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दो माह पहले देखा गया था तेंदुआ, बताने के बाद भी नहीं चेते अफसर

छावनी क्षेत्र के आसपास भी देखा गया, डीएम को लिखा था पत्र, फिर भी नहीं की गई सुनवाई

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 06:30 AM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 06:30 AM (IST)
दो माह पहले देखा गया था तेंदुआ, बताने के बाद भी नहीं चेते अफसर
दो माह पहले देखा गया था तेंदुआ, बताने के बाद भी नहीं चेते अफसर

आगरा (जागरण संवाददाता): आगरा में लगातार तीसरी बार तेदुएं के आबादी क्षेत्र में आने की घटना सामने आई है। यह तेंदुआ करीब दो माह से आगरा छावनी क्षेत्र के आसपास देखा जा रहा था। इसे लेकर सेना ने डीएम को पत्र लिखा लेकिन अफसरों ने गंभीरता नहीं दिखाई।

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सबसे पहले 12-13 अगस्त की मध्यरात्रि को यह तेंदुआ आगरा किला और छावनी क्षेत्र के बीच टहलते देखा गया। सेना के अधिकारियों ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए डीएम को पत्र लिखा और वन विभाग (वाइल्ड लाइफ) के माध्यम से इसे तुरंत पकड़वाने का अनुरोध किया। यह पत्र अधिकारियों की फाइलों में दबकर रह गया। इस बारे में वन्यजीव प्रतिपालक एके सिंह ने बताया कि उनके पास तेंदुए देखने के बारे में कोई सूचना नहीं आई।

खाने की तलाश में आबादी का रुख

वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार जंगलों में लगातार इंसानी गतिविधिया बढ़ रही है। वन विभाग की सीमा से सटकर बढ़ती आबादी और घटते वन क्षेत्र के कारण ये खाने की तलाश में आबादी की ओर रुख कर रहे हैं। इसके चलते आगरा सहित प्रदेश के अन्य जिलों में भी तेदुए के आबादी क्षेत्र में आने की घटना सामने आ चुकी है।

कैट प्रजाति से हैं तेंदुआ

बाघ और चीते की तरह तेंदुआ भी कैट प्रजाति का है। इसकी पीठ पर काले रंग के गोल स्पॉट होते हैं। यह मांसाहारी होता है। तीनों में सबसे ज्यादा संख्या देश में तेंदुए की है। देश में करीब 30 हजार तेंदुए हैं। तेंदुआ भारत के अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका सहित अफ्रीका में पाया जाता है। वहीं बाघ की पीठ पर काले रंग की लंबी धारियां होती है। इनकी संख्या भारत में करीब 3 से चार हजार है। चीते की पीठ पर काले पगमार्क के निशान होते हैं। यह अफ्रीका में पाया जाता है। भारत में यह प्रजाति सिर्फ चिड़ियाघरों में देखने को मिलती है।


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