Move to Jagran APP

Lumpy Disease Alert: मथुरा में लंपी पर दुवासू अलर्ट, शासन को भेजेगा एडवाइजरी

वायरल संक्रमण के सात से 19 दिनों के बाद पूरे शरीर में कठोर गांठ उभर आती है। गर्भपात हो जाता है। दुधारू गायों में दुग्ध उत्पादन कम हो जाता है। वजन घटना शारीरिक कमजोरी हो जाती है। ये रोग के विषाणु जनित है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Thu, 11 Aug 2022 07:42 PM (IST)Updated: Thu, 11 Aug 2022 07:42 PM (IST)
Lumpy Disease Alert: मथुरा में लंपी पर दुवासू अलर्ट, शासन को भेजेगा एडवाइजरी
दुवासू में लंपी स्किन डिजिज को लेकर अलर्ट हो गया है।

 आगरा, जागरण टीम। पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान (दुवासू) में लंपी स्किन डिजिज को लेकर अलर्ट हो गया है। गुरुवार को विज्ञानियों की हुई मीटिंग में गहन मंथन के बाद एक एडवाइजरी तैयार की गई। इसको राज्य सरकार और पशुपालन विभाग को भेजा जाएगा। इसके साथ विवि के चिकित्सक भी पशुपालकों को बीमारी से बचाव के बताएंगे।

loksabha election banner

राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड राज्य से तेजी से फैल रहे लंपी स्किन डिजिज से बचाव को लेकर तैयार की एडवाइजरी की जानकारी देते हुए कुलपति प्रोफेसर एके श्रीवास्तव ने कहा, मवेशियों में लंपी बीमारी का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। भारी संख्या में पशु इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। बीमारी से मवेशियों की उम्र और नस्लें प्रभावित होती हैं। विशेष रूप से दुधारू मवेशी अधिक प्रभावित होती हैं। प्रभावित पशु के पशु की दूध देने की क्षमता कम हो जाती है। विश्वविद्यालय के चिकित्सकों ने गहन मंथन के बाद पाया कि इस बीमारी से प्रभावित पशु को तेज बुखार आता है। आंख और नाक से पानी गिरता है। पैरों में सूजन आ जाती है।

वायरल संक्रमण के सात से 19 दिनों के बाद पूरे शरीर में कठोर गांठ उभर आती है। गर्भपात हो जाता है। दुधारू गायों में दुग्ध उत्पादन कम हो जाता है। वजन घटना शारीरिक कमजोरी हो जाती है। ये रोग के विषाणु जनित है। बीमार पशु की लार, नासिका स्राव, दूध और वीर्य में ये विषाणु पाए जाते हैं। स्वस्थ पशु के बीमार पशु के संपर्क में आने से रोग फैलता है। बछड़े दूध पीने से बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। मच्छरों काटने वाली मक्खियों, चमोकन, किलनी जैसे कीट बीमारी के संवाहक है। विज्ञानियों ने बताया, विषाणु जनित रोग होने से इसका कोई उचित उपचार नहीं है। एंटीबायोटिक दवा का प्रयोग किया जाता है। घावों को मक्खियों से बचाने को नीम की पत्ती, मेहंदी पत्ती, लहसुन, हल्दी पाउडर को नारियल तेल में लेह बनाकर घाव पर लगाया जाए। टीकाकरण भी एक तरीका है। इंडियन इम्युनोलाजिक, हेस्टर बायोसाइंस द्वारा निर्मित गाटपाक्स टीका बीमारी से बचाने में अत्यंत कारगर है। इसकी 35 मिली मात्रा चमड़े में देने से एक वर्ष तक प्रभावी प्रतिरक्षा प्रदान करती है।

मीटिंग में विवि के अधिष्ठाता प्रो पीके शुक्ला, सूक्ष्म जीवाणु विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डा. अजय प्रताप ने लंपी स्किन डिजिज की गंभीरता, मनुष्यों पर होने वाले प्रभाव और कारणों की जानकारी शिक्षकों को बताया। रोकथाम सुझाव प्रस्तुत किए। विवि ने जो एडवाइजरी तैयार की है, उसको पशुपालन विभाग और सरकार को प्रस्तुत किया जाएगा। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.