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Webinar: दैनिक जागरण आगरा इंडस्ट्रीज वेबीनार -2020, आओ तलाशें... आगरा के उद्योगों के विकास की नब्ज

Webinar हैंडीक्राफ्ट फर्नीचर फूड सप्लाई चेन और प्लास्टिक इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने रखे विचार।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 13 Jun 2020 01:13 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jun 2020 02:55 PM (IST)
Webinar: दैनिक जागरण आगरा इंडस्ट्रीज वेबीनार -2020, आओ तलाशें... आगरा के उद्योगों के विकास की नब्ज
Webinar: दैनिक जागरण आगरा इंडस्ट्रीज वेबीनार -2020, आओ तलाशें... आगरा के उद्योगों के विकास की नब्ज

आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना और लॉकडाउन, उद्योगों के लिए समय मुश्किल जरुर है, लेकिन संभावनाओं की कतई कमी नहीं। थोड़े प्रयास से स्वर्णिम सफलता प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता। चाइना से जीतना है, तो उसके सामानों का बेहतर और अच्छा विकल्प तैयार कर बाजार में उतरना होगा। फिर सफल होने से कोई नहीं रोक पाएगा। यह चर्चा शनिवार को दैनिक जागरण की वेबीनार में यह हुई।

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इंडस्ट्रीज वेबीनार 2020, आओ टटोलें आगरा के उद्योगों के विकास की नब्ज विषय पर हुई चर्चा में शहर की प्रमुख चार इंडस्ट्री के विशेषज्ञों ने अपने विचार रखें, प्रोफेशनल्स ने भविष्य की संभावनाएं बताई।

प्रदेश सरकार के एमएसएमई राज्यमंत्री चौ. उदयभान ने भरोसा जताया कि सरकार उद्यमियों के साथ है। संभावनाओं के ब्लू प्रिंट के साथ समस्या और सुझाव रखें, सरकार मदद करेगी। पुराने उद्योगों को पुन: स्थापित कर, नए उद्योग लगाने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करने के साथ परंपरागत कुटीर उद्योगों को देहात क्षेत्रों में पुराने स्वरुप में लौटाना सरकार की प्राथमिकता है।

दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर उमेश शुक्ल ने कहा कि जागरण सिर्फ समाचार पत्र नहीं, बल्कि मित्र की भूमिका निभाता है। इस आयोजन में आने वाली समस्याओं व सुझावों को सरकार तक पहुंचाकर उनका समाधान तलाशने की कोशिश होगी, ताकि कोरोना के चलते मुश्किल दौर में चल रहे उद्योगों को अपेक्षित राहत मिल सके। वेबीनार में रावी इवेंट्स के मनीष अग्र्रवाल ने सहयोग किया।

मौजूदा दौर में उद्योग चलाना बड़ी चुनौती, लेबर की कमी और कोरोना के साथ जीना है। औद्योगिक भूमि की कमी बड़ी दिक्कत है। इसके लिए नई संभावना तलाशने से उद्योगों को बड़ी मदद मिलेगी।

राकेश गर्ग, उपाध्यक्ष, लघु उद्योग निगम लि.।

इंडस्ट्री का एक हजार करोड़ का टर्नओवर और 10 फीसद ग्र्रोथ रेट है, लिहाजा संभावनाओं की कमी नहीं। प्लॉस्टिक रॉ मटीरियल रेट एक ही रहे। स्वाबलंबी होने को नए स्वरूप तलाशने होंगे, उत्पाद की कीमत कम कर ग्लोबल बाजार पहुंचना होगा। पीपीई किट, ग्लब्स आदि निर्माण में प्लास्टिक उद्योग के लिए अच्छे अवसर हैं। जमीन की कमी सरकार रेडीमेड शेड्स किराए पर उपलब्ध कराकर दूर कर सकती है।

भुवेश अग्रवाल, प्रबंध निदेशक, त्रिमूॢत इंडस्ट्री (प्लास्टिक प्रोडक्ट इंडस्ट्री)

फर्नीचर पर जीएसटी 18 फीसद। हालांकि चाइना का माल भी है, लेकिन घटिया क्वालिटी का होने के नाते स्थानीय और इंडियन फर्नीचर की मांग ज्यादा है। हालांकि चाइना के डिजाइन अच्छे हैं, उसी की तरह खुद के बेहतर डिजाइन तैयार कर बढिय़ा क्वालिटी देने की तैयारी है।

