मेट्रो के कागजी ट्रैक पर फिर से दौड़ेंगे दिमागी घोड़े
आगरा: सोमवार को आगरा मेट्रो को झटका लगा। अब नए सिरे से डीपीआर तैयार की जाएगी।
जागरण संवाददाता, आगरा: कभी राइट्स तो कभी अन्य निजी एजेंसी। सर्वे और डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने में अब तक करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं। एक बार फिर से सर्वे होगा और नए सिरे से डीपीआर बनेगी। मेट्रो रेल के कागजी ट्रैक पर दिमागी घोड़े दौड़ेंगे।
आगरा शहर में ट्रैफिक की समस्या विकराल होती जा रही है। डेढ़ दशक से भी अधिक समय से मेट्रो के संचालन की मांग की जा रही है। सूत्रों के अनुसार 15 साल के भीतर अब तक 70 के करीब बैठकें हो चुकी हैं। एक बैठक में 25 हजार रुपये खर्च हो चुके हैं, जबकि शहर में दस सर्वे हो चुके हैं। यह सर्वे तत्कालीन मंडलायुक्त और एडीए उपाध्यक्ष के कार्यकाल में हुए हैं। एक सर्वे में 50 लाख रुपये खर्च हुए हैं।
रेलवे की संस्था राइट्स से अलग से सर्वे कराया गया। यह सर्वे दो बार से अधिक हो चुका है। इसमें पांच करोड़ रुपये से अधिक खर्च हुआ है। पिछले वर्ष राइट्स ने सर्वे कर राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी थी। राज्य सरकार ने इस पर कई आपत्तियां लगा दी थीं। फिर से सर्वे हुआ और इस पर 50 लाख रुपये खर्च हुए। राज्य सरकार से मंजूरी मिलने के बाद प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया गया। केंद्र ने नई मेट्रो नीति के तहत प्रस्ताव को तैयार करने के आदेश दिए। फिर से प्रस्ताव में संशोधन किए गए। पिछले दिनों राज्य सरकार ने एक बार फिर से वर्ष 2025 में मेट्रो को कितने यात्री मिलेंगे और इससे उसे कितना लाभ होगा, यह जानकारी मांगी थी। आगरा शहर में मेट्रो के दो कॉरिडोर चिह्नित किए गए थे। कुल 30 किमी मेट्रो का ट्रैक बिछना था, लेकिन सोमवार को आगरा मेट्रो को झटका लगा। अब नए सिरे से डीपीआर तैयार की जाएगी।
छह माह में तैयार होगी डीपीआर
नई डीपीआर को तैयार करने में छह माह का समय लगेगा। एडीए उपाध्यक्ष राधेश्याम मिश्रा ने बताया कि इसके लिए जल्द ही नई एजेंसी का चयन किया जाएगा।
पीपीपी मॉडल से नहीं चलेगी आगरा मेट्रो
सोमवार को लखनऊ में मुख्य सचिव राजीव कुमार की अध्यक्षता में बैठक हुई। जिसमें पीपीपी मॉडल से मेट्रो रेल को न चलाने का निर्णय लिया गया। यूपी मेट्रो रेल के सलाहकार श्रीधरन भी इस पक्ष में नहीं हैं।