Jail in Agra: महामारी के प्रकोप से बंदियों की मुलाकात के बाद अब स्वजन द्वारा भेजा सामान मिलने पर भी रोक
Jail in Agra जिला और सेंट्रल जेल में बंदियों तक नहीं पहुंच सकेगा स्वजन द्वारा भेजा गया सामान। डीजी के दिशा-निर्देश के बाद सामान पहुंचाने पर अग्रिम आदेश तक लगी रोक। कोराेना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के चलते मार्च 2020 से जेलों में निरुद्ध बंदियों की मुलाकात बंद है।
आगरा, जागरण संवाददाता। महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए जेलों में निरुद्ध बंदियों को स्वजन अब सामान नहीं पहुंचा सकेंगे। डीजी कारागार द्वारा इसे लेकर जारी किए गए दिशा-निर्देशों के बाद फिलहाल बंंदियों को सामान देने पर रोक लगा दी गई है।
कोराेना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के चलते मार्च 2020 से जेलों में निरुद्ध बंदियों की मुलाकात बंद है। वहीं, सात साल तक की सजा वाले विचाराधीन व सजायाफ्ता बंदियों को अंतरिम जमानत और पेरोल पर रिहाई की प्रक्रिया दोबारा शुरू की जा चुकी है। अब तक 350 से ज्यादा बंदी पेरोल व अंतरिम जमानत पर रिहा हो चुके हैं।मुलाकात बंद हेाने के बावजूद बंदियों को उनके स्वजन द्वारा यह भेजा गया सामान 24 से 48 घंटे बाद मिल जाता था। इनमें खाने-पीने की वस्तुएं, कपड़े, अचार, बिस्कुट व फल आदि थे।
मगर, इस साल अप्रैल से कोरोना का प्रकोप दोबारा बढ़ गया है। दूसरी लहर के आने से कुछ महीने पहले ही प्रशासन द्वारा बनाई गई अस्थाई जेलें भी बंद कर दी गई थीं। इसके चलते संक्रमित बंदियों के लिए जेल में ही आइसोलेशन बैरक बनाई गई है। संक्रमित बंदी को यहां पर रखा जाता है। उसकी रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही दूसरी बैरक में भेजा जाता है। कुछ जिलों की जेलों में बंदियों में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने के बाद डीजी कारागार ने बंदियों के स्वजन द्वारा उन्हें भेजे जाने वाले सामान पर रोक लगा दी है। वरिष्ठ अधीक्षक केंद्रीय कारागार वीके सिंह और जिला जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्रा ने बताया कि यह रोक अग्रिम आदेश तक जारी रहेगा।
बंदियों तक पहुंचाने की यह थी व्यवस्था
कोरोना संक्रमण से बंदियों को बचाने के लिए जेल-प्रशासन ने व्यवस्था बना रखी थी। इसके तहत बंदियों के स्वजन द्वारा लाए गए सामान को प्रशासनिक भवन के पास बने कमरे में 48 घंटे के लिए रखवा दिया जाता था। यह कमरा नियमित रूप से सैनिटाइज किया जाता है। सामान संबंधित बंदी तक आसानी से पहुंच सके, इसके लिए उसमें बंदी व उसकी बैरक समेत अन्य जानकारी की पर्ची बनाकर रख दी जाती थी। निर्धारित अवधि के बाद स्वजन द्वारा भेजा गया सामान बंदी को पहुंचा दिया जाता था।