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Mothers Day: 'मां' शब्द में सिमटा संसार, ऐसे दें शिशु को दें गर्भ में संस्कार

रेनबो हाॅस्पिटल में मदर्स डे पर हुई स्वस्थ मां-खुशहाल मातृत्व पर कार्यशाला। भावी माता-पिताओं को बताया कि आप गर्भकाल में ही बच्चे को संस्कार दें।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 11 May 2019 06:10 PM (IST)Updated: Sat, 11 May 2019 06:10 PM (IST)
Mothers Day: 'मां' शब्द में सिमटा संसार, ऐसे दें शिशु को दें गर्भ में संस्कार
Mothers Day: 'मां' शब्द में सिमटा संसार, ऐसे दें शिशु को दें गर्भ में संस्कार

आगरा, जागरण संवाददाता। मां जो हमेशा अपने बच्चों के लिए ही जीती है, कभी आराम नहीं करती। लाड़लों की एक आह उसके दिल को घायल कर देती है। उसका पूरा जीवन बस अपनों के चेहरे पर खुशी और उनकी सलामती के लिए दुआएं करने में बीतता है, तो क्यों उस मां के हिस्से में भी वही प्यार नहीं आता। इस विषय पर मदर्स डे के उपलक्ष्य में रेनबो हाॅस्पिटल में एक महत्वपूर्ण चर्चा हुई।

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मदर्स डे के खास मौके पर हुई इस खास कार्यशाला और व्याख्यान के लिए गर्भवती महिलाओं और उनके परिवारीजनों को आमंत्रित किया गया था। हालांकि यह कार्यक्रम हर व्यक्ति के लिए खास था। बड़ी संख्या में अस्पताल में भर्ती मरीजों के तीमारदारों और स्टाॅफ एवं उनके परिवारीजनों भी कार्यशाला में शामिल हुए। अस्पताल के निदेशक डा. नरेंद्र मल्होत्रा ने गर्भवती महिलाओं और उनके परिवारीजनों को जानकारी दी कि गर्भावस्था में एक महिला का किस तरह ध्यान रखा जाना चाहिए। कहा कि डा. जयदीप मल्होत्रा के कार्यकाल में फाॅग्सी ने पूरे देश में अद्भुत मातृत्व योजना लांच की थी। इसका सीधा संबंध शिशु को गर्भ में ही अच्छा स्वास्थ्य और संस्कार प्रदान करने से था। देश के कई शहरों में स्‍त्री रोग विशेषज्ञों द्वारा इसका क्रियान्वयन आज भी किया जा रहा है। अभिमन्यु की कहानी हम सभी ने सुनी है कि किस तरह उन्होंने अपनी मां के गर्भ में ही चक्रव्यूह भेदने के गुर सीख लिए थे। कोई इसे सच मानता है तो कोई महज कल्पकथा। वर्तमान समय में दुनिया भर में शोध हो रहे हैं कि क्या वाकई एक बच्चा अपनी मां के गर्भ में बहुत कुछ सीख सकता है। आप हैरान होंगे यह जानकर कि तमाम उदाहरण ऐसे सामने आ रहे हैं, जिनसे पता चलता है कि एक बच्चा अपनी मां के गर्भ में सुन सकता है, वह घटनाओं को ग्रहण करना शुरू कर देता है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि जब घर में एक महिला गर्भवती है तो आप अपने घर के वातावरण को सकारात्मक बनाएं। न सिर्फ उसके स्वास्थ्य, खान-पान आदि का ध्यान रखें बल्कि झगडे़, अभद्र भाषा का इस्तेमाल आदि जैसी चीजें न करें। जितना हो सके अध्ययन करें, टेलीवीजन पर धार्मिक कार्यक्रम देखें, पूजा पाठ में ध्यान लगाएं, योग करें। हम जैसा बोते हैं, वैसा ही पाते हैं। ऐसे में गर्भ में शिशु के अंदर भरे गए यह संस्कार ही आगे चलकर माता-पिता के प्रति आदर भाव के रूप में बदलते हैं। इनसे बहुत कुछ और भी अच्छा होता है। डा. मल्होत्रा प्रोजेक्टर के माध्यम से गर्भ में शिशु का विकास किस तरह होता है यह भावी माता-पिताओं व उपस्थितजनों को समझाया। इस खास कार्यशाला में नोवल्टी हैल्थसाइंस के रीजनल मैनेजर योगेश शर्मा का योगदान सराहनीय रहा।

मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डा. राजीव लोचन शर्मा, डा. मनप्रीत शर्मा, डा. शैमी बंसल, योग गुरू विनयकांत नागर आदि ने गर्भावस्था में महिलाओं के स्वास्थ्य, खान-पान, परिवारीजनों द्वारा की जाने वाली देखभाल, योग, दवाओं आदि के बारे में जानकारी दी। इस दौरान रेनबो हाॅस्पिटल के महाप्रबंधक राकेश आहूजा, लवकेश गौतम, सुदीप पुरी, अमृतपाल सिंह चड्ढा, तरूण मैनी, केशवेंद्र सिसौदिया, जगमोहन गोयल, विश्वदीपक, नवनीत, धर्मेंद्र, सुगड़ सिंह, सचिन, मनोज आदि मौजूद थे। 

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