अखिल मोहन मित्तल, फर्नीचर उद्योग

सरकार की मदद काफी अहम है। हमें उम्मीद है कि हम विश्व बाजार में चीन के दबदबे को तोड़ सकते हैं। लेकिन सरकार को समझना होगा कि वह उद्योगों से क्या चाहती है और उद्योग उनसे। योजनाओं को धरातल पर उतारना होगा। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए सिंगल विंडो सिस्टम ईमानदारी से लाना होगा। उद्यमियों को किराए पर शेड्स मिले, तो काम आसान होगा।

रजत अस्थाना, प्रबंध निदेशक, स्टोनमेन क्रॉफ्ट्स इंडिया प्राइवेट लि. (स्टोन क्राफ्ट सेक्टर)

कोरोना को पीछे छोड़कर फूड इंडस्ट्री सेक्टर नया बाजार खड़ा करने की ओर बढ़ रही है। सरकार की नीतियों से हमारे सेक्टर को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। खाद्य पदार्थों के क्षेत्र में जिले में बड़ी संभावनाएं हैं। आलू प्रोसेसिंग यूनिट के साथ पैक्ड फूड जैसे अन्य विकल्पों पर ध्यान देने की जरुरत है। लेकिन बैंकों की मनमानी रोक एक समान नीति बनाने से ही स्थिति सुधरेगी।

राजेश गोयल, कोल्‍ड चैन इंडस्‍ट्रीज

प्रोफेशनल्स

आगरा में सुप्रीम कोर्ट, पर्यावरण और कोरोना का गहरा प्रभाव पड़ा है। प्रवासी मजदूरों के स्किल मैनेजमेंट से नई इंडस्ट्री लगाने में सहूलियत मिल सकती है। प्लग एंड प्ले की दर्ज पर सरकार स्थिति मजबूत करे, तो उद्योगों को ऊर्जा मिलेगी।

सीए संजीव माहेश्वरी।

आगरा में अब गैरप्रदूषणकारी इंडस्ट््री के तौर पर आइटी, थीम पार्क, गारमेंट जैसी इंडस्ट्री समय की जरुरत हैं। सड़क और वायु मार्ग से बेहतर आवागमन सुविधा पहले से हैं, ऐसे में यह देश की नई इंडस्ट्री हब बन सकती है। ईज ऑफ डूइंग के लिए निवेश मित्र पोर्टल बेहतर शुरूआत, लेकिन अधिकारियों-कर्मचारियों की मनोदशा में भी बदलाव जरुरी।

सीए दीपेंद्र मोहन।

यह संकट से ज्यादा स्वर्णिम दौर है। बड़ी संस्थाओं ने भी रेटिंग नीचे की हैं। इसलिए अपने उद्योग की रिसर्च और डपलपमेंट को मजबूत करें। सभी देशों में सप्लाई चेन प्रभावित, लोग चाइना का विकल्प तलाश रहे हैं। इसलिए अपना अच्छा और बेहतर उत्पाद लेकर ग्लोबल मार्केट में जाएं। सरकार को चाइना के अंडर रेट सस्ते माल पर सही टैक्स लगे और टीटीजेड जैसी दिक्कतें दूर हों, तो हालात बेहतर होंगे।

सीए प्रेम गुल।

कोरोना काल में उद्योग प्रभावित हैं, जीडीपी गिरने की आशंका है, लेकिन उद्यमी निराश नहीं हैं। उद्यमियों के साथ सरकार को बस सोच बदलने की जरुरत है, नहीं तो सारी इंडस्ट््री ताइवान और इंडोनेशिया चली जाएंगीं। उद्योग बचाने को ऋण अंतरराष्ट्रीय दरों पर आसानी से मिलें। उद्यमियों का सहयोग हो, दोहन नहीं।

पूरन डाबर, अध्यक्ष, एफमेक।

यह रहे मौजूद

इस दौरान नेशनल चेंबर ऑफ इंडस्‍ट्रीज के अध्यक्ष राजीव अग्र्रवाल, आइआइए के राष्ट्रीय सलाहकार अमर मित्तल, इंक्रेडेबिल इंडिया फाउंडेशन के अजय शर्मा आदि मौजूद रहे।


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