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सोशल साइड पर लाइव असामाजिक खुदकुशी

करियर में असफल, समाज और परिवार को सबक सिखाने को युवा उठा रहे आत्मघाती कदम।

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Jul 2018 05:30 PM (IST)Updated: Sat, 14 Jul 2018 05:30 PM (IST)
सोशल साइड पर लाइव असामाजिक खुदकुशी
सोशल साइड पर लाइव असामाजिक खुदकुशी

केस वन- शुक्रवार देर रात एक बजकर 21 मिनट पर स्वामी बाग, दयालबाग निवासी हिमांशु मल्होत्रा ने अपने दोस्तों के वाट्सअप गु्रप पर पोस्ट डाली, जिसमें लिखा मैं करने जा रहा हूं। इसके कुछ ही देर में कनपटी पर तमंचा रखा और चला दिया। हिमांशु इंटरमीडिएट का छात्र था।

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केस टू- 25 साल के छात्र मुन्ना कुमार ने फेसबुक पर खुदकुशी का वीडियो अपलोड करते हुए लिखा आज की रात आखिरी रात, इसके कुछ देर बाद ही 10 जुलाई की रात को त्रिवेणी विहार में अपने कमरे में खुदकशी कर ली।

केस थ्री - कंप्यूटर सेंटर में कार्यरत 22 साल के आयुष तेनगुरिया ने खुदकुशी से पहले फेसबुक पर पोस्ट डाली, इसे डांस ऑफ डेथ इन माह माइंड फेसबुक पेज पर टैग किया। इसके बाद 11 मई को अपने कमरे में खुदकशी कर ली।

जागरण संवाददाता, आगरा: समुंदर की लहरों की तरह दिमाग में खुदकुशी का विचार आता है। ऐसे लोग समाज को दिखाने के लिए सोशल साइड पर खुदकुशी के विचार और उसके कारणों को लाइव करते हैं। ये विचार 10 से 15 मिनट तक रहते हैं, इस दौरान कोई मदद को आए जाए तो जान बचाई जा सकती है। मगर, वर्चुअल दुनिया में लोग पास होने के बाद भी बहुत दूर हैं। इस तरह की मौतों को मनोचिकित्सक असामाजिक खुदकुशी मान रहे हैं, ये समाज को गलत दिशा की तरफ ले जा रही हैं।

पिछले कुछ सालों से तनाव, मनोरोग, आवेग के साथ ही खुदकुशी का एक बड़ा कारण सामने आने लगा है। परिवार और समाज से सपोर्ट ना मिलना, अच्छे अंक ना आना, करियर में असफल होने पर युवा खुदकुशी कर रहे हैं। इसका तरीका भी बदलता जा रहा है, वे आत्मघाती कदम उठाने से पहले समाज को यह बताना चाहते हैं कि वे कमजोर नहीं हैं, ये कदम क्यों उठा रहे हैं? इसके लिए कौन-कौन जिम्मेदार हैं, वे अपनी जिंदगी खत्म करने से पहले लोगों को कठघरे में खड़ा करते हैं, यह समाज के लिए अच्छा नहीं हैं। इन वीडियो और लाइव को देखकर तनाव और अवसाद से पीड़ित युवाओं को गलत विचार आ रहे हैं।

खुदकुशी से पहले क्राई फॉर हेल्प:

खुदकुशी करने से पहले लोग संकेत देते हैं, इसे क्राई फॉर हेल्प कहा जाता है। पहले लोग ऐसे विचार आने पर कमरे में बंद हो जाते थे, निराशाजनक बातें करते थे। एकांत में रहते थे, इससे उनके परिजन समझ जाते थे और उनसे बात कर खुदकुशी के विचार दिलो दिमाग से निकाल देते थे। मगर, अब ये काम वे वर्चुअल दुनिया में कर रहे हैं। इसमें कोई पास नहीं होता है। जो समझा सके। संवेदनाए नहीं हैं, इससे भी केस बढ़ रहे हैं।

सिरोटोनिन का स्तर कम होने से आते हैं खुदकुशी के विचार:

तनाव और मनोरोग में सेरोटोनिन न्यूरोट्रांसमिटर का स्तर गिरने लगता है। इससे खुदकशी के विचार आते हैं, ऐसे लोगों को परिवार और समाज का सपोर्ट ना मिले। एकाकी जीवन जी रहे हैं तो खुदकुशी करने की आशंका बढ़ जाती है। फेसबुक पर कर सकते हैं रिपोर्ट:

अगर आपका कोई परिचित, रिश्तेदार और मित्र फेसबुक पर अवसाद वाली पोस्ट डालता है तो इसे फेसबुक पर रिपोर्ट कर सकते हैं। इसके लिए रिपोर्ट विकल्प में जाकर सेल्फ हार्म या सुसाइडल टेंडेंसी पर क्लिक कर दें। फेसबुक पोस्ट डालने वाले व्यक्ति की लोकेशन के आधार पर संबंधित थाने की पुलिस को सूचना देगी, जिससे उसकी जान बचाई जा सकती है। इनका रखें ध्यान:

- सोशल मीडिया पर अवसाद में डालने वाली कम्यूनिटी से दूर रहें। परिजनों को ध्यान रखना चाहिए कि वे ऐसे किसी फेसबुक पेज से तो नहीं जुड़े।

- अपने सुख और दुख सोशल मीडिया पर साझा करने के साथ अपने परिजनों और करीबियों से साझा करें तो यह अच्छा रहेगा। यह नया ट्रेंड है, इसके माध्यम से लोग समाज को बताना चाहते हैं कि वे खुदकशी क्यों कर रहे हैं? पहले वे अपने घर परिवार के सदस्यों को संकेत देते थे, उन्हें रोका भी जा सकता था। इससे आने वाले समय में खुदकुशी के मामले बढ़ेंगे।

-विशाल सिन्हा, विभागाध्याक्ष मनोरोग विभाग एसएन मेडिकल कॉलेज खुदकुशी का महिमामंडन करने के लिए फेसबुक लाइव और वीडियो डाले जा रहे हैं, उनके द्वारा उठाए गए कदम से तनाव से पीड़ित लोग प्रेरित होकर आत्मघाती कदम उठा सकते हैं।

- डॉ. दिनेश राठौर, प्रमुख अधीक्षक मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय

इस तरह का काम एबनॉर्मल पर्सनेलिटी के लोग उठा रहे हैं, ये वीडियो बनाकर मरने से पहले दूसरे लोगों को बदनाम करते हैं। यह असामाजिक खुदकुशी है, इस पर रोक लगनी चाहिए।

- डॉ. यूसी गर्ग, मनोचिकित्सक


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