UP की पहली ऐसी जेल, जहां सलाखों के पीछे है 'संसद', PM के अलावा छह मंत्रियों की मौजूदगी में पास होते प्रस्ताव
मैनपुरी सूबे की पहली जेल जहां हर हफ्ते संसद पास होते प्रस्ताव पीएम के अलावा छह मंत्री संभालते व्यवस्था।
मैनपुरी, वीरभान सिंह। अभिनव प्रयोगों के लिए पहचानी जाने वाली मैनपुरी जेल अबकी मिनी संसद को लेकर सुर्खियों में है। फरवरी माह में जेल के बंदियों की एक दस सदस्यीय संसद गठित की गई है। हर रविवार को इस मिनी संसद की जेल प्रशासन के साथ बैठक होती है। सुधार के लिए प्रस्ताव पास होते हैं। संवैधानिक प्रक्रिया के तहत गठित जेल संसद का मुख्य उद्देश्य बंदियों को उनकी जिम्मेदारियों का अहसास कराना है।
मैनपुरी जेल में जेल रेडियो, लाइब्रेरी के बाद यह प्रयोग फरवरी से शुरू किया गया है। जेल प्रशासन ने ससंद के लिए पढ़े लिखे और सक्रिय लोगों के नाम का चयन किया। इन नामों पर जेल के सभी बंदियों से राय मांगी गई। पर्ची से बंदियों ने अपनी राय रखी। इस आधार पर दस लोगों की टीम बनाई गई। इनमें से ही एक प्रधानमंत्री, दो गृहमंत्री, छह मंत्री और एक संसदीय कार्य मंत्री बनाया गया। यह मंत्रिमंडल जेल की व्यवस्थाओं पर काम कर रहा है। अब तक इस संसद की तीन बैठक हो चुकी हैं। सात मार्च को अनाज की बर्बादी रोकने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किया गया। तय किया गया कि हर थाली में उतना ही भोजन लेना होगा जितना वह खा सके।
बैठक में होता है मूल्यांकन, मिलती है ग्रेडिंग
सोमवार से शनिवार तक संसदीय मंत्री हर बैरक में बंदियों के बीच रहकर उन्हें उनकी जिम्मेदारियां समझाते हैं। बंदियों से मिले सुझाव रविवार को जेल प्रशासन के साथ बैठक में रखे जाते हैं। बेहतर सुझावों को सर्वसम्मति से पास किया जाता है। पास होने वाले प्रस्तावों पर जेल प्रशासन अपनी मुहर लगाता है।
अलग पहचान को दिए बैज
हर मंत्री की अलग पहचान को जेल प्रशासन ने उनके पदनाम वाले बैज उपलब्ध कराए गए हैं। इस मंत्रिमंडल का गठन एक साल के लिए किया गया है। साल भर बाद दोबारा सर्वसम्मति से चुनाव कराया जाएगा।
यह हैं मंत्री
स्वच्छता मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, भोजन एवं जल मंत्री, शिक्षा एवं सांस्कृतिक मंत्री, योग मंत्री, अनुशासन मंत्री।
ये है मौजूदा व्यवस्था
जेल संसद के मंत्रियों की देखरेख में प्रतिदिन हर दो घंटे बैरक में झाडू लगाने के साथ दिन में दो बार स्वच्छता का लिखित मुआयना होता है। शनिवार को अधिकारी बंदियों के साथ कैंपस में योग कार्यक्रम में शामिल होते हैं। जेल रेडियो के माध्यम से भी बंदियों के मन की बात कही जाती है।
हमारा मिनी संसद का यह कांसेप्ट सफल हो रहा है। प्रधानमंत्री और दूसरे मंत्रियों द्वारा सिर्फ औपचारिकता ही नहीं की जा रही बल्कि इस व्यवस्था से एक भावनात्मक रिश्ता भी जुड़ रहा है।
- हरिओम शर्मा, जेल अधीक्षक