मेडिकल स्टोर पर गर्भपात से लेकर हर मर्ज का इलाज, जानिए कैसे हो रहा धोखा Agra News
पंजीकरण कराकर झोलाछाप कर रहे बीमार लोगों का उपचार। फार्मेसिस्ट के बिना संचालित हो रहे मेडिकल स्टोर।
आगरा, जागरण संवाददाता। मेडिकल स्टोर में झोलाछाप क्लीनिक चला रहे हैं। ये गर्भपात से लेकर हर मर्ज की दवा दे रहे हैं। मेडिकल स्टोर में ही बुखार और दस्त से पीडि़त मरीजों को ड्रिप लगाई जा रही हैं। शहर से लेकर देहात तक सैकड़ों अवैध मेडिकल स्टोर संचालित हो रहे हैं।
झोलाछाप मेडिकल स्टोर का पंजीकरण कराकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग और औषधि विभाग की टीम मेडिकल स्टोर पर इलाज करते हुए संचालकों को पकड़ चुकी है। देहात में इनकी संख्या ज्यादा है।
जन औषधि केंद्र पर दवाओं का टोटा
जिले में 14 जन औषधि केंद्र हैं, यहां दवाओं की कमी रहती है। जिला अस्पताल, लेडी लायल महिला चिकित्सालय और मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय में जन औषधि केंद्र खुले हुए हैं। मगर, डॉक्टर जेनेरिक दवाएं नहीं लिख रहे हैं। ऐसे में मरीज जन औषधि केंद्र से सस्ती दवा नहीं खरीद पा रहे हैं। वहीं, सभी दवाएं उपलब्ध न होने पर मरीजों को बाजार से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ रही है।
दवाओं में 20 से 60 फीसद तक का मुनाफा
दवाओं में 20 से 60 फीसद तक का मुनाफा है। ऐसे में पिछले कुछ समय से चैरिटेबल मेडिकल स्टोर खुलने के बाद एमआरपी से 10 फीसद कम रेट पर दवाओं की बिक्री की जा रही है। महंगे इंजेक्शन से लेकर अन्य दवाएं एमआरपी से 60 फीसद कम रेट पर मेडिकल स्टोर संचालक खरीद रहे हैं।
हॉस्पिटल में बिना लाइसेंस और फार्मेसिस्ट के चल रहे मेडिकल स्टोर
हॉस्पिटल में मेडिकल स्टोर संचालित करने के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य है। मगर, तमाम हॉस्पिटल में पंजीकरण के बिना मेडिकल स्टोर संचालित किए जा रहे हैं। कुछ डॉक्टरों के परिजन भी दवा कंपनी संचालित कर रहे हैं। डॉक्टरों द्वारा इनकी दवाएं लिखी जाती हैं, ये दवाएं हॉस्पिटल में संचालित मेडिकल स्टोर में ही मिलती हैं। ऐसे में मरीजों को मजबूरी में हॉस्पिटल के मेडिकल स्टोर से महंगी दर पर दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं।
फार्मेसिस्ट न होने पर 300 मेडिकल स्टोर के लाइसेंस हो चुके हैं निरस्त
मेडिकल स्टोर के ऑनलाइन पंजीकरण और नवीनीकरण किए जा रहे हैं। ऐसे में पिछले दो साल में बिना फार्मेसिस्ट और एक फार्मेसिस्ट के नाम से चल रहे दो से तीन मेडिकल स्टोरों पर कार्रवाई की गई। इससे 300 मेडिकल स्टोर के लाइसेंस निरस्त हो चुके हैं।
ये हैं मानक
- मेडिकल स्टोर के लिए फार्मेसिस्ट की अनिवार्यता , थोक दवा की दुकान में अनिवार्यता नहीं है, लेकिन अनुभव होना चाहिए।
- 10 वर्ग मीटर में दुकान होनी चाहिए।
- फ्रिज, दवाएं रखने के लिए रैक, पशुओं की दवाएं और एक्सपायर दवाएं रखने के लिए अलग से रैक होनी चाहिए।
- बिक्री पर बिल देना अनिवार्य।
ये है हाल
- मेडिकल स्टोर - 2700
- थोक दवा की दुकानें - 1700
- दो साल में निरस्त किए गए मेडिकल स्टोर के पंजीकरण - 300
मेडिकल स्टोर से पर्चे के बिना दवाओं की बिक्री नहीं की जा सकती है। मगर, कई जगह पर मेडिकल स्टोर संचालक इलाज भी कर रहे हैं, अभियान चलाकर इनके लाइसेंस निरस्त किए जाएंगे। जिन अस्पतालों में पंजीकरण के बिना मेडिकल स्टोर संचालित हैं, वहां भी कार्रवाई की जाएगी।
राजकुमार शर्मा, औषधि निरीक्षक
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