मोबाइल की लत से सात जन्मों का साथ 15 दिन में टूटा, सास को पसंद नहीं इंटरनेट मीडिया देखने वाली बहू
परिवार परामर्श केंद्र पर आ रहे दंपती जब विवाद बताते हैं तो काउंसलिंग करने वालों के लिए भी कई बार मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं। दंपती के विवाद की काउंसिलिंग में निकल रहा मुख्य कारण-पहले महिलाएं शराब पीकर झगड़ा करने की थीं अधिक शिकायतें अब मोबाइल की।
आगरा, जागरण टीम। केस एक: नंदगांव क्षेत्र की एक युवती का विवाह डेढ़ साल पहले नूंह मेवात क्षेत्र के एक युवक से हुआ। पांच-छह महीने तक सब कुछ ठीक-ठाक चला, लेकिन उसके बाद दंपती में झगड़ा होने लगा। महिला मोबाइल पर अधिक बातचीत करती थी, जो पति को पसंद नहीं था। फेसबुक और वाट्सएप की चैटिंग दोनों के विवाद को महिला थाने ले आई। हालांकि, आरोप दहेज उत्पीडन का था, लेकिन काउंसिलिंग झगड़े का कारण महिला अधिकांश समय मोबाइल देती है।
केस दो-कोतवाली क्षेत्र की एक युवती का विवाह जयपुर के युवक के साथ दो साल पहले हुआ। युवक जयपुर में सर्विस करता है। शादी के चार-पांच महीने बाद ही महिला की दूरी पति और उसके माता-पिता से हो गई। पत्नी को शक था, उसका पति मोबाइल पर दूसरी महिला से बात करता है, जबकि पति को शक था कि महिला किसी दूसरे युवक से मोबाइल पर बात करती है। घरेलू कामकाज पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। महिला के माता-पिता का दखल अधिक बढ़ते ही मुकदमा शुरू हो गया।
केस तीन : थाना मांट क्षेत्र में तो एक युवक और युवती के हाथों की मेहंदी भी नहीं छूटी थी। एक दूसरे को दंपती अच्छी तरह से समझ भी नहीं पाए। मामूली बात पर तकरार हो गई। आरोप दहेज की मांग पूरी न होने का लगाया गया। मगर, जब पुलिस दोनों पक्षों को लेकर समझाने के लिए बैठी तो मामला मोबाइल पर बातचीत का निकला। सास ने कुछ कह दिया और बहू ने उस पर ध्यान नहीं दिया। वह स्वजन से बात करती रही और ससुराल में बात बिगड़ गई। हालांकि बाद में दोनों के बीच समझौता हो गया।
मोबाइल पर अधिक समय देने, ससुराल की छाेटी-छोटी बात को तुरंत मायके में बताने, इंटरनेट मीडिया पर चैटिंग करने और घरेलू कामकाज पर कम ध्यान देने के कारण दांपत्य जीवन में खटास आ रही है। मोबाइल की लत ऐसी लग रही है कि जो दंपती सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा करते हैं, कुछ महीनों में ही उनके रिश्तों में दरार पड़ रही है। घरेलू कलह के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। जितने भी मामले महिला थाने पहुंच रहे हैं, उनमें 70 प्रतिशत मामले पति या पत्नी के मोबाइल पर अधिक समय देने के हैं।
महिला थाना प्रभारी अलका ठाकुर बताती हैं, पचास से साठ प्रतिशत ऐसे मामले आ रहे हैं, जिनका मुख्य कारण मोबाइल बन रहा है। महिलाएं अपने परिवार कम ध्यान देती हैं और मोबाइल पर अधिक। पति-पत्नी के बीच शक की सुई भी मोबाइल घुमा रहा है।
महिला अपने पति पर किसी दूसरे महिला से संबंध होने को लेकर शक करती है, तो पुरुष भी अपनी पत्नी के दूसरे व्यक्ति से संबंध होने को लेकर शक जाहिर कर रहा है। इंस्पेक्टर अलका ठाकुर कहती हैं, कोई भी सास नहीं चाहती है कि उसके घर में बहू के मायके वाले दखल दें, लेकिन स्थिति यह है कि ससुराल की हर बात महिला मायके पहुंचा रही है।
यहां तक है कि रसोई के भोजन तक की जानकारी दी जा रही है। पति कामकाज से आया है, पर पत्नी मोबाइल पर व्यस्त है। काउंसिलिंग कर दंपती को समझाने के प्रयास किए जाते हैं। कई ऐसे मामले में समझौते भी हुए हैं। उन्होंने बताया, अब तक 150 मुकदमों में समझौता भी कराया गया, जबकि 44 की काउंसिलिंग चल रही है।