अशर एग्रो का एमडी विनोदम 25 करोड़ के फ्रॉड में मुंबई पुलिस ने किया गिरफ्तार Agra News
तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक से धोखाधड़ी में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने दबोचा। 18 करोड़ की धोखाधड़ी में पहले भी निरुद्ध रह चुका है जेल में मनोज पाठक की तलाश।
By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 18 Aug 2019 07:07 PM (IST)Updated: Sun, 18 Aug 2019 09:43 PM (IST)
अागरा जेएनएन। छाता में स्थापित धान कंपनी अशर एग्रो के प्रबंध निदेशक विनोदम चतुर्वेदी को तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक से 25 करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया गया है। इंडोनेशिया के पीटी बैंक से 18 करोड़ की धोखाधड़ी मामले में वह मुंबई की ऑर्थर रोड जेल से हाल में ही छूटा था।
मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने विनोदम चतुर्वेदी को फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत करके तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक से 25 करोड़ की धोखाधड़ी करने के मामले में मुंबई में शनिवार को गिरफ़तार किया। पुलिस उसके परिवार के सदस्यों व छोटे भाई मनोज पाठक को भी तलाश रही है। मनोज पाठक पर मर्केंटाइल बैंक को धोखा देने में अहम भूमिका निभाने का आरोप है।
मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में इस जांच से जुड़े एक अफसर के अनुसार, यह दिखाने के लिए कि उसकी अशर एग्रो का धान का कारोबार बढ़ रहा है, आरोपित ने तीन फर्जी कंपनियां खोलीं और बताया कि वह इन कंपनियों को अनाज की आपूर्ति कर रहा है। उसने बैंक से 20 करोड़ नकद ऋण हासिल कर लिया। जांच अफसर के मुताबिक, कुछ महीने बाद पांच करोड़ के ऋण पत्र खरीदे गए। कंपनी के निदेशक मनोज पाठक ने इसके लिए अपनी व्यक्तिगत गारंटी दी। एक चार्टेड एकाउंटेंट ने खरीद-फरोख्त के फर्जी चालान बनाने व जमा कराने में मदद की। विनोदम और मनोज ने 25 करोड़ की राशि दूसरे खातों में ट्रांसफर कर दी, जो नान परफार्मिंग एसेट के बन गए। घोटाला सामने आने के बाद मुंबई पुलिस ने जुलाई में अशर एग्रो के मथुरा समेत उप्र के कई ठिकानों पर तलाशी ली थी। कोतवाली रोड निवासी और अशर एग्रो का प्रबंध निदेशक विनोदम चतुर्वेदी इंडोनेशिया के पीटी बैंक में बैंक से 18 करोड़ की धोखाधड़ी में मई माह से अब तक मुंबई की आर्थर रोड जेल में निरुद्ध था। बताया जाता है कि वह पिछले दिनों ही जमानत पर छूटा था।
कंपनी पर दो हजार करोड़ से ज्यादा के बैैंकिंग फ्रॉड बताए जा रहे हैं। इसमें से 950 करोड़ के मुकदमे सीबीआइ की मुंबई शाखा ने दर्ज किए हुए हैं। इंडोनेशिया के पीटी बैंक से 18 करोड़ की रकम हासिल करने के लिए भी विनोदम चतुर्वेदी और मनोज पाठक ने फर्जी कंपनियां बनाकर फर्जी खरीद-फरोख्त दर्शाई थी और ट्रांसपोर्ट बिल भी फर्जी बना लिए थे। बैंक स्तर से हुई जांच में धोखाधड़ी सामने आने के बाद पिछले साल मुंबई पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गर्इ थी। अशर एग्रो पर स्थानीय धान व्यापारियों का भी कई करोड़ बकाया है।
मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने विनोदम चतुर्वेदी को फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत करके तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक से 25 करोड़ की धोखाधड़ी करने के मामले में मुंबई में शनिवार को गिरफ़तार किया। पुलिस उसके परिवार के सदस्यों व छोटे भाई मनोज पाठक को भी तलाश रही है। मनोज पाठक पर मर्केंटाइल बैंक को धोखा देने में अहम भूमिका निभाने का आरोप है।
मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में इस जांच से जुड़े एक अफसर के अनुसार, यह दिखाने के लिए कि उसकी अशर एग्रो का धान का कारोबार बढ़ रहा है, आरोपित ने तीन फर्जी कंपनियां खोलीं और बताया कि वह इन कंपनियों को अनाज की आपूर्ति कर रहा है। उसने बैंक से 20 करोड़ नकद ऋण हासिल कर लिया। जांच अफसर के मुताबिक, कुछ महीने बाद पांच करोड़ के ऋण पत्र खरीदे गए। कंपनी के निदेशक मनोज पाठक ने इसके लिए अपनी व्यक्तिगत गारंटी दी। एक चार्टेड एकाउंटेंट ने खरीद-फरोख्त के फर्जी चालान बनाने व जमा कराने में मदद की। विनोदम और मनोज ने 25 करोड़ की राशि दूसरे खातों में ट्रांसफर कर दी, जो नान परफार्मिंग एसेट के बन गए। घोटाला सामने आने के बाद मुंबई पुलिस ने जुलाई में अशर एग्रो के मथुरा समेत उप्र के कई ठिकानों पर तलाशी ली थी। कोतवाली रोड निवासी और अशर एग्रो का प्रबंध निदेशक विनोदम चतुर्वेदी इंडोनेशिया के पीटी बैंक में बैंक से 18 करोड़ की धोखाधड़ी में मई माह से अब तक मुंबई की आर्थर रोड जेल में निरुद्ध था। बताया जाता है कि वह पिछले दिनों ही जमानत पर छूटा था।
कंपनी पर दो हजार करोड़ से ज्यादा के बैैंकिंग फ्रॉड बताए जा रहे हैं। इसमें से 950 करोड़ के मुकदमे सीबीआइ की मुंबई शाखा ने दर्ज किए हुए हैं। इंडोनेशिया के पीटी बैंक से 18 करोड़ की रकम हासिल करने के लिए भी विनोदम चतुर्वेदी और मनोज पाठक ने फर्जी कंपनियां बनाकर फर्जी खरीद-फरोख्त दर्शाई थी और ट्रांसपोर्ट बिल भी फर्जी बना लिए थे। बैंक स्तर से हुई जांच में धोखाधड़ी सामने आने के बाद पिछले साल मुंबई पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गर्इ थी। अशर एग्रो पर स्थानीय धान व्यापारियों का भी कई करोड़ बकाया है।
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