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जिदंगी की सांझ में अकेलेपन का दंश, कहीं आपके बुजुर्ग भी तो नहीं हैं इस समस्या से पीडि़त

सोशल कॉज नाम की संस्था ने किया सर्वे। 77 फीसद बुजुर्ग तलाशते हैं बाहर की दुनिया में खुशियां।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sun, 02 Dec 2018 01:52 PM (IST)Updated: Sun, 02 Dec 2018 01:52 PM (IST)
जिदंगी की सांझ में अकेलेपन का दंश, कहीं आपके बुजुर्ग भी तो नहीं हैं इस समस्या से पीडि़त
जिदंगी की सांझ में अकेलेपन का दंश, कहीं आपके बुजुर्ग भी तो नहीं हैं इस समस्या से पीडि़त

आगरा, कुलदीप सिंह। ये उनकी बेबसी है। बच्चों की खुशी के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन लगाया। अपनी आंखों से बच्चों की बेहतर नौकरी के सपने देखे। आज सपने तो साकार हुए, लेकिन उनकी आंखों में सूनापन दे गए। आंखें सूनी हैं और दिल में एकाकीपन। जिन्हें हाथ पकड़कर चलाया, वह बच्चे समय नहीं दे पाते। एक अध्ययन इसी हकीकत का स्याह पहलू उजागर करता है। एकाकीपन गुजार रहे बुजुर्गों का 77 फीसद समय घर से बाहर गुजरता है। देहरी के बाहर वह खुद से बात करने वाला तलाशते हैं। 

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सोशल कॉज नाम की संस्था द्वारा कराए सर्वे में अकेलेपन में जी रहे बुजुर्गों की यह सचाई सामने आई है। सर्वे के नतीजे चौंकाने वाले हैं, क्योंकि बुजुर्गों को सबसे ज्यादा अकेलापन खलता है, जबकि उनके बच्चों को लगता है कि शारीरिक बीमारी उनकी सबसे बड़ी समस्या है। संस्था के निदेशक जीडी वैष्णव ने बताया कि चिंता की बात यह है कि बच्चे नौकरी और खुद के मुताबिक जिंदगी जीने के लिए परिजनों की जरूरत ही जब नहीं समझ पा रहे हैं तो उनकी समस्या का फिलहाल हल होता दिख नहीं रहा है। बच्चों का सोचना था कि उनके परिजनों का अधिकांश समय आराम करते हुए बीतता है, जबकि 4.8 फीसद बुजुर्गों ने ही आराम की बात स्वीकार की। बच्चों की सोच और परिजनों की सोच में 55 फीसद का यह अंतर बता रहा है कि सोच बिल्कुल उलट है। सर्वे से सामने आए तथ्य बुजुर्गों की देखभाल के लिए सटीक रोडमैप विकसित करने के लिए आधारशिला के तौर पर काम कर सकते हैं। इस सर्वे में दस हजार वरिष्ठ नागरिकों को शामिल किया गया, जिसमें 1000 आगरा के थे।  इसमें इन बुजुर्गों के बच्चों को भी शामिल किया गया जो कम से कम पांच साल से अपने मां-बाप से दूर हैं। मनोचिकित्सक विवेक पाठक का कहना है कि अपने घर और बूढ़े मां बाप से दूर रह रहे बच्चों की सोच में असमानता कई सवाल खड़ी करती है। जहां बच्चों की अपने बूढ़े मां बाप के स्वास्थ्य के बारे में चिंता सही है, मां बाप की सामाजिक जीवन और रोज की जरूरतें पूरी करने में होने वाली परेशानी की चिंता मानसिक स्वास्थ्य की ओर इशारा कर रहा है।

बुजुर्गों की चिंता

- सोशल लाइफ - 36.4 फीसद 

- रोज की जरूरतें - 25.6 फीसद

- सुरक्षा की चिंता - 26 फीसद 

- शारीरिक बीमारी - 6 फीसद 

- आर्थिक तंगी - 6 फीसद 

कैसे बीतता है उनका समय

- आराम करते हुए - 4.8 फीसद

- टीवी देखते हुए - 10 फीसद 

- घर का काम करते हुए - 8.4 फीसद 

- घर से बाहर, सोशल लाइफ - 76.8 फीसद 

उनके बच्चों को क्या लगता है

-आराम करते हुए - 59 फीसद 

-टीवी देखते हुए - 14 फीसद 

-घर का काम करते हुए - 23 फीसद 

-घर से बाहर, सोशल लाइफ - 4 फीसद

बूढ़ी आंखों का दर्द

बच्चे पढ़ाई के लिए पहले बाहर गए। अब नौकरी भी उनकी दूर है। कभी- कभी आना होता है। बच्चों की कमी बहुत खलती है। फोन से बात करने से रोज की जरूरतें पूरी नहीं हो पातीं।

