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वादों से मुकरी सरकार, नहीं हुआ शहर का विकास, जाने क्यों

सेंट्रल पार्क में लगी दैनिक जागरण की चुनावी चौपाल मतदाताओं ने गिनाए शहर के मुद्दे पानी सड़क गंदगी सीवर की बदहाली का रोया दुखड़ा

By Edited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 07:00 AM (IST)
वादों से मुकरी सरकार, नहीं हुआ शहर का विकास, जाने क्यों
वादों से मुकरी सरकार, नहीं हुआ शहर का विकास, जाने क्यों
आगरा, जागरण संवाददाता। चुनाव के दौरान तो बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं और जीतने के बाद सब भूल जाते हैं। हमारे शहर का विकास रुका हुआ है। रोजमर्रा की जरूरतों में भी दिक्कतें आ रही हैं। चुनाव का नाम लेते ही बुजुर्गो का गुस्सा झलकने लगा। किसी ने नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल उठाए तो किसी ने नेताओं को मौका परस्त बताया। दैनिक जागरण की ओर से सोमवार को सेंट्रल पार्क में चुनावी चौपाल का आयोजन किया गया। बुजुर्गो ने शहर के विकास के मुद्दों पर काम न होने पर आक्रोश जताया। बीबीएल शर्मा ने कहा कि निवर्तमान सांसदों ने भी चुनाव के दौरान तमाम वादे किए थे, मगर खबरे नहीं उतरे। आगरा में शिक्षा को व्यवसाय बना लिया गया है। दोहरीकरण हो रहा है। पुरुषोत्तम देव शर्मा ने उनका साथ देते हुए कहा कि शिक्षण संस्थानों के मालिकों की मनमानी चल रही है। शासन प्रशासन इस पर लगाम नहीं लगा पा रहा है। कमल कुमार जैन ने कहा कि आगरा में बेसहारा पशुओं का मुद्दा बड़ा है, लेकिन इसके निदान का तरीका अभी किसी के पास नहीं है। शहर के विकास की बात हुई तो उमेश सिंह से न रहा गया, अपना नंबर आने से पहले ही बोल पड़े और कहा, वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में इन्हीं मुद्दों पर चुनाव हुआ था, लेकिन कोई परिवर्तन नहीं आया है। राजेंद्र शर्मा ने पानी, सफाई, गंगाजल, बैराज का कार्य पूर्ण न होने पर आक्रोश जताया। जेके कुलश्रेष्ठ ने अपनी कालोनी का हाल बताना शुरू कर दिया। इन्होंने ने भी कहा सरकार चाहे जो भी बने, हमें तो आतंकवाद का खात्मा देखना है। निवर्तमान सरकार इस नीति पर चल रही है। हरिओम तिवारी आगरा में सड़कों पर काफी रकम खर्च होती है, लेकिन सड़क बनने के बाद मात्र कुछ दिन ही चलती हैं। फिर कोई ध्यान नहीं देता है। प्रदीप अग्रवाल आगरा की जनता को पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। गंगाजल शहर में आने के बाद भी लोगों को नहीं मिला है। शंकरलाल शासन-प्रशासन सब एक जैसे हैं। सरकार योजना बनाती है, लेकिन अफसर उसे धरातल तक नहीं पहुंचाते हैं। शासन फिर सुध नहीं लेता है। राजेंद्र

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