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महिला दिवस विशेष: बेटा शहीद, बेटी बन गई परिवार का सहारा, देखिए कैसे खड़ा किया परिवार

वतन के लिए प्राणों की आहूति देने वालों के परिवार में बरकरार है जोश घर के बचे सेना में जाने को उत्सुक

By Edited By: Published: Fri, 08 Mar 2019 08:00 AM (IST)Updated: Fri, 08 Mar 2019 08:00 AM (IST)
महिला दिवस विशेष: बेटा शहीद, बेटी बन गई परिवार का सहारा, देखिए कैसे खड़ा किया परिवार
महिला दिवस विशेष: बेटा शहीद, बेटी बन गई परिवार का सहारा, देखिए कैसे खड़ा किया परिवार

आगरा, जागरण संवाददाता। दुर्गा पैलेस निवासी हरेंद्र सिंह सेना में सिपाही थे। ऑपरेशन पराक्रम में कारगिल क्षेत्र में दुश्मन से लोहा लेते हुए शहीद हो गए। बेटे की शहादत ने पिता रामवीर सिंह और मां भूदेवी को अंदर तक तोड़ दिया। बेटे की शहादत के गम में परिवार डूबा, तो बहन लक्ष्मी परिवार के लिए बेटा बन गई। सरकार ने सेना के कोटे से पेट्रोल पंप देने का वादा किया, लेकिन फिर नहीं दिया, इसके लिए लक्ष्मी ने जंग लड़ी। आखिर हक लिया। लक्ष्मी कहती हैं कि उन्हें अपने भाई पर गर्व है कि उसने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया।

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हां, मेरा बेटा भी सेना में जाएगा आगरा

शास्त्रीपुरम में रहने वाले देवेंद्र सिंह बॉर्डर सिक्योरिटी फर्स (बीएसएफ) में तैनात थे। 15 मई 2018 को सीमा पर आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गए। छोटा भाई देवी सिंह भी बीएसएफ में है। देवेंद्र की शहादत के कुछ माह पहले ही बेटी रितिका का जन्म हुआ था। बेटा धीरज तीन साल का है। पत्नी पिंकी बघेल ने बेटे को भी देश की सेवा में लगाने का संकल्प ले लिया। पिंकी कहती हैं कि वह अपने बेटे को भी सेना में भेजेंगी। दुश्मन से लोहा लेने के लिए बेटा भी पिता के पदचिन्हों पर चलेगा। बेटे को दे रही देशभक्ति की शिक्षा कैंजरा रोड बाह के इंद्रजीत सिंह 1981 में सेना में भर्ती हुए थे। कुपवाड़ा में आतंकियों से लोहा लेते 11 मई 2010 को शहीद हो गए। जब इंद्रजीत शहीद हुए तो एकलौते बेटे आकाश की उम्र महज चार साल थी। पत्नी स्नेह कुमारी ने पिता के नक्शेकदम पर बेटे को भी देश की रक्षा में भेजने का फैसला ले लिया। सेना में अफसर बनाने के लिए बेटे का दाखिला बैलगांव कर्नाटक के मिलिट्री स्कूल में करा दिया। इंद्रजीत के दो भाई यशपाल और जयवीर भी सेना से रिटायर हुए। स्नेह कहती हैं कि पति की शहादत को असली श्रद्धांजलि तभी होगी, जब हम बेटे को भी सेना में भेजेंगे। पति के सपने को साकार करेंगी ममता इसी साल 14 फरवरी को पुलवामा में आतंकी हमले में शहर से सटे कहरई गांव के लाल कौशल कुमार रावत भी शहीद हो गए। पति की शहादत के बाद पत्नी ममता पर एक बेटी और दो बेटों की परवरिश की जिम्मेदारी आ गई। बेटी अपूर्वा ट्रेनी पायलट है, तो बड़ा बेटा अभिषेक रूस से डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहा है। छोटा बेटा बीएससी कर रहा है। तीनों बेटों को अपने पैरों पर खड़ा होते देखने की इच्छा शहीद कौशल की थी। पति की इच्छा पूरी करने के लिए अब बच्चों की परवरिश में ममता लगी हैं। वह कहती हैं कि पति को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी, जब बच्चे उनके सपने पूरे करेंगे। पांच दिन ही रहा नूर फातिमा का पत्नी से साथ हसन मोहम्मद वह वीर थे, जो 22 साल की उम्र में कारगिल युद्ध में शहीद हो गए। शौहर हसन मोहम्मद से बीवी नूर फातिमा का साथ महज पांच दिन रहा। हसन मोहम्मद सेना में सिपाही थे। निकाह के पांच दिन बाद ही वह ड्यूटी पर चले गए। वहां 3 जुलाई 1999 को निकाह के महज तीन माह बाद ही शहीद हो गए। मां अमीरन बेगम और बीवी नूर फातिमा ने पूरे परिवार को संभाला। पति के बाद बेटे को भी बनाया फौजी किरावली क्षेत्र के गांव रोजौली में रहने वाले रणवीर सिंह सेना में सिपाही थे। 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध ने रणवीर शहीद हो गए। तब बेटे मुकेश चाहर की उम्र बेहद कम थी। मां ओमवती ने पिता के नक्शेकदम पर बेटे को भी तैयार किया। मुकेश चाहर को सेना में भेजा। मुकेश पिछले दिनों सूबेदार के पद से सेवानिवृत्त हुए। वीर नारियों के

अभिनंदन से 'जागरण' करेगा शहादत को वंदन आगरा:

हैं नमन उनको, कि जो इस देह को अमरत्व देकर, इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गए हैं। है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय, जो धरा पर गिर पड़े और आसमानी हो गए हैं। इन्हीं पंक्तियों के साथ महिला दिवस पर शुक्रवार को दैनिक जागरण उन वीर नारियों को सम्मानित करेगा। जिनके 'अपने' देश की रक्षा में शहीद हो गए। किसी ने बेटा खोया तो किसी ने मांग का सिंदूर। किसी के घर का चिराग सरहद पर बुझ गया। इन घरों के कोने में शहीदों की यादें छिपी हैं, जो अपनों को देश की सेवा के लिए आज भी प्रेरित करती हैं। महिला दिवस पर दैनिक जागरण ने अनूठी पहल की है। ये वह वीर नारियां हैं, जिन्होंने संघर्ष के पथ पर चलकर कुल को संवारा। बच्चों को इस काबिल बनाया कि शहीद पिता भी उन पर फक्र करें। पिता और बेटा खोने के बाद भी वीर नारियों ने देश की रक्षा में कदम पीछे नहीं किए। बेटों को सेना में भेजा, दुश्मन से लोहा लेने के लिए। 1971 का भारत-पाकिस्तान का युद्ध हो या फिर कारगिल का विजय गाथा। ब्रज के शूरवीर ने अपने शौर्य से विजय पताका फहराई। अब तक हुए युद्ध में ताजनगरी के 79 वीरों ने शहादत दी है। ऐसी वीर नारियों को सम्मानित करने के लिए दैनिक जागरण शुक्रवार को सिकंदरा स्थित एमपीएस व‌र्ल्ड स्कूल में दोपहर 12:30 बजे से सम्मान समारोह आयोजित करेगा। आप भी वीर नारियों के इस वंदन और अभिनंदन में शरीक हों। इस समारोह को लेक र कई दिनों से तैयारियां की जा रहीं थीं। गुरुवार शाम तक आयोजन को लेकर जिम्मेदारियां सौंपी गई।


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