शारीरिक दूरी का ध्यान रख बनाए रखें सामाजिक संपर्क
लिखना जरूरी है क्योंकि लाकडाउन खुला है अभी कोरोना बाकी है
आगरा, जागरण संवाददाता।
आज कोरोना ने महामारी का रूप धारण कर लिया है। महा शक्तिशाली राष्ट्र भी इस वैश्विक महामारी के चंगुल में फंस चुके हैं। जहा लोग एक-दूसरे से मिलते थे, अपनी आवश्यकता के लिए दिन-रात मेहनत करते, हरपल अपनी प्रगति के लिए सोचा करते थे, अब वे स्तब्ध हैं।
लोग कहते नहीं थकते थे कि क्या करूं मेरे पास समय ही नहीं है लेकिन, आज अधिकाश लोगों के पास समय ही समय है। उनके पास करने के लिए कोई काम नहीं, सोचने की क्षमता क्षीण होने लगी है। आज लाकडाउन में एक-एक दिन बिताना मुश्किल हो रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी प्रतिदिन कमाकर खाने वालों को हो रही है, उनका बुरा हाल है। एक ओर महामारी और दूसरी ओर भोजन और रहने की समस्या ने उन्हें भी बहुत परेशान किया।
कोरोना का कुछ जगह सकारात्मक प्रभाव भी दिखा। प्रदूषण कम होने से नदियों का पानी साफ हो गया। हिमालय की चोटी स्पष्ट नजर आने लगीं। बैंक में भीड़ कम हो गई, अब वैवाहिक, जन्मदिन आदि समारोह पर लोग कम जाते हैं, इससे फिजूलखर्ची बंद हुई है। बंदी ने हमें व्यक्तिगत अनुशासन दिया है। बंदी के अनुभवों से नई जागरूकता और जीवनशैली में परिवर्तन होना ही व्यवहारिक जीवन का आधार है।
सबका जीवन सादगी पूर्ण हो चुका है। नौकर प्रथा का चलन भी कम हुआ है। लोगों में महंगे कपड़े व आभूषण पहनने का चलन कम हुआ है। आए दिन देखा जाता है कि मानव में ही नहीं,बल्कि कई राष्ट्रों को अहंकार भी हो चुका था कि उनके जैसा शक्तिशाली राष्ट्र कोई और नहीं। आज लोग परस्पर एक दूसरे का सहयोग कर रहे हैं।
लोगों में दान-धर्म करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। यह सच है कि कोरोना संक्रमण इसी तेजी से फैला, तो हमें अपनी जीवन शैली में परिवर्तन अवश्य ही लाना होगा।
इस समय देश की जो स्थिति है, उससे हर व्यक्ति डरा हुआ है। इससे शारीरिक व मानसिक रूप से व्यक्ति खुद को फिट महसूस नहीं कर पा रहा। कुछ बदलाव कर हम इस सब परेशानियों से बाहर आ सकते हैं। जैसे ध्यान, मास्क पहनना, शारीरिक दूरी का पालन, अकेले न रहना, परिवार के साथ समय बिताना व संगीत सुनना। कोरोना वायरस महामारी में लोग अपने घरों में रहकर भी स्वस्थ रह सकते हैं। इसके लिए पर्याप्त नींद लेना, पर्याप्त पानी पीना, पौष्टिक भोजन लेना, शारीरिक गतिविधिया करते रहे। आप आभासी सामाजिक संपर्क आदि का सहारा ले सकते हैं क्योंकि लाकडाउन खुला है, कोरोना अब भी बाकी है।
यश्मिता सोलंकी, कक्षा 12वीं (कृषि), आरबीएस इंटर कालेज।