- सुरेन्द्र परिहार, सेवानिवृत्त अध्यापक

बच्चों की याद आती है तो कई बार काफी अकेलापन महसूस होता है। रोज की छोटी-छोटी जरूरतों के लिए बच्चों की कमी महसूस होती है।

- रामकुमार अग्र्रवाल, सेवानिवृत्त बैंककर्मी

बुजुर्गों की यहां बसती है नई दुनिया

दिनभर एक-दूसरे की जिंदगी के सफर के फलसफे सुनते-सुनते वक्त कब बीत जाता है, बुजुर्गों को इसका पता नहीं चलता। जिंदगी के आखिरी पड़ाव में भी जब नए दोस्त मिल जाएं, तो दुखों की टीस उतनी नहीं चुभती। 

पश्चिमपुरी स्थित ओल्ड एज इंटरनेशनल संस्था में बुजुर्ग अपने एकाकीपन को दूर कर रहे हैं। नए दोस्तों के साथ दिन भर गप्पें मारी जाती हैं। एक-दूसरे के दुख दर्द को साझा करते हुए दिन बीत जाता है। वृद्धाश्रम में छोटे-छोटे खेल से बुजुर्ग अपना बचपन जी लेते हैं। कई बार चेहरे पर खुद हंसी आती है तो कई बार दूसरे की हंसी भी चेहरे की शिकन दूर कर देती है। संस्था के महासचिव डॉ. गिरीश गुप्ता के मुताबिक आश्रम में रहने वाले बुजुर्गों को अकेले जीवन गुजार रहे लोगों के मुकाबले कम अकेलापन महसूस होता है। साथ पाकर वह अपना दर्द भूल जाते हैं, जो लोग सामाजिक जिंदगी जीते हैं उन्हें कम अकेलापन महसूस होता है।

ऐसे करें अपने बुजुर्गों का अकेलापन दूर

- बुजुर्गों को व्यायाम और योग करने के लिए प्रेरित करते रहें बल्कि उनके साथ भी व्यायाम करें। इससे न केवल उनकी शारीरिक बीमारियां दूर भागेंगी बल्कि उनका अकेलापन भी दूर होगा और वह फिट भी रहेंगे।

- अगर कभी उनके शरीर में किसी तरह की दर्द हो तो उन्हें पहले फस्र्ट एड दें और सुधार न दिखने पर फौरन उन्हें डॉक्टर के पास ले जाएं।

- बुजुर्गों को अगर ज्यादा कमजोरी महसूस हो या फिर भूलने की आदत हो तो उनके बाहर जाने पर उन पर नजर रखें और अगर घर वापिस आने में देर हो जाए तो बाहर देखने जरूर जाएं।

- घर के बड़े बुजुर्ग अगर कोई काम करना चाहते हैं तो उन्हें मना न करें। अगर आप उन्हें मना करते हैं तो उन्हें लगता है कि आप उन्हें रोक-टोक कर रहेे हैं।

- बुजुर्गों को हमेशा सम्मान दें। उन्हें कभी भी ऐसी बात न कहें जिससे उनके मन को ठेस लगे। उन्हें बाहर लोगों से मिलने दें और नए दोस्त बनाने दें। इससे उनका अकेलापन दूर होगा और वह हमेशा खुश रहेंगे।

- उनके अनुभव और कहानी को ध्यान से सुनें। इससे हो सकता है उनकी सुनाई कहानी से आपको अपने जीवन की किसी परेशानी को हल मिल जाए।

- उनसे वसीयत, पॉवर ऑफ अटार्नी के बारे में बेहिचक प्यार से बात करें। उनकी सलाह भी सुनें और उन्हें अपने मुताबिक सलाह भी दें। इससे रिश्तों में खुलापन आएगा। उन्हें उनके मन के मुताबिक निर्णय लेने दें।

- आपसी प्यार बढ़ाने के लिए एक साथ बैठ खाना खाएं। इससे उनका अकेलापन भी दूर होगा और रिश्तों में मिठास भी आएगी। कभी-कभी उनकी मनपसंद का खाना बना कर भी खिलाएं।

- उनके गुस्से को सहना सीखें। कभी भी उनका विरोध न करें। आप कभी ऐसे शब्द न बोलें जिससे उनके मन को ठेस पहुंचे।

- उन्हें कभी-कभी अपने साथ बाहर घूमनें ले कर जाएं। इससे उनके मन को खुशी पहुंचेगी।


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