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Lunar and Solar Eclipse 2020: जून- जुलाई में लगने वाले हैं तीन बड़े ग्रहण, जानें क्‍या- क्‍या है मुहूर्त, मान्‍यताएं, क्‍यों जरूरी है सावधानी?

Lunar and Solar eclipse in June 2020 पांच जून को चंद्र ग्रहण और 21 जून को है सूर्य ग्रहण। वहीं साल का तीसरा चंद्र ग्रहण पांच जुलाई को लगेगा।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 01:33 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 01:00 AM (IST)
Lunar and Solar Eclipse 2020: जून- जुलाई में लगने वाले हैं तीन बड़े ग्रहण, जानें क्‍या- क्‍या है मुहूर्त, मान्‍यताएं, क्‍यों जरूरी है सावधानी?
Lunar and Solar Eclipse 2020: जून- जुलाई में लगने वाले हैं तीन बड़े ग्रहण, जानें क्‍या- क्‍या है मुहूर्त, मान्‍यताएं, क्‍यों जरूरी है सावधानी?

आगरा, तनु गुप्‍ता। ज्योतिष गणना के अनुसार, आने वाले महीनों में तीन ग्रहण लगने वाले हैं। इनमें से एक सूर्य ग्रहण और एक चंद्र ग्रहण जून में लगेंगे। वहीं तीसरा चंद्र ग्रहण जुलाई में लगेगा। वैज्ञानिकों के साथ ही ज्योतिषाचार्यों की इस खगोलीय घटना पर पैनी नजर है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार आने वाले समय में पहला ग्रहण पांच जून को लगेगा। जोकि चंद्र ग्रहण होगा। यह इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण होगा। पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी को लगा था। अब दूसरा चंद्र ग्रहण पांच जून रात 11:15 बजे से शुरू होगा और 06 जून 02:34 बजे तक रहेगा। यह चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि और ज्येष्ठ नक्षत्र में लग रहा है। इसके बाद सूर्य ग्रहण की 21 जून को लगेगा। ये ग्रहण सुबह 9 बजकर 15 मिनट से शुरू होगा और दिन में 03 बजकर 03 मिनट तक रहेगा। भारत सहित ये सूर्य ग्रहण अमेरिका, दक्षिण पूर्व यूरोप और अफ्रीका में भी दिखाई देगा। जून में दो ग्रहण लगने के बाद तीसरा ग्रहण पांच जुलाई को लगेगा। जोकि साल का तीसरा चंद्र ग्रहण होगा। 2020 में कुल छह ग्रहण लगेंगे। जिनमें एक चंद्र ग्रहण जनवरी में लग चुका है।

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क्‍या होता है ग्रहण

पंडित वैभव बताते हैं कि धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही नजर से ग्रहण का बहुत ही महत्व होता है। ग्रहण एक ऐसी खगोलीय घटना है जिनमें पृथ्वी सूर्य की रोशनी को चंद्रमा तक पहुंचने से रोकती है, यानि जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के ठीक बीच में होती है तो चंद्र ग्रहण लगता है।

पूर्णिमा के दिन लगेगा चंद्र ग्रहण

इस साल का तीसरा चंद्र ग्रहण पांच जुलाई, रविवार को लगेगा। ये चंद्र ग्रहण सुबह 08 बजकर 38 मिनट से शुरू होगा और 11 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। दिन में होने की वजह से भारत में यह ग्रहण नजर नहीं आएगा। ये ग्रहण पूर्णिमा के दिन धनु राशि में लगेगा। इस साल का चौथा और आखिरी ग्रहण 30 नवंबर को लगेगा जो कि दोपहर 1 बजकर 34 मिनट से प्रारंभ होगा और शाम को 5 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। दिन का समय होने की वजह से भारत में यह चंद्र ग्रहण नहीं दिखाई देगा। ये ग्रहण रोहिणी नक्षत्र और वृषभ राशि में होगा।

