Mahashivratri 2020: भक्ति की एक रात जो ले जाती है आध्यात्मिक शिखर तक, ये करें उपाए Agra News
धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार हर कामना सिद्धि के लिए है शिव आराधना का विशेष उपाए।
आगरा, तनु गुप्ता। भातरीय संस्कृतिक में एक काल ऐसा भी था जब वर्ष के 365 दिन ही कोई न कोई त्योहार होते थे। कृषि प्रधान हमारी संस्कृति में हर त्योहार प्रकृति की आराधना को समर्पित है। हर पर्व जीवन के विविध कारणों और उद्देश्यों से जुड़े हैं। हर अवस्था और हर परिस्थिति के लिए यहां कोई न कोई त्योहार है। लेकिन महाशिवरात्रि इन सभी त्योहर सबसे अलग मानी जाती है। शिव आराधना के इस रात्रि पर्व के बारे में धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी बताते हैं कि हर चंद्र मास का चौदहवांं दिन या अमावस्या से पूर्व का एक दिन शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। एक वर्ष में आने वाली सभी शिवरात्रियों में से, महाशिवरात्रि को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस वर्ष महाशिवरात्रि 21 फरवरी को है। इस रात, ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार अवस्थित होता है कि मनुष्य के भीतर की ऊर्जा प्राकृतिक रूप से ऊपर की और जाती है। यह एक ऐसा दिन है, जब प्रकृति मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करती है। इस समय का उपयोग करने के लिए ही यह उत्सव मनाया जाता है। पूरी रात मनाए जाने वाले इस उत्सव में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि ऊर्जाओं के प्राकृतिक प्रवाह को उमड़ने का पूरा अवसर मिले।
महाशिवरात्रि का महत्व
पंडित वैभव के अनुसार महाशिवरात्रि आध्यात्मिक पथ पर चलने वाले साधकों के लिए बहुत महत्व रखती है। यह उनके लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है जो पारिवारिक परिस्थितियों में हैं और संसार की महत्वाकांक्षाओं में मग्न हैं। पारिवारिक परिस्थितियों में मग्न लोग महाशिवरात्रि को शिव के विवाह के उत्सव की तरह मनाते हैं। सांसारिक महत्वाकांक्षाओं में रत लोग महाशिवरात्रि को, शिव के द्वारा अपने शत्रुओं पर विजय पाने के दिवस के रूप में मनाते हैं। लेकिन साधकों के लिए यह वह दिन है, जिस दिन वे कैलाश पर्वत के साथ एकात्म हो गए थे। वे एक पर्वत की भाँति स्थिर और निश्चल हो गए थे। यौगिक परंपरा में शिव को किसी देवता की तरह नहीं पूजा जाता। उन्हें आदि गुरु माना जाता है। पहले गुरु, जिनसे ज्ञान उपजा। ध्यान की अनेक सहस्राब्दियों के बाद एक दिन वे पूर्ण रूप से स्थिर हो गए। वही दिन महाशिवरात्रि का था। उनके भीतर की सारी गतिविधियाँ शांत हुईं और वे पूरी तरह से स्थिर हुए, इसलिए साधक महाशिवरात्रि को स्थिरता की रात्रि के रूप में मनाते हैं।
ज्योतिषय उपाय से बनेंगे काम
महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात भी कहा जाता है। इस रात में आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं। शास्त्रों में इस दिन ज्योतिष उपाय करने से सभी परेशानियां खत्म हो सकती हैं।
- भगवान शिव के वाहन नंदी यानी बैल को हरा चारा श्रद्धा सुमन के साथ खिलाएं और महामृत्युंजय मंत्र का शाम के समय 108 बार जप करें। ऐसा करने से आपकी धन संबंधी समस्या खत्म होती है और रुके हुए धन की प्राप्ति भी होती है।
- कोई शत्रु परेशान कर रहा है या फिर आप किसी झूठे मुकदमे में फंसे हैं तो महाशिवरात्रि पर यह उपाय आपको विजय दिलाएगा। इस दिन मंदिर में शिवलिंग पर दुग्धाभिषेक करें और वहीं रूद्राष्टक का पाठ करें।
- दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए इस दिन अनाथ आश्रम में जाकर दान करें और जरूरतमंदों की मदद करें। ऐसा करने से जीवन में सभी प्रकार की समस्याओं का अंत होगा और भाग्य भी साथ देगा।
- वैवाहिक जीवन में परेशानी चल रही है तो महाशिवरात्रि पर आप सुहागन महिलाओं को सुहाग का सामान दें और गरीब और जरूरतमंद महिलाओं की मदद करें। ऐसा करने से आपके वैवाहिक जीवन की समस्याओं का अंत होगा और दाम्पत्य जीवन मधुर हो जाएगा।
- कुंडली में ग्रह शुभ परिणाम नहीं दे रहे हैं तो महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर दुग्धाभिषेक कर विधि-विधान से पूजा करें और ओम नम: शिवाय और महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। ऐसा करने से कुंडली में मौजूद अशुभ ग्रह शुभ फल देने लग जाएंगे।होगी मोक्ष की प्राप्ति