यमुना में नालों का गंदा पानी देख मेहता ने ऐसे ही नहीं जताई थी आपत्ति
यमुना में सीधे गिर रहे नालों को रोकने के लिए लंबे समय से कवायद चल रही है। वर्ष 2016 में एनजीटी ने भी इस पर नाराजगी जताई। साथ ही सभी नालों को रोकने का आदेश दिया। इस पर कवायद शुरू हुई। ये नाले अब तक बंद नहीं हो पाए हैं।
आगरा, जागरण संवाददाता। बीते शनिवार को पर्यावरणविद अधिवक्ता एमसी मेहता और नेशनल इन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) ने यमुना में सीधे जा रहे नालों के गंदे पानी पर ऐसे ही आपत्ति जताई। तमाम कोशिशों और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सख्त रुख के बाद भी यमुना को प्रदूषण से मुक्त नहीं किया जा सका है। अभी भी 61 से अधिक नाले सीधे यमुना में गिर रहे हैं। इन्हें रोकने का अब तक बंदोबस्त नहीं हो सका है। जबकि नमामि गंगे के तहत योजना बनकर तैयार है लेकिन अभी बजट जारी नहीं हो सका है।
यमुना में सीधे गिर रहे नालों को रोकने के लिए लंबे समय से कवायद चल रही है। वर्ष 2016 में एनजीटी ने भी इस पर नाराजगी जताई। साथ ही सभी नालों को रोकने का आदेश दिया। इस बाद जोरशोर से कवायद शुरू हुई। 61 नाले चिह्नित किए गए, जो सीधे नाले में गिर रहे थे। इन्हें बंद करने के लिए मशक्कत भी हुई लेकिन ये नाले बंद नहीं हो पाए। अभी भी स्थिति जस की तस है। कैलाश से लेकर दशहरा घाट के बीच ये नाले गिर रहे हैं। इनके माध्यम से सीवर का गंदा पानी सीधे यमुना में जा रहा है।
ये बनी योजना
नमामि गंगे के तहत यमुना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने योजना बनाई है। 480 करोड़ रुपये इस योजना के तहत 13 एसटीपी बनने हैं। तीन बड़े और 10 छोटे एसटीपी प्रस्तावित हैं। इसके अलावा सभी नाले टेप किए जाने हैं।
वर्तमान एसटीपी भी शोपीस
वर्तमान में स्थापित एसटीपी भी शोपीस बने हुए हैं। यहां से गंदा पानी शोधित होने की बजाय सीधा यमुना में ही भेजा रहा है। यानी जो सीवर का गंदा पानी नालों के माध्यम से एसटीपी तक पहुंच रहा है, वह शोधन के बाद नहीं बल्कि ऐसा ही यमुना में छोड़ा जा रहा है।