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Sharad Purnima: आज की रात राशि के अनुसार करें ये उपाए तो होगी समृद्धि की वर्षा Agra News

शरद पूर्णिमा को चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है जिससे चंद्रमा के प्रकाश की किरणें पृथ्वी पर स्वास्थ्य की बौछारें करती हैं।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 08:22 AM (IST)Updated: Sun, 13 Oct 2019 08:22 AM (IST)
Sharad Purnima: आज की रात राशि के अनुसार करें ये उपाए तो होगी समृद्धि की वर्षा Agra News
Sharad Purnima: आज की रात राशि के अनुसार करें ये उपाए तो होगी समृद्धि की वर्षा Agra News

आगरा, तनु गुप्‍ता। पुष्णामि चौषधी: सर्वा: सोमो भूत्वा रसात्मक:।। अर्थात गीता में भगवान श्री कृष्ण ने शरद पूर्णिमा के चंद्रमा के लिए कहा है कि रसस्वरूप अर्थात् अमृतमय चन्द्रमा होकर सम्पूर्ण औषधियों को अर्थात् वनस्पतियों को मैं पुष्ट करता हूं। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में भगवान शकर एवं मां पार्वती कैलाश पर्वत पर रमण करते हैं और संपूर्ण कैलाश पर्वत पर चंद्रमा जगमगा जाता है। भगवान कृष्ण ने भी शरद पूर्णिमा को रास-लीला की थी, तथा मथुरा-वृंदावन सहित अनेक स्थानों पर इस रात को रास-लीलाओं का आयोजन किया जाता है। लोग शरद पूर्णिमा को व्रत भी रखते हैं, तथा शास्त्रों में इसे कौमुदी व्रत भी कहा गया है।

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हिंदू संस्कृति में आश्विन मास की पूर्णिमा का अपना विशेष महत्व है। शीतल चांदनी और उल्लास का यह पर्व धार्मिक दृष्टि से जितना महत्वपूर्ण है उतना ही विशेष वैज्ञानिक रूप से भी है। शरद पूर्णिमा को चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है, जिससे चंद्रमा के प्रकाश की किरणें पृथ्वी पर स्वास्थ्य की बौछारें करती हैं। इस दिन चंद्रमा की किरणों में विशेष प्रकार के लवण व विटामिन होते हैं। कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से नाग का विष भी अमृत बन जाता है।

धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी

खीर से होता है रोगों का इलाज

शरद पूर्णिमा की रात बनने वाली खीर के सेवन से रोगी को सांस और कफ दोष के कारण होने वाली तकलीफों में काफी लाभ मिलता है। रात्रि जागरण के महत्व के कारण ही इसे जागृति पूर्णिमा भी कहा जाता है। इसका एक कारण रात्रि में स्वभाविक कफ के प्रकोप को जागरण से कम करना है। इस खीर को मधुमेह से पीडि़त रोगी भी ले सकते हैं, बस इसमें मिश्री की जगह प्राकृतिक स्वीटनर स्टीविया की पत्तियों को मिला दें। यह खीर विशेष ठंडक पहुंचाती है। गाय के दूध की हो तो अति उत्तम, विशेष गुणकारी होती है। इससे मलेरिया होने की संभावना नहीं के बराबर हो जाती है।

न करें मेवों का प्रयोग

ध्यान रखें कि इस ऋतु में बनाई खीर में केसर और मेंवों का प्रयोग न करें। पंडित वैभव के अनुसार मेवा और केसर गर्म प्रवृत्ति के होने से पित्त बढ़ा सकते हैं। खीर में सिर्फ इलायची का ही प्रयोग करना चाहिए।

चेहरे पर आती है कांति

शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा का पूजन कर खीर का भोग लगाया जाता है, जिससे आयु बढ़ती है व चेहरे पर कान्ति आती है एवं शरीर स्वस्थ रहता है। शरद पूर्णिमा की मनमोहक सुनहरी रात में वैद्यों द्वारा जड़ी बूटियों से औषधि का निर्माण किया जाता है।

पात्र का रखें ध्यान

शरद पूर्णिमा को रातभर पात्र में रखी खीर सुबह खाई जाती है (चांदी का पात्र न हो तो चांदी का चम्मच खीर मे डाल दे, लेकिन बर्तन मिट्टी, कांसा या पीतल का न हो। क्योंकि स्टील जहर और एल्यूमिनियम, प्लास्टिक, चीनी मिट्टी महा-जहर है)।

