Unemployment: चार महीने से खाली हुनरमंद हाथ, उधार मांग कर रहे गुजारा
Unemployment ताजमहल के लगातार चार महीने से बंद रहने से नहीं आ रहे पर्यटक। मार्बल हैंडीक्राफ्ट से जुड़े कारीगरों के सामने आर्थिक संकट रोजी-रोटी के लाले।
फैक्ट फाइल
1200 करोड़ का है हैंडीक्राफ्ट का कारोबार
350 करोड़ से अधिक हो चुका है नुकसान
450 से अधिक एंपोरियम हैं शहर में
01 से अधिक कारीगर हैं मार्बल हैंडीक्राफ्ट के
15 हजार पर्यटक आते हैं हर रोज ताज देखने
केस एक
पचकुइंया निवासी टीकम बचपन से ही मार्बल हैंडीक्राफ्ट का कारीगर है। सात सदस्यीय परिवार में तीनों भाई मार्बल के ताजमहल के मॉडल बनाने का काम करते हैं। लॉकडाउन से पहले ही ताजमहल बंद होने से उनका कारखाना भी बंद हो गया। अब तीनों भाई बेरोजगार हैं। टीकम का कहना है कि कर्जा लेकर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। काम शुरू हो तो पहले उधारी चुकाने की सोच रहे हैं।
केस दो
मूलरूप से वाराणसी के रहने वाले संजय बनारसी गोकुलपुरा में किराए का कमरा लेकर मार्बल हैंडीक्राफ्ट का काम करते हैं। पत्नी और बच्चों सहित चार सदस्यीय परिवार यहीं रहता है। काम बंद होने के बाद से दोहरी मार झेल रहे हैं। कमरे का किराया चढ़ता जा रहा है, दुकानदार की उधारी भी बढ़ती जा रही है। गनीमत है कि मकान मालिक ने अब तक कमरा खाली करने के लिए नहीं कहा।
आगरा, राजीव शर्मा। ताजहमल के हूबहू मॉडल तराशने वाले हुनरमंद हाथ आज दूसरों के आगे हाथ फैलाने को मजबूर हैं। कोरोना काल में उनकी कमर टूट गई है। चार महीने से कारखानों पर ताले लटके हैं। काम न ठप होनेे से मानो उनके हाथ ही कट गए हों। ऐसे में उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। कर्जा लेकर परिवार को पाल-पोष रहे हैं।
ताजमहल और संगमरमर से तराशे गए इसके मॉडल जितने खूबसूरत दिखते हैं, इनको तामीर करने वालों की कहानी उतनी ही स्याह है। असली ताजमहल को बनाने वाले गुमनामी में दफन हो गए और इसके मॉडल तैयार करने वाले रोजी-रोटी तक के लिए मोहताज हो गए हैं। चार महीने से मार्बल हैंडीक्राफ्ट के कारखाने बंद होने से कारीगरों ने एक नये पैसे का काम नहीं किया। जमा पूंजी भी इतनी नहीं थी कि कोरोना के खिलाफ चलने वाली इतनी लंबी लड़ाई से वह बिना काम किए पार पा सकें। ऐसे में अधिकांश कारीगर उधार लेकर गुजर-बसर कर रहे हैं। पर्यटन नगरी होने के कारण शहर में मार्बल हैंडीक्राफ्ट का भी बड़ा काम है। लगभग एक लाख से अधिक कारीगर न सिर्फ मॉर्बल से बने ताज के मॉडल बनाते हैं बल्कि दूसरे अन्य सामान भी बनाते हैं। ताज सहित अन्य स्मारक 102 दिन से बंद हैं। ऐसे में मार्बल हैंडीक्राफ्ट की भी डिमांड बंद हो गई। इसके चलते मार्बल हैंडीक्राफ्ट से जुड़े से सभी कारखाने भी बंद हैं।
कमाई भी ज्यादा नहीं
मार्बल हैंडीक्राफ्ट से जुड़े कारीगरों की कमाई भी ज्यादा नहीं है। पूरे महीने मेहनत करने के बाद भी एक कारीगर बमुश्किल छह से सात हजार रुपये प्रति महीना ही कमा पाता है। काम बंद होने से ये कमाई भी बंद हो गई है। वह जितना कमाते थे, उससे महीने भर का खर्च चलना भी भारी पड़ता था। ऐसे में बचत की तो ज्यादा गुंजाइश ही नहीं बचती थी।
ये आइटम बनाते हैं
हाथी, लैंपपोस्ट, स्टैंड, चेस, टेबल पॉट आदि सामान अपने हाथों से मार्बल को तराशकर बनाते हैं। ताजनगरी आने वाले पर्यटक यहां की सुनहरी यादों के रूप में ताज के मॉडल सहित अन्य मार्बल हैंडीक्राफ्ट अपने साथ ले जाना पसंद करते हैं।
यहां होता है काम
गोकुलपुरा, पचकुइंया, शंभू नगर, ताजगंज, ताजनगरी आदि क्षेत्रों में मार्बल हैंडीक्राफ्ट का काम बड़े पैमाने पर होता है। यहां तीन महीने से एक भी कारखाना नहीं खुला। इसके चलते सभी कारीगर खाली बैठे हैं। ऐसे में इनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। ये कारीगर एंपोरियम और शोरूम संचालकों के लिए आर्डर पर काम करते हैं। जब एंपोरियम और शोरूम ही बंद हैं, तो इन्हें ऑर्डर कहां से मिलेंगे।
सबसे ज्यादा ताजमहल के मॉडल की डिमांड रहती है। अधिकांश पर्यटक अपने साथ ताजमहल की यादों के रूप में मार्बल से बना ताज का मॉडल साथ ले जाना नहीं भूलते।
गुड्डू कुमार, कारीगर
मैं मूलरूप से कोलकाता का रहने वाला हूं। यहां मार्बल हैंडीक्राफ्ट का काम करता हूं। काम न मिलने की वजह से अब परिवार के भरण पोषण का संकट खड़ा हो गया है।
सुजीत बंगाली, कारीगर
लॉकडाउन से अब तक लगभग साढ़े तीन सौ करोड़ रुपये का हैंडीक्राफ्ट सेक्टर काे नुकसान हो चुका है। भविष्य में भी इस सेक्टर के सामने चुनौतियां कम होती नहीं दिख रहीं।
- रजत अस्थाना, अध्यक्ष, हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट एसाेसिएशन