Monument of Shivaji: म्यूजियम छत्रपति शिवाजी के नाम पर तो स्मारक स्थल का क्या होगा अब
मुख्यमंत्री ने पिछले वर्ष 19 जून को शिवाजी से संबंधित जगह पर बनाने के दिए थे निर्देश। इतिहास संकलन समिति के शोध के आधार पर विधायक योगेंद्र उपाध्याय ने की थी मांग।
आगरा, निर्लोष कुमार। ताजनगरी में निर्माणाधीन मुगल म्यूजियम अब छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से जाना जाएगा। इससे कोठी मीना बाजार मैदान में शिवाजी का स्मारक स्थल बनाने का प्रस्ताव अधर में लटक सकता है। विधायक योगेेंद्र उपाध्याय के प्रस्ताव पर शासन द्वारा पूर्व में रिपोर्ट मांगी गई थी, जिस पर प्रशासन ने सर्वे कराकर रिपोर्ट भेजी थी।
आगरा में शिवाजी से संबंधित जगहों पर इतिहास संकलन समिति के प्राे. सुगम आनंद और डॉ. अमी आधार निडर ने शोध किया था। शोध में उन्होंने औरंगजेब द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज को कोठी मीना बाजार की जगह नजरबंद करने का दावा किया था। इसी शोध के आधार पर विधायक योगेंद्र उपाध्याय ने चार जून, 2020 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर प्रत्यावेदन सौंपा था। उन्होंने मुख्यमंत्री से कोठी मीना बाजार को स्मारक स्थल के रूप में विकसित करने, शिवाजी की मूर्ति लगाने, म्यूजियम बनाने, साउंड एंड लाइट शो कराने की मांग की थी। 19 जून, 2020 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छत्रपति शिवाजी से संबंधित जगह पर म्यूजियम बनाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद प्रशासन द्वारा जमीन का सर्वे कराया गया। अब मुख्यमंत्री ने आगरा में निर्माणाधीन मुगल म्यूजियम का नामकरण छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर करने के निर्देश दिए हैं। म्यूजियम में शिवाजी से संबंधित गैलरी बनाए जाने पर शासन द्वारा पिछले वर्ष सितंबर में ही निर्देश दिए गए थे। म्यूजियम में ही शिवाजी से संबंधित गैलरी बनाए जाने की स्थिति में शिवाजी से संबंधित कोठी मीना बाजार के प्रस्ताव के भविष्य पर सवाल उठ रहा है कि अब यहां
स्मारक स्थल बनेगा या नहीं?
विधायक योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि अागरा की धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक धरोहरों को उन्होंने म्यूजियम में समाहित करने की मांग की थी। नाम बदले जाने के बाद अब म्यूजियम में आगरा का समग्र इतिहास होगा। वहीं, कोठी मीना बाजार मैदान में छत्रपति शिवाजी महाराज का स्मारक स्थल बनाने को वो शीघ्र ही मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे।
फिदाई हुसैन की हवेली में रहे थे नजरबंद
इतिहास संकलन समिति ने शोध में दावा किया था कि 12 मई, 1666 को शिवाजी को राजा जयसिंह के बेटे राम सिंह की छावनी के निकट सिद्धी फौलाद खां की निगरानी में औरंगजेब द्वारा नजरबंद किया गया था। 16 मई, 1666 को शिवाजी को रदंदाज खां के मकान पर ले जाने का आदेश हुआ। राम सिंह की छावनी के निकट स्थित फिदाई हुसैन की शहर के बाहर टीले पर स्थित हवेली में शिवाजी को रखा गया। जयपुर म्यूजियम में रखे आगरा के नक्शे के अनुसार राम सिंह की हवेली कोठी मीना बाजार के नजदीक थी। अभिलेखों में यह जगह आज भी कटरा सवाई राजा जयसिंह के नाम से दर्ज है। समिति ने दावा किया था कि राम सिंह की हवेली के निकट ही फिदाई हुसैन की हवेली थी, जो कोठी मीना बाजार ही है। यहीं से शिवाजी अपने पुत्र के साथ फलों की टोकरी में बैठकर निकल गए थे।
ब्रिटिश काल में था गर्वनर हाउस
शोध में दावा किया गया था कि कोठी मीना बाजार के टीले पर बना मकान वर्ष 1803 में अंग्रेजों के कब्जे में आया। पुराने जर्जर भवन को तोड़कर वर्ष 1837 में नई कोठी बनाई गई, जिसे गर्वनर हाउस कहा गया। यहां तत्कालीन गर्वनर जनरल का आवास बना। 1857 तक यह अंग्रेजों की संपत्ति रही। बाद में नीलामी में इसे राजा जयकिशन दास ने खरीदा।