सौंदर्य और उल्लास का है पर्व

पंडित वैभव जोशी कहते हैं कि सौंदर्य व छटा से मन हर्षित करने वाली शरद पूर्णिमा की रात को नौका विहार करना, नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है। शरद पूर्णिमा की रात प्रकृति का सौंदर्य व छटा मन को हर्षित करने वाली होती है। विभिन्न प्रकार के पुष्पों की सुगंध इस रात में बढ़ जाती है, जो मन को लुभाती है वहीं तन को भी मुग्ध करती है। यह पर्व स्वास्थ्य, सौंदर्य व उल्लास बढ़ाने वाला माना गया है।

समझें ऋतु परिवर्तन के मर्म को

पंडित वैभव के अनुसार हमारी हर प्राचीन परंपरा में वैज्ञानिकता का दर्शन होता हैं। अज्ञानता का नहीं। शरद ऋतु के प्रारम्भ में दिन थोड़े गर्म और रातें शीतल हो जाया करती हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह पित्त दोष के प्रकोप का काल माना जाता है और मधुर तिक्त कषाय रस पित्त दोष का शमन करते हैं। इस ऋतु में खीर खाने से पित्त का शमन होता है। शरद में ही पितृ पक्ष (श्राद्ध) आता है पितरों का मुख्य भोजन है खीर। इस दौरान 5-7 बार खीर खाना हो जाता है।

सुख समृद्धि के लिए राशि अनुसार करें ये उपाय

मेष

शरद पूर्णिमा पर मेष राशि के लोग कन्याओं को खीर खिलाएं और चावल को दूध में धोकर बहते पानी में बहाएं। ऐसा करने से आपके सारे कष्ट दूर हो सकते हैं।

वृष

इस राशि में चंद्रमा उच्च का होता है। वृष राशि शुक्र की राशि है और राशि स्वामी शुक्र प्रसन्न होने पर भौतिक सुख-सुविधाएं प्रदान करते हैं। शुक्र देवता को प्रसन्न करने के लिए इस राशि के लोग दही और गाय का घी मंदिर में दान करें।

मिथुन

इस राशि का स्वामी बुध, चंद्र के साथ मिल कर आपकी व्यापारिक एवं कार्य क्षेत्र के निर्णयों को प्रभावित करता है। उन्नति के लिए आप दूध और चावल का दान करें तो उत्तम रहेगा।

कर्क

आपके मन का स्वामी चंद्रमा है, जो कि आपका राशि स्वामी भी है। इसलिए आपको तनाव मुक्त और प्रसन्न रहने के लिए मिश्री मिला हुआ दूध मंदिर में दान देना चाहिए।

सिंह

आपका राशि का स्वामी सूर्य है। शरद पूर्णिमा के अवसर पर धन प्राप्ति के लिए मंदिर में गुड़ का दान करें तो आपकी आर्थिक स्थिति में परिवर्तन हो सकता है।

कन्या

इस पवित्र पर्व पर आपको अपनी राशि के अनुसार 3 से 10 वर्ष तक की कन्याओं को भोजन में खीर खिलाना विशेष लाभदायी रहेगा।

तुला

इस राशि पर शुक्र का विशेष प्रभाव होता है। इस राशि के लोग धन और ऐश्वर्य के लिए धर्म स्थानों यानी मंदिरों पर दूध, चावल व शुद्ध घी का दान दें।

वृश्चिक

इस राशि में चंद्रमा नीच का होता है। सुख-शांति और संपन्नता के लिए इस राशि के लोग अपने राशि स्वामी मंगल देव से संबंधित वस्तुओं, कन्याओं को दूध व चांदी का दान दें।

धनु

इस राशि का स्वामी गुरु है। इस समय गुरु उच्च राशि में है और गुरु की नौवीं दृष्टि चंद्रमा पर रहेगी। इसलिए इस राशि वालों को शरद पूर्णिमा के अवसर पर किए गए दान का पूरा फल मिलेगा। चने की दाल पीले कपड़े में रख कर मंदिर में दान दें।

मकर

इस राशि का स्वामी शनि है। गुरु की सातवी दृष्टि आपकी राशि पर है जो कि शुभ है। आप बहते पानी में चावल बहाएं। इस उपाय से आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।

कुंभ

इस राशि के लोगों का राशि स्वामी शनि है। इसलिए इस पर्व पर शनि के उपाय करें तो विशेष लाभ मिलेगा। आप दृष्टिहीनों को भोजन करवाएं।

मीन

शरद पूर्णिमा के अवसर पर आपकी राशि में पूर्ण चंद्रोदय होगा। इसलिए आप सुख, ऐश्वर्य और धन की प्राप्ति के लिए ब्राह्मणों को भोजन करवाएं। 


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