खुशहाल परिवारों में दरार, मोबाइल और मायका करा रहा पति-पत्नी में तकरार, ये सात कारण हैं बड़े
परिवार परामर्श केंद्र काउंसलिंग को आने वाले 50 फीसद मामलों में विवाद का कारण बना। काउंसलर को पति-पत्नी को आमने-सामने बैठा दूर करनी पड़ती हैं गलतफहमी। बीते डेढ़ साल में 2700 मामले पहुंच चुके हैं पुलिस के पास।
आगरा, अली अब्बास। दंपती की शादी को कुछ साल ही हुए हैं। दोनों के बीच सब कुछ अच्छा चल रहा था। मगर, पत्नी की एक आदत ने पति के मन में शक का बीज बो दिया। पति ने एक दिन पत्नी का मोबाइल किसी काम से लिया। पत्नी से पासवर्ड पूछा तो उसने बता दिया। कुछ दिन बाद पति ने दाेबारा पत्नी का मोबाइल लिया, इस बार नया पासवर्ड था।
जिसके बाद पति ने परखने के लिए जितनी बार भी पत्नी का मोबाइल लिया, उसका पासवर्ड बदला होता था। जिससे पति के मन में शक पैदा हो गया। पासवर्ड को लेकर दंपती के बीच इतनी तकरार बढ़ी कि मामला पुलिस तक पहुंच गया। पति-पत्नी को काउंसलिंग के लिए परिवार परामर्श केंद्र भेजा गया। काउंसलर ने दंपती को समझाया कि पति-पत्नी के बीच कुछ छिपा नहीं होता। जिसके बाद दोनों इस बात पर राजी हुए कि वह एक दूसरे से अपने मोबाइल का पासवर्ड नहीं छिपाएंगे।
केस दो: दंपती की शादी को लगभग छह साल हुए थे। मायके में वह भाई के मोबाइल पर यूट्यूब पर अपने मनपसंद कार्यक्रम देख लेती थी। शादी के बाद ससुराल आने पर तीन साल से पति से स्मार्ट फोन मांग रही थी। पति ने ध्यान नहीं दिया, जिससे पत्नी नाराज हो गई। वह मायके चली आई, तीन साल से वहां थी। पति और ससुराल वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न की शिकायत कर दी।
मामला परिवार परामर्श केंद्र में पहुंचने पर काउंसलिंग के दौरान झगड़े की मूल वजह सामने आई। पति को नाराजगी का असली कारण समझ में आया तो उसने पुलिस और काउंसलर के सामने ही पत्नी को स्मार्ट फोन दिलाने का वादा किया। जिसके बाद पत्नी साथ घर चलने को राजी हुई।
माेबाइल और मायका पति-पत्नी के बीच अब रार का कारण बन रहा है। इसे लेकर होने वाले विवाद घर की चहारदीवारी से निकलकर अब पुलिस तक पहुंच रहे हैं। जिसमें पुलिस को काजी बनना पड़ रहा है। पुलिस परिवार परामर्श केंद्र, आशा ज्योति केंद्र में आने वाले वाले 50 फीसद मामलों में पति-पत्नी के बीच झगड़े का कारण कहीं न कहीं मोबाइल और मायका होता है।
काउंसलिंग के दौरान पत्नी का आरोप होता है कि पति उसे फोन पर मायके वालों से बात नहीं करने देता। वहीं, पति का आरोप होता है कि पत्नी उसके आफिस जाने के समय भी माेबाइल पर व्यस्त रहती है। मोबाइल पर देर तक व्यस्त रहने से घर के बाकी काम समय पर नहीं हो पाते। काउंसलर के समझाने पर कई पति-पत्नी को अपनी गलती का अहसास होता है, उनकी बात बन जाती है।
महत्वपूर्ण तथ्य
2700: एक जनवरी 2021 से 25 जून 2022 के दौरान पति-पत्नी के विवाद के मामले पुलिस के पास पहुंचे।
1000: मामलों में पुलिस ने काउंसलर की मदद से पति-पत्नी के बीच सुलह कर उनकी गृहस्थी को उजड़ने से बचाया।
300: काउंसलिंग के लिए नोटिस भेजने के बाद भी लगातार तीन तारीखों पर न आने वाले पतियों, काउंसलिंग के बाद पति और ससुराल पक्ष को दोषी पाए जाने पर मुकदमा दर्ज कराया गया।
1200: फाइलों को निस्तारित किया। ये वह फाइलें थीं, जिनमें एक पक्ष अदालत में चला गया। वहीं कुछ मामलों में एक पक्ष ने पुलिस में शिकायत की, लेकिन बाद में परिवार व समाज की पंचायत में राजीनामा होने पर दंपती परिवार परामर्श केंद्र नहीं आए।
200: मामलों में दंपतियों की काउंसलिंग की प्रक्रिया चल रही है।
पति-पत्नी के बीच विवाद के ये हैं कारण
-पति कार्यालय से लौटने के बाद भी अपना अधिकांश समय मोबाइल पर बिताते हैं। पत्नी आैर बच्चों को समय नहीं देते हैं।
-पति अपनी कमाई का अधिकांश हिस्सा शराब में उड़ा देते हैं। समय पर खर्च नहीं देने से घर चलाने में दिक्कत आती है।
-पति के किसी अन्य महिला से संबंध हैं, वह देर रात तक मोबाइल पर उससे चैटिंग करते हैं।
-पत्नी माेबाइल पर मायकों वालों से घंटाें बात करती रहती है, जिससे बच्चों और पति के कार्य प्रभावित होते हैं।
-पत्नी की मां और मायके वाले जरूरत से ज्यादा उनके बीच में हस्तक्षेप करते हैं।
-घर देर से लौटने पर पत्नी तरह-तरह के सवाल करती है।
-पत्नी के किसी और से प्रेम संबंध हैं।
बच्चों के भविष्य पर पड़ रहा बुरा असर
मनोचिकित्सक डा. दिनेश राठौर का कहना है कि पति पत्नी के बीच अक्सर होने वाले झगड़ों का बुरा असर बच्चों के मानसिक स्वास्थय पर पड़ रहा है। आगे जाकर वे किसी न किसी मनोरोग का शिकार बन जाते हैं।