवतार कहते हैं। स्वामीजी के ध्रुपद धमार की परंपरा को पंडित विदुर मलिक ने बढ़ाया। आज उनके बेटे प्रेम कुमार मलिक इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।

आज शाम प्राकट्योत्सव में संगीत के दिग्गज देंगे भावांजलि: संगीत सम्राट स्वामी हरिदास के प्राकट्योत्सव पर सोमवार शाम को संगीत की दुनिया के दिग्गज सितारे स्वामीजी को भावाजलि देंगे। इसके लिए स्वामी हरिदास के पवित्र मंच को भारतीय संस्कृति के अनुरुप सुसज्जित करने को विशेष रूप महाराष्ट्र के कला विशेषज्ञ बुलाए गए हैं, जो मंच को सजा-संवारने का कार्य कर रहे हैं। पाडाल के लिए ललितपुर व झासी के विशेषज्ञों को बुलाया गया है। ठा. बाकेबिहारी के प्राकट्यकर्ता स्वामी हरिदास के जन्मोत्सव पर संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदास संमिति का संगीत एवं नृत्य महोत्सव 17 व 18 सितंबर को बन महाराज कॉलेज में मनाया जाएगा। आज शाम 7.30 बजे स्वामीजी के चित्रपट पर पुष्पाजलि एवं दीप प्रज्जवलन के बाद महोत्सव आरंभ होगा। उद्घाटन जगद्गुरु शकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, उत्तराखंड की राज्यपाल बेबीरानी मौर्य, प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ऊर्जा मंत्री श्रीकात शर्मा, संस्कृति मंत्री चौ. लक्ष्मी नारायण करेंगे। समारोह में पूर्वायन चटर्जी सितार वादन, शास्त्रीय गायक उस्ताद राशिद खान अपने सुमधुर कंठ से ठाकुरजी की आराधना करेंगे। कहा कि 150 साल की गौरवमयी परंपरा के साथ यह आयोजन देश का महत्वपूर्ण संगीत एवं नृत्य महोत्सव है।


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