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Surrogacy Gang: पुलिस उगलवा न सकी कुछ खास, बिना राज उगले जेल गया कोख का सौदागर विष्णुकांत

International Surrogacy Gang अस्मिता के गैंग में क्या भूमिका थी यह भी नहीं हुआ स्पष्ट। बेंगलुरू से गिरफ्तार कर फ्लाइट से लाई थी पुलिस।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 22 Aug 2020 11:14 AM (IST)Updated: Sat, 22 Aug 2020 11:35 AM (IST)
Surrogacy Gang: पुलिस उगलवा न सकी कुछ खास, बिना राज उगले जेल गया कोख का सौदागर विष्णुकांत
Surrogacy Gang: पुलिस उगलवा न सकी कुछ खास, बिना राज उगले जेल गया कोख का सौदागर विष्णुकांत

आगरा, यशपाल चौहान। कोख के सौदागर गैंग की सरगना अस्मिता का जिसे पति और राजदार बताया जा रहा था, उसने राज नहीं उगले। बेंगलुरू से गिरफ्तार कर यहां लाई पुलिस दो दिन तक उससे पूछताछ करती रही। मगर, गैंग में उसकी भूमिका स्पष्ट नहीं हो सकी। पुलिस का दावा है कि फरीदाबाद में पैदा हुए दो नवजातों को सिलीगुड़ी पहुंचाने के लिए उसी ने राहुल को फोन किया था। बस यही बात उसने पूछताछ में कबूली है।

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आगरा के फतेहाबाद क्षेत्र में 19 जून को कोख के सौदागर गैंग से जुड़ी फरीदाबाद की नीलम और रूबी समेत पांच गिरफ्तार हुए थे। इनसे तीन नवजात बच्चियां बरामद हुई थीं। पूछताछ में स्पष्ट हुआ था कि वे अवैध रूप से सरोगेसी कराके बच्चों को नेपाल में बेचने ले जा रहे थे। सरगना नेपाल की अस्मिता है। पुलिस की जांच में सामने आया कि फरीदाबाद में ही इस गैंग से जुड़ी महिलाओं ने दो लड़कों को जन्म दिया था। उन्हें यह गैंग सिलीगुड़ी पहुंचाकर आया था। पुलिस ने सिलीगुड़ी से बच्चों को नेपाल पहुंचाने वाली कल्पना और उसके पति को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। बुधवार को पुलिस की टीम बेंगलुरू से डॉ. विष्णुकांत को गिरफ्तार कर लाई थी। अब तक पुलिस उसे अस्मिता का पति बता रही थी। साथ ही गैंग को दिल्ली में रहकर ऑपरेट करने की बात भी कही जा रही थी। उसकी गिरफ्तारी के बाद मामला उलझ गया। विष्णुकांत ने बताया कि वह एंब्रियोलॉजिस्ट के तौर पर दिल्ली के गई आईवीएफ सेंटरों में काम कर चुका है। वर्ष 2017 में ही वह मकान बेचकर कर्नाटक में शिफ्ट हो चुका था। अस्मिता उसकी पत्नी नहीं है। केवल दोस्त है। डेढ़ वर्ष से उसकी बात भी नहीं हुई। दो दिन तक पुलिस विष्णुकांत से पूछताछ करती रही। उससे सख्ती से पूछताछ की जाती तो वह खुद को हार्ट पेशेंट बता देता था। इसलिए पुलिस सख्ती नहीं कर सकी।

सीओ विकास जायसवाल ने बताया कि विष्णुकांत ने कबूला है कि उसने सरोगेट मदर से पैदा हुए दो नवजात बच्चों को ले जाने के लिए बदरपुर निवासी राहुल सारस्वत को कॉल किया था। मगर, उसे यह नहीं पता कि वे बच्चे किस कपल के थे या उन्हें कहां पहुंचाया जाना था। उससे बच्चों को सिलीगुड़ी भेजने को किसने कहा? इस सवाल का भी उसने जवाब नहीं दिया। अस्मिता के बारे में आरोपित ने केवल इतना बताया कि वह वहां एक हॉस्पिटल में ब्लड सेंपल लेने आई थी। तभी मुलाकात हुई। वह किसी पैथोलॉजी लैब पर काम करती है। बच्चों को बेचने वाले गिरोह से तार जुड़े होने के बारे में उसने कुछ नहीं बताया है। अब पुलिस के लिए अस्मिता तक पहुंचने की बड़ी चुनौती है। क्योंकि पुलिस विष्णुकांत की गिरफ्तारी के बाद अस्मिता तक पहुंचने की राह आसान होने की मानकर बैठी थी।


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