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ऐसी मेहमानवाजी से यहां गदगद हुए विदेशी परिंदे, जानिये क्‍या है कारण

फरवरी के अंत तक लौटने वाले फ्लेमिंगो पेलिकन अभी भी कीठम पक्षी विहार में कर रहे हैं अठखेलियां

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 04 Mar 2019 05:57 PM (IST)Updated: Mon, 04 Mar 2019 05:57 PM (IST)
ऐसी मेहमानवाजी से यहां गदगद हुए विदेशी परिंदे, जानिये क्‍या है कारण
ऐसी मेहमानवाजी से यहां गदगद हुए विदेशी परिंदे, जानिये क्‍या है कारण

आगरा, जागरण संवाददाता। विदेशी परिंदे 'मौसम' की मेहमानवाजी से गदगद हैं। कीठम पक्षी विहार में फ्लेमिंगो, पेलिकन, बार हेडेड गूज सहित विदेशी पक्षी सर्द मौसम में सूरज की किरणों के संग अठखेलियां कर रहे हैं। मौसम के बदले मिजाज से विदेशी पक्षियों का कीठम में प्रवास 15 से 20 दिन बढ़ा दिया है। 

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अक्टूबर से यूरोपियन देशों में बर्फ पडऩे लगती है। वहां से विदेशी पक्षी 403.09 हेक्टेयर में फैले कीठम सूर सरोवर पक्षी विहार का रुख करते हैं। यूरोपियन देशों में साइबेरिया के साथ ही अमेरिका सहित अन्य देशों से विदेशी पक्षी यहां आते हैं। इस बार बार हेडेड गूज, पिनटेल, कॉमनक्रेन सहित अन्य विदेशी पङ्क्षरदे कीठम में आए हैं। पिछले कुछ सालों से फरवरी में गर्म मौसम होते ही पक्षी लौटने लगते थे। मगर, इस बार फरवरी में बारिश और ओले पडऩे से तापमान में बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। सर्द हवाओं में सूरज की किरणों के बीच कीठम झील में विदेशी पक्षी अठखेलियां कर रहे हैं। यहां पक्षी प्रेमियों को देखने वालों की भीड़ उमड़ रही है।

पेलिकन व फ्लेमिंगो की बढ़ गई संख्या
कीठम का माहौल साइबेरिया से आने वाले फ्लेमिंगो और पेलिकन को खूब रास आ रहा है। पिछले सालों में इन पक्षियों की संख्या करीब दो सौ थी, लेकिन इस साल बढ़कर चार सौ पार हो गई है। सबसे ऊंचाई पर उडऩे वाले बार हेडेड गूज, पिनटेल, कॉमनक्रेन सहित अन्य पक्षियों की संख्या भी बढ़ी है।

कीठम में आने वाले परिंदों की संख्या
वर्ष संख्या
2017 6000
2018 7000
2019 7500

मौसम से बढ़ा ठहराव
गर्मी में विदेशी पक्षी लौटने लगते हैं, इस बार बारिश और ओले से सर्द हवाएं चल रही हैं, इससे विदेशी पक्षियों का कीठम में 10 से 15 दिन ज्यादा ठहराव हो सकता है।
आनंद कुमार , उप वन संरक्षक, वाइल्ड लाइफ।

चंबल में भी बढ़े घडिय़ाल और मगरमच्छ
आगरा: पिछले कुछ सालों घडिय़ाल और मगरमच्छों का कुनबा भी चंबल सेंचुरी में बढऩे लगा है। पांच साल पहले जहां दोनों की संख्या एक हजार से कुछ ज्यादा थी, अब यह संख्या दोगुने से भी ज्यादा हो गई है।

चंबल सेंचुरी में बढ़े घडिय़ाल
वर्ष घडिय़ाल मगरमच्छ
2013 905 356
2014 948 390
2015 1088 402
2016 1162 462
2017 1255 562
2018 1687 611 


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