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Deepawali 2020: मुगल भी मनाते थे दीपावली, अकबर के समय होता था 'जश्न-ए-चिरागा'

Deepawali 2020 मुगल शहंशाह जहांगीर ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-जहांगीरी में वर्ष 1613 से 1626 तक अजमेर में दीपावली मनाए जाने का जिक्र किया है। जहांगीर दीपक की जगह मशाल जलवाते थे। शहंशाह अपने सिपहसालारों को नजराने भेंट करते थे।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 14 Nov 2020 10:55 AM (IST)Updated: Sat, 14 Nov 2020 10:55 AM (IST)
Deepawali 2020: मुगल भी मनाते थे दीपावली, अकबर के समय होता था 'जश्न-ए-चिरागा'
शहंशाह अपने सिपहसालारों को नजराने भेंट करते थे।

आगरा, जागरण संवाददाता। प्रकाश का पर्व दीपावली मुगल भी मनाते थे। मुगल शहंशाह अकबर के समय में 'जश्न-ए-चिरागा' होता था। इतिहास में अकबर और जहांगीर के समय 'जश्न-ए-चिरागा' मनाए जाने का उल्लेख मिलता है। आगरा किला दीयों की रोशनी में दमक उठता था।

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अकबर के समय में दीपावली मनाए जाने का उल्लेख उसके दरबारी अबुल फजल ने 'आइन-ए-अकबरी' में किया है। अकबर दीपावली पर अपने राज्य में मुंडेर पर दीपक जलवाते थे। महल में पूजा दरबार होता था। ब्राह्मण संपूर्ण साज-सज्जा कर दो गायों को लेकर शाही बाग में आते। ब्राह्मण जब शहंशाह को आशीर्वाद देते तो वो उन्हें मूल्यवान उपहार प्रदान करते। मुगल शहंशाह जहांगीर ने अपनी आत्मकथा 'तुजुक-ए-जहांगीरी' में वर्ष 1613 से 1626 तक अजमेर में दीपावली मनाए जाने का जिक्र किया है। जहांगीर दीपक की जगह मशाल जलवाते थे। शहंशाह अपने सिपहसालारों को नजराने भेंट करते थे। फकीरों को नए कपड़े व मिठाइयां बांटी जातीं। तोप दागने के बाद आतिशबाजी होती थी। मुगलकालीन पेंटिंग्स में भी दीपावली का जश्न दिखाया गया है।

इतिहासविद् राजकिशोर राजे बताते हैं कि मुगल काल में अकबर के समय में दीपावली पर 'जश्न-ए-चिरागा' होता था। अकबर के सहिष्णु होने के बाद इसकी शुरुआत हुई थी। उसके शासन काल के अंतिम वर्षों और जहांगीर के शासन काल के प्रारंभिक वर्षों में 'जश्न-ए-चिरागा' मनाया गया। आगरा किला पर दीयों से रोशनी की जाती थी। एप्रूव्ड टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष शमसुद्दीन बताते हैं कि अकबर के समय में पूरे किले पर दीये जलाए जाते थे। अकबर और जहांगीर के समय 'जश्न-ए-चिरागा' खूब मनाया गया। औरंगजेब के समय यह बंद हो गया। मुगलों के समय में विजयादशमी पर शस्त्रों की पूजा की जाती थी। उस समय हिंदू-मुस्लिम त्योहार मिलकर मनाते थे। 


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