मुहब्बत की सहरी, अमन की दुआ
आगरा: रहमत और मगफिरत के पाक महीने रमजान में हर तरफ अल्लाह की हम दो सना हो रही है।
आगरा: रहमत और मगफिरत के पाक महीने रमजान में हर तरफ अल्लाह की हम दो सना हो रही है। मस्जिदों में कुरआन पूरा होने के बाद शबीना चल रहा है। नाई की मंडी के बड़ा गालिबपुरा रात चार बजे तक रोशनी से चकाचौंध रहता है। खुदा के बंदे मुहब्बत की सहरी और देश में अमन की दुआ कर रहे हैं।
रमजान के इस माह में शहर का बाजार भी रात में गुलजार रहता है। बीती रात मस्जिदों में भी खुशनुमा माहौल नजर आया। बड़ा गालिबपुरा रात 11 बजे से तड़के चार बजे तक गुलजार नजर आया। मस्जिदों में चल रही तरावीह तो पूरी हो गईं। लेकिन अल्लाह के बंदे मगफिरत की दुआ कर रहे थे। तीन दिवसीय शबीना में युवा, बच्चे और बुजुर्गो के दिलों में बसी अल्लाह की मुहब्बत ने रातभर ठहरने के लिए मजबूर कर दिया। रोशनी से सराबोर मस्जिद से लेकर मोहल्ले की पूर गली गुलजार दिखी। नमाजियों केइंतजार में सड़क पर लगी कुर्सी और टेबल सहरी की दावत दे रही थी। हर राहगीर वहीं पर न ठहरते हुए भी ठहर रहा था। सहरी कर रोजे की दुआ करने के बाद वापस खुदा की बारगाह में जुट गए। इबादत की रात, सवाब का काम
छोटे रोजेदारों का कहना है कि अल्लाह की रहमत से यह माह मुसलमानों को फरमाया गया है। रोजेदार आमिर ने बताया कि रातभर अल्लाह की इबादत करते हैं। इसमें अल्लाह सबकी मगफिरत करता है। समूह में महिलाएं सुनतीं कुरआन
हाफिज जीशान के अनुसार रात को घरों में महिलाओं की तिलावत करती है। महिलाओं को समूह किसी एक घर पर इकट्ठा होकर इंशा की नमाज पढ़ती है। इसके बाद कुरआन सुनती है। अल्लाह के इश्क से निखरा युवाओं का नूर
रमजान माह में सबसे अधिक अल्लाह की इबादत में युवाओं जुटे हुए हैं। कारोबारी युवक पांचों वक्त की नमाज और तरावीह की नमाज पढ़ने के लिए समय से दुकान बंद कर देते हैं। इरफान कुरैशी का कहना है कि अल्लाह के इश्क से चेहरे का नूर भी निखर रहा है। इबादत करने वाले शख्स के चहरे पर अल्लाह ताला खूबसूरती पैदा करते हैं। उम्र कम इबादत ज्यादा
रात के माहौल में बच्चे भी इबादत करने में पीछे नहीं रहे। बच्चों की चहल पहल सबसे अधिक चल लुभा रही थी। नौ वर्षीय खालिद अहमद ने कहना है कि इबादत करने की हिम्मत हो तो, उम्र भी हार जाती है।