जानिए क्या हैं मान्यताएं

पौराणिक कथानुसार समुद्र मंथन के दौरान जब देवों और दानवों के साथ अमृत पान के लिए विवाद हुआ तो इसको सुलझाने के लिए मोहनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था। इस दौरान जब भगवान विष्णु ने देवताओं और असुरों को अलग- अलग बिठा दिया। लेकिन असुर छल से देवताओं की लाइन में आकर बैठ गए और अमृत पान कर लिया। देवों की लाइन में बैठे चंद्रमा और सूर्य ने राहु को ऐसा करते हुए देख लिया। इस बात की जानकारी उन्होंने भगवान विष्णु को दी, जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन राहु ने अमृत पान किया हुआ था, जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई और उसके सिर वाला भाग राहु और धड़ वाला भाग केतु के नाम से जाना गया। इसी कारण राहु और केतु सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं और पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को ग्रास लेते हैं तो अमावस्या के दिन सूर्य को।

ये रहेगा प्रभाव

पंडित वैभव के अनुसार ग्रहण के समय बनने वाली ग्रह स्थिति से आने वाले 3 से 6 महीनों के राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और मौसम संबंधी भविष्यवाणियां करने की भारत में सदियों पुरानी परंपरा रही है। इसमें बताया गया है कि जब भी किसी एक महीने में दो से अधिक ग्रहण पड़े और पाप ग्रहों का भी उस पर प्रभाव रहे तो वह समय जनता के लिए कष्टकारी होगा। तीनों ग्रहणों में से पहले दो ग्रहण, जो कि आषाढ़ कृष्ण पक्ष में पड़ेंगे, वह भारत में दृश्य होंगे। अंतिम ग्रहण जो कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष में है वह भारत में दिखाई नहीं देगा। इन ग्रहणों का मिथुन और धनु राशि के अक्ष को पीड़ित करना अमेरिका और पश्चिम के देशों के लिए विशेष रूप से अशुभ होगा। विश्व के लिए 21 जून का सूर्य ग्रहण बेहद संवेदनशील है। मिथुन राशि में होने जा रहे इस ग्रहण के समय मंगल जलीय राशि मीन में स्थित होकर सूर्य, बुध, चंद्रमा और राहु को देखेंगे जिससे अशुभ स्थिति का निर्माण होगा। इसके अलावा ग्रहण के समय 6 ग्रह शनि, गुरु, शुक्र और बुध वक्र होंगे। राहु केतु हमेश वक्र चलते हैं इसलिए इनको मिलकर कुब 6 ग्रह वक्री रहेंगे, जो शुभ फलदायी नहीं है। इस स्थिति में संपूर्ण विश्व में बड़ी उथल-पुथल मचेगी। इस समय इन बड़े ग्रहों का वक्री होना प्राकृतिक आपदाओं जैसे अत्यधिक वर्षा, समुद्री चक्रवात, तूफान, महामारी आदि से जन-धन की हानि कर सकता है। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका को जून के अंतिम सप्ताह और जुलाई में भयंकर वर्षा एवं बाढ़ से जूझना पड़ सकता है। ऐसे में महामारी और भोजन का संकट इन देशों में कई स्थानों पर हो सकता है। मंगल जल तत्व की राशि मीन में पांच माह तक रहेंगे ऐसे में वर्षा काल में आसामान्य रूप से अत्यधिक वर्षा और महामारी का भय रहेगा। ग्रहण के समय शनि और गुरु का मकर राशि में वक्री होना इस बात की आशंका को जन्म दे रहा है कि चीन के साथ पश्चिमी देशों के संबंध बेहद खराब हो सकते हैं।

भारत के पश्चिमी हिस्सों में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान में राजनीतिक उठा-पटक चिंता का कारण बनेगी तथा हिंद महासागर में चीन की गतिविधयों से तनाव बढ़ेगा। शनि, मंगल और गुरु इन तीनों ग्रहों के प्रभाव से विश्व में आर्थिक मंदी का असर एक वर्ष तक बना रहेगा। 


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