Make in India: पैराशूट को लंबी उड़ान देगा स्वदेशी सामान, जानिए क्या है ADRDI की पहल
Make in India एडीआरडीई की आगरा इकाई मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट को साकार करने में जुटी है। इसके तहत पैराशूट की नई पीढ़ी पर काम चल रहा है।
आगरा, अमित दीक्षित। भारतीय पैराशूट जल्द ही नए कलेवर में नजर आएगा। हवाई वितरण अनुसंधान विकास एवं संस्थापन (एडीआरडीई) इस तरह तैयार कर रहा है कि यह अधिक समय तक चल सके। खास बात यह है कि इसे बनाने में स्वदेशी सामान का ही इस्तेमाल किया जा रहा है।
एडीआरडीई की आगरा इकाई 'मेक इन इंडिया' प्रोजेक्ट को साकार करने में जुटी है। इसके तहत पैराशूट की नई पीढ़ी पर काम चल रहा है। मौजूदा पैराशूट की उम्र उसकी उड़ान (जंप) के आधार पर तय होती है। आमतौर पर यह उम्र 10 से लेकर 13 साल तक होती है। कार्गो पैराशूट की उम्र पांच से दस जंप तक होती है। फ्री फॉल पैराशूट की उम्र 11 से 13 साल या 500 जंप तक हो सकती हैं। राउंड कैनोपी पैराशूट सौ जंप या 10 से 12 साल तक चलता है। पैराशूट की उम्र उसके रखरखाव और पैकिंग पर भी निर्भर होती है।
नई पीढ़ी का पैराशूट 15 साल तक चल सकेगा। एडीआरडीई स्वदेशी मैटेरियल से इसे विकसित कर रहा है। इसमें उकृष्ट नॉयलॉन के अलावा कई ऐसे मैटेरियल का प्रयोग किया जा रहा है जो इसकी मजबूती को बढ़ा देगा।
उम्र बढऩे से यह होगा फायदा
नई पीढ़ी का पैराशूट न केवल 15 साल तक चल सकेगा बल्कि इसके निर्माण की लागत में भी कमी आएगी। खर्च में दस से 20 फीसद तक कटौती के आसार हैं।
48 हजार होती है जंप
आगरा में पैराट्रूपर्स ट्रेनिंग स्कूल (पीटीएस) है। यहां भारत के अलावा कई अन्य देशों के जवान विमानों से पैराशूट की मदद से कूदने का प्रशिक्षण लेते हैं। मलपुरा ड्रॉपिंग जोन में हर साल 48 हजार के करीब जंप होती हैं।