सम्मान को हर स्तर पर खामोशी से लड़ी खाकी, पढ़ें क्या था कोर्ट में वर्दी उतरवाने का मामला Agra News
एसएसपी और डीएम ने समझाया मनोबल बढ़ाने को अपने पास कुर्सी पर बैठाया। अपमान का घूंट पीकर बैरक में गुमसुम रहा साथी सिपाहियों ने भी बढ़ाया मनोबल।
आगरा, जागरण संवाददाता। कोर्ट में एक सिपाही की वर्दी उतरवाई गई। आरोप न्याय की कुर्सी पर बैठे एसीजेएम पर था, इसलिए मामला और गंभीर था। वर्दी के सम्मान के लिए हर स्तर पर अधिकारियों ने पैरवी की। इसी के चलते खाकी उपयुक्त स्तर पर न्यायिक अधिकारियों तक बात पहुंचाने में सफल रही। न्यायालय ने भी शुचिता को बनाए रखने को चौबीस घंटे में ही एक्शन ले लिया।
किशोर न्याय बोर्ड के लिए बाल अपचारियों को पुलिस वाहन से ले जा रहे कांस्टेबल चालक घूरेलाल पर शुक्रवार को एसीजेएम संतोष कुमार यादव का गुस्सा उतरा था। घूरेलाल ने बताया था कि गाड़ी को साइड न मिलने पर एसीजेएम ने उनकी कोर्ट में वर्दी उतरवा दी थी। 57 वर्ष के सिपाही को करीब एक घंटे तक न्यायालय में खड़ा रखा गया। इस दौरान कोर्ट की कार्रवाई भी चलती रही। मुल्जिम, पुलिसकर्मी, कर्मचारी समेत अन्य लोग वहां मौजूद रहे। इसकी जानकारी मिलते ही सभी अधिकारी अपने-अपने स्तर से सक्रिय हो गए। एसएसपी बबलू कुमार ने पहले आइजी और एडीजी को मामले की जानकारी दी। इसके बाद एडीजी अजय आनंद ने डीजीपी ओपी सिंह को फोन पर पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया। इसके बाद सभी अधिकारी वर्दी के सम्मान को अपने-अपने स्तर से पैरवी में लग गए। एसएसपी और डीएम एनजी रवि कुमार ने जिला जज से मिलकर पूरा घटनाक्रम बताया। सूत्रों का कहना है कि उन्होंने भी मामले को गंभीरता से लिया और पूरे मामले की आख्या तलब कर ली। डीएम और एसएसपी ने संयुक्त रूप से मामले की रिपोर्ट जिला जज अजय कुमार श्रीवास्तव और हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भेज दी। डीजीपी ओपी सिंह ने भी अपने स्तर से हाईकोर्ट के न्यायाधीश से बात की। सभी ने इस मामले वर्दी की गरिमा से जोड़कर देखा। एसएसपी ने अपनी रिपोर्ट में भी यह लिखा कि इस घटना से पुलिस फोर्स में असंतोष पैदा हो रहा है। उन्होंने खुद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से फोन पर भी वार्ता की। हाईकोर्ट ने भी मामले को और गंभीरता से लिया। न्यायपालिका की शुचिता से जोड़कर देखते हुए 24 घंटे में ही एसीजेएम संतोष कुमार यादव का महोबा तबादला कर दिया। इस आदेश को कोर्ट में वर्दी उतरवाने की घटना से ही जोड़कर देखा जा रहा है।
संकरी थी सड़क
कांस्टेबल चालक घूरेलाल ने बताया कि जिस सड़क पर एसीजेएम साइड न देने की बात कह रहे हैं वह संकरी थी। करीब डेढ़ सौ मीटर लंबी है। उनके पीछे होने की जानकारी भी नहीं थी और सड़क संकरी होने के कारण साइड नहीं दी जा सकती थी।
सदमे में सिपाही, नहीं खाया खाना
58 वर्ष के सिपाही घूरेलाल ने इतनी बेइज्जती कभी नहीं झेली थी। भले ही उन्होंने खाकी की सबसे निचली कड़ी के रूप में काम किया। मगर, अपने व्यवहार से उन्होंने हर जगह सम्मान पाया। अब कोर्ट में वर्दी उतरवाकर खड़े कराने से वह सदमे में हैं। खाना भी उनके गले से नहीं उतरा है। जागरण को अपना दर्द बताते समय शनिवार को भी उनकी आंखें भर आईं।
मूलरूप से मथुरा के मांट निवासी घूरेलाल वर्ष 1981 में पुलिस में भर्ती हुए थे। कई जिलों में नौकरी करने के बाद वे वर्ष 2013 से आगरा पुलिस लाइन में तैनात हैं। घूरेलाल ने बताया कि उनके परिवार में दो बेटे और दो बेटियां हैं। इनमें से एक बेटी और दो बेटों की शादी हुई है। एक बेटी अभी शादी को है। बेटे भी प्राइवेट नौकरी करते हैं। पूरा परिवार उनके ऊपर आश्रित है। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को वह किशोर न्याय बोर्ड में बाल अपचारियों को लेकर पहुंचे तो उन्हें पीछे चल रही गाड़ी के बारे में कुछ भी पता नहीं था। अंदर से एसीजेएम ने जब उन्हें तलब किया तब भी वे नहीं समझे। एसीजेएम ने जब उनसे साइड न देने का कारण पूछा तो वे हाथ जोड़कर खड़े हो गए। कहा कि साहब आपके पीछे होने का पता ही नहीं चला। गाड़ी में साइड शीशा नहीं था। इसलिए देख नहीं सके। जेल भेजने की धमकी देने और नौकरी लेने की धमकी से वे डर गए। घूरेलाल ने बताया कि वे एसीजेएम से माफी मांगने लगे। मगर, उन्होंने एक नहीं सुनी। टोपी और बेल्ट उतरवाने के बाद वर्दी उतरवा दी। इसके बाद साथ में पहुंचे तीन अन्य सिपाहियों को भी बुलाकर उनकी टोपी और बेल्ट उतरवा दी। इसके बाद मजिस्ट्रेट साहब डायस पर बैठे रहे। अदालती प्रकिया चलती रही। एसएसपी बबलू कुमार ने शुक्रवार पुलिस लाइन में जब सिपाही को बुलाया तो वह फफक पड़े। एसएसपी ने उन्हें कुर्सी पर बैठाया। कहा कि वर्दी तुम्हारी नहीं, हमारी उतरी है। उन्हें भरोसा दिलाया कि वे उनके साथ हैं। इसके बाद भी अदालत में बेइज्जत होने के बाद घूरेलाल की आंखों के आंसू थम नहीं रहे थे। उनका कहना है कि अदालत में हुए अपमान की तस्वीर आंखों से ओझल नहीं हो रही। शुक्रवार रात और शनिवार को भी उन्होंने खाना नहीं खाया। आरआइ विनय कुमार साही ने उन्हें खाना खिलाने की कोशिश की, लेकिन घूरेलाल खाना नहीं खा सके। अब एसीजेएम के तबादले के बाद भी वे कह रहे हैं कि अधिकारियों ने मेरा साथ दिया, यही मेरे लिए बहुत है। मैं किसी से लड़ने लायक नहीं हूं।
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