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बंदिशों का ये दशानन जले तो विकास की पटरी पर सरपट दौड़े ताजनगरी Agra News

तीन साल से लगी है तदर्थ रोक और यथा स्थिति। एनओसी के इंतजार में अटके कई अहम प्रोजेक्ट।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 02 Oct 2019 03:03 PM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 03:03 PM (IST)
बंदिशों का ये दशानन जले तो विकास की पटरी पर सरपट दौड़े ताजनगरी Agra News
बंदिशों का ये दशानन जले तो विकास की पटरी पर सरपट दौड़े ताजनगरी Agra News

आगरा, अमित दीक्षित। ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) की बंदिशों के बाद सुप्रीम कोर्ट की तदर्थ रोक और यथास्थिति के आदेश ने विकास की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया है। कई सालों से मुश्किल में चल रहे रियल एस्टेट के लिए पांच हजार वर्ग मीटर की हदबंदी ने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। नये नियम से पीएम शहरी आवास योजना भी नहीं बची और हजारों बेघर छत के इंतजार में बैठे हैं। रोजगार के अवसर सीमित होने से बेरोजगारों की फौज खड़ी होने की आशंका है, जिसका बोझ दिल्ली एनसीआर क्षेत्र पर ही पड़ेगा। विकास की इस रफ्तार में अफसरों का ढुलमुल रवैया भी बड़ी बाधा है। आनन-फानन में तैयार की योजनाओं को शुरू करने से पहले एनओसी नहीं ली जाती जिससे बीच में इन्हें छोड़ना पड़ रहा है। विकास की राह के इस दशानन को खत्म नहीं किया तो आने वाले समय में मुश्किलें ही खड़ी होनी हैं।

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सात माह तक ठप रहा गंगाजल प्रोजेक्ट

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) मथुरा खंड से अनुमति न मिलने के कारण वाटरवर्क्‍स चौराहे पर सात माह तक गंगाजल का प्रोजेक्ट ठप पड़ा रहा। इसकी शिकायत सड़क व परिवहन मंत्रलय में की गई तब जाकर अनुमति मिली। 160 मीटर में 120 मीटर की लाइन बिछ चुक है।

सिविल एंक्लेव को एनओसी का इंतजार

खेरिया एयरपोर्ट में सिविल एंक्लेव तैयार किया जा रहा है। आवश्यक 23 हेक्टेअर में से 21 हेक्टेअर जमीन का अधिग्रहण हो चुका है लेकिन एनओसी न मिलने के कारण कार्य ठप पड़ा हुआ है।

ताजनगरी फेज-3 हाथ से निकली

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से ताजनगरी फेज-3 योजना पर ब्रेक लग गया है। कोर्ट ने जमीन अधिग्रहण को गलत ठहराया है। क्योंकि अधिग्रहण एक साल के भीतर हो जाना चाहिए लेकिन यह एक साल के बाद हुआ है। वहीं विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी ने गलत तरीके से आपत्तियों का निस्तारण किया। फेज-3 में कलाल खेरिया, लकावली, मयांपुर सहित सात गांवों की 389 हेक्टेअर जमीन का अधिग्रहण होना था।

अधर में शहरी आवासीय योजना

एम शहरी आवास योजना के लिए बीस हजार वर्ग मीटर में मकान बनाने थे। आगरा में पांच हजार वर्ग मीटर से ज्यादा की योजना को अनुमति न मिलने से एडीए ने इसे छोड़ दिया है। बिल्डर भी इस योजना से कन्नी काट रहे हैं। कई बड़ी ग्रुप हाउसिंग योजनाएं भी शुरू नहीं हो सकीं।

इन पर दिया जाए ध्यान

- तीन साल से तदर्थ रोक और यथा स्थिति बरकरार है। इससे हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करने की जरूरत है।

- ग्रुप हाउसिंग के नक्शे पांच हजार वर्ग मीटर के बदले बीस हजार वर्ग मीटर के पास होने चाहिए।

- एनओसी जल्द मिले, इसके लिए सिंगल ¨वडो सिस्टम लागू करना चाहिए।

ड्रॉप करने पड़ रहे स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट

आगरा स्मार्ट सिटी के तीन प्रोजेक्ट (स्ट्रीट वेंडिंग जोन, जच्चा-बच्चा केंद्र का निर्माण, ताज के आसपास पेड़ों पर रंग-बिरंगी रोशनी) को ड्रॉप करना पड़ा है। यह प्रोजेक्ट करोड़ों रुपये के हैं। इनके बदले नए प्रोजेक्ट शामिल नहीं किए जा रहे हैं।

मेट्रो की राह में रोड़े ही रोड़े

कागजों में भले ही आगरा मेट्रो प्रोजेक्ट सरपट दौड़ रहा हो लेकिन अभी तक सुप्रीम कोर्ट, टीटीजेड प्राधिकरण, पर्यावरण मंत्रलय, राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण सहित अन्य कई विभागों से इसकी अनुमति नहीं मिली है। संबंधित विभागों या फिर मंत्रलयों से अनुमति के बिना कार्य शुरू नहीं हो सकेगा।

कूड़ा निस्तारण भी अटका

एक साल से कुबेरपुर में पीपीपी मॉडल से वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगना है लेकिन टीटीजेड प्राधिकरण से इसकी अनुमति नहीं मिली है। वर्तमान में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। कोर्ट से अनुमति के बाद ही प्लांट लग सकेगा। पांच सौ मीटिक टन कूड़े से हर दिन दस मेगावाट बिजली बनेगी।

इनर रिंग रोड में बाधाएं

नेशनल हाईवे-19 को ग्वालियर रोड से जोड़ने के लिए इनर रिंग रोड बनाया जा रहा है। तीन चरण में बन रहे रोड का पहला चरण पूरा हो चुका है। दूसरे चरण का कार्य चल रहा है। सात किमी में अभी तक 1.6 किमी की रोड नहीं बनी है, जबकि तीसरे चरण की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट अभी तक नहीं बनी है।

क्‍या कहते हैं अधिकारी

तदर्थ रोक और यथा स्थिति जल्द हटे। इसकी पैरवी की जा रही है। उम्मीद है कि रोक जल्दी हटेगी और शहर के विकास को गति मिलेगी।

एनजी रवि कुमार, डीएम

 


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