एक तालाब जहां सिर्फ राधा रानी के लिए मुस्कुराते हैं कमल Agra News
बरसाने के सूर्यकुंड में एक भी कली नहीं होती। सुबह दर्जनों कमल नजर आते। वर्षों से ऋषिकेश के गोपाल सखी कर रहे सेवा।
आगरा, किशन चौहान। अष्टदल कमल से प्रकट ब्रज की महारानी राधारानी को रोजाना कमल पुष्प समर्पित किया जाता है। यह पुष्प बरसाना में सुलोखर के सरोवर में खिलते हैं। खासियत यह है कि शाम को सरोवर में भले ही एक भी कली दिखाई नहीं देती हो, लेकिन सुबह दर्जनों कमल खिले नजर आते हैं। यह सुनकर आपको अजीब तो लग रहा होगा, लेकिन इस दिव्य सरोवर की कहानी कुछ ऐसी ही है। जिसमें सिर्फ राधारानी के लिए कमल के फूल खिलते हैं। वर्षों से गोपाल सखी बृषभानु नंदनी को कमल के फूलों की सेवा कर रहे हैं। आज भी नित्य गोपाल सखी बृषभानु दुलारी को उक्त सरोवर से कमल के फूल तोड़कर उनकी सेवा में भेंट करती है।
बरसाना से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित सुलोखर है। जो ऊंचागांव के कच्चे रास्ते में पड़ता है। इसी सुलोखर पर सूर्यकुंड है। जिसमे आज भी सिर्फ राधारानी के लिए ही कमल के फूल खिलते हैं। वहीं ऋषिकेश के रहने वाले गोपाल बाबा ने कभी नहीं सोचा था कि वो बरसाना में सखी वेश में वास करेंगे। लेकिन जब 15 साल की उम्र में गोपाल बाबा अपने गुरु कीर्तनंद स्वामी के साथ बरसाना राधारानी के दर्शन करने आए, तो वह वह यहीं के होकर रह गए। गोपाल बाबा बताते हैं कि उन्हें बचपन मे बरसाना सहित अष्ट सखियों के मंदिर व बाल स्वरूप राधारानी सपने में दिखाई देती थीं। लेकिन जब उन्होंने पहली बार प्रियाजू को देखा तो बस उन्हीं के हो गए। तभी से गोपाल बाबा सखी वेश में राधारानी के नित्य सेवा में अपना योगदान दे रहे है। करीब 25 साल से गोपाल बाबा राधारानी की नित्य सेवा में रोज सुबह कमल के पुष्प अर्पित करते आ रहे हैं। गोपाल बाबा बताते है कि करीब पांच साल अड़ींग से कमल के फूल लाकर किशोरी जू को भेंट किया करते थे। करीब दस साल से नंदगांव से कमल लाया करते थे। अब दस सालों से बरसाना में सुलोकर के ही सूर्यकुंड से कमल लाते हैं। सूर्यकुंड में गोपाल बाबा ने ही कमल लगाए हैं। जिसे अब लोग कमल कुंड भी कहते हैं। गोपाल बाबा ने कहा कि यह सेवा उन्हें खुद राधारानी ने सपने में आकर दी है। वैसे भी राधारानी कमल के फूल से ही प्राकट्य हुई थी तथा उनके जन्मोत्सव पर कमल के फूल में ही विराजमान कर उनके दिव्य विग्रह का अभिषेक कराया जाता है। जबकि उक्त कमल कुंड में कई जहरीले सांप हैं, लेकिन गोपाल सखी को यह सांप कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। गोपाल सखी के अनुसार, शाम को कुंड में एक भी कमल व कली नहीं होती है। लेकिन सुबह सरोवर में दर्जनों कमल खिले नजर आते हैं।