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दस साल तक किया दरवेश और मनीष ने साथ काम, फिर ऐसा क्‍या हुआ कि ले ली जान

यूपी बार कौंसिल अध्‍यक्ष की हत्‍या। गोली मारने वाले अधिवक्‍ता मनीष शर्मा की हालत गंभीर। गुरुग्राम ले जाया गया।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 12 Jun 2019 05:41 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jun 2019 11:27 AM (IST)
दस साल तक किया दरवेश और मनीष ने साथ काम, फिर ऐसा क्‍या हुआ कि ले ली जान
दस साल तक किया दरवेश और मनीष ने साथ काम, फिर ऐसा क्‍या हुआ कि ले ली जान

आगरा, जागरण संवाददाता। दस साल तक एक ही ऑफिस में साथ साथ काम। बार कौंसिल के चुनाव में कदम से कदम मिलाकर साथ देना। दिन रात एक कर प्रचार करना लेकिन फिर अचानक क्‍या हुआ ऐसा कि साथी अधिवक्‍ता ही जान का दुश्‍मन बन गया। दीवानी परिसर में हुए हत्‍याकांड के बाद हर किसी की जुबान पर यही एक सवाल है।  

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बुधवार दोपहर दीवानी परिसर में उप्र बार कौंसिल की अध्‍यक्ष कुमार दरवेश की हत्‍या उनके साथी अधिवक्‍ता मनीष शर्मा ने कर दी। घटना से कुछ देर पूर्व ही उप्र बार कौंसिल की नवनिर्वाचित अध्‍यक्ष का दीवानी परिसर में स्‍वागत समारोह हुआ था। इसके बाद वे अधिवक्‍ता अरविंद मिश्रा के चैंबर में आकर बैठ गईं थीं। तभी साथी अधिवक्‍ता मनीष शर्मा चैंबर में दाखिल हुए और आनन फानन में दरवेश पर एक के बाद एक तीन गोलियां मार दीं। इसके बाद दो गोलियां मनीष ने खुद के शरीर में भी उतार दीं। गोली की आवाज से दीवानी परिसर में सनसनी फैल गई। मौके पर पहुंची पुलिस दरवेश को पुष्‍पांजलि हास्पिटल और मनीष को रेनबो हॉस्पिटल लेकर पहुंची। दरवेश को डॉक्‍टरों ने कुछ ही देर में मृत घोषित कर दिया जबकि मनीष की हालात लगातार बिगड़ने के कारण उन्‍हें मेदांता ले जाया गया है। मनीष के सिर में गोली लगी है। 

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दीवानी परिसर में बार कौंसिल अध्‍यक्ष दरवेश की हत्‍या

घटनाक्रम इतनी तेजी से हुआ कि कोई कुछ समझ नहीं पाया। दीवानी परिसर में मौजूद अन्‍य अधिवक्‍ताओं के अनुसार दरवेश और मनीष शर्मा 2009 से साथ- साथ काम कर रहे थे। दोनों एक ही चैंबर में बैठते थे। दरवेश ने जब बार कौंसिल का चुनाव लड़ा तो कदम से कदम मिलाकर मनीष ने प्रचार भी किया लेकिन आज अचानक क्‍या हुआ ऐसा कि वो उनकी जान का दुश्‍मन ही बन गया। कुछ लोगों के अनुसार दरवेश और मनीष की चुनाव बाद से खटपट चल रही थी। कुछ लोग इसी खटपट को हत्‍या की मुख्‍य वजह बता रहे हैं। 

दो माह से चल रहा था दोनों में विवाद

बार कौंसिल अध्यक्ष दरवेश सिंह ने स्‍वागत समारोह के दौरान अपने साथी अधिवक्ता मनीष शर्मा को बातचीत करने के लिए वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता अरविंद मिश्रा के चैंबर में बुला लिया। दरवेश कुमारी का मनीष शर्मा से दो महीने से विवाद चल रहा था। दोनों पहले एक ही चैंबर में साथ-साथ बैठते थे। बातचीत के दौरान दरवेश का मौसेरा भाई मनोज भी मौजूद था। 

मनीष शर्मा से बातचीत के दौरान दरवेश का विवाद बढ़ गया। इसी बीच, मनीष शर्मा ने अपनी लाइसेंसी पिस्‍टल निकालकर मनोज पर फायर झोंक दिया मगर वो बाल-बाल बचा। मनीष शर्मा ने अगले पल ही बार कौंसिल अध्यक्ष दरवेश को ताबड़तोड़ पांच गोलियां मार दीं। दो गोली सीने में, एक कनपटी, एक हाथ और एक गोली कूल्‍हे में लगी। दरवेश लहूलुहान होकर वहीं गिर पड़ीं।  इसी बीच मनीष ने खुद को भी गोली मार ली।

दो दिन की अध्‍यक्ष ही बन पाईं दरवेश

दो दिन पहले ही दरवेश यादव उत्तर प्रदेश बार कौंसिल की अध्यक्ष निर्वाचित हुई थीं। यूपी बार काउंसिल के इतिहास में वे पहली महिला अध्यक्ष बनी थीं। यूपी बार कौंसिल का चुनाव रविवार को प्रयागराज में हुआ था। दरवेश सिंह और हरिशंकर सिंह को बराबर 12-12 वोट मिले थे। दरवेश सिंह के नाम एक रिकॉर्ड यह भी है कि बार काउंसिल के 24 सदस्यों में वे अकेली महिला थीं।

दरवेश सिंह मूल रूप से एटा की रहने वाली थीं। 2016 में वे बार कौंसिल की उपाध्यक्ष और 2017 में कार्यकारी अध्यक्ष बनी थीं। वे पहली बार 2012 में सदस्य पद पर विजयी हुई थीं। तभी से बार कौंसिल में सक्रिय रहीं। उन्होंने आगरा कॉलेज से विधि स्नातक की डिग्री हासिल की। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय (आगरा विश्वविद्यालय) से एलएलएम किया। उन्होंने 2004 में वकालत शुरू की। दरवेश के पिता सेवानिवृत क्षेत्राधिकारी यूपी पुलिस हैं। दरवेश सहित वे चार भाई बहन थे। जिसमें बहन कंचन दारोगा है, छोटी बहन रेशमा अभी पढ़ रही है और सनी दरवेश के साथ ही रहता था